Sunday 27 March 2016

‘मन की बात’ 27 मार्च 2016


           मेरे प्यारे देशवासियो, आप सब को बहुत-बहुत नमस्कार ! आज दुनिया भर में ईसाई समुदाय के लोग Easter मना रहे हैं | मैं सभी लोगों को Easter की ढेरों शुभकामनायें देता हूँ |

          मेरे युवा दोस्तो, आप सब एक तरफ़ Exam में busy होंगे | कुछ लोगों की exam पूरी हो गयी होगी | और कुछ लोगों के लिए इसलिए भी कसौटी होगी कि एक तरफ़ exam और दूसरी तरफ़ T-20 Cricket World Cup | आज भी शायद आप भारत और Australia के match का इंतज़ार करते होंगे | पिछले दिनों भारत ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के खिलाफ़ दो बेहतरीन match जीते हैं | एक बढ़िया सा momentum नज़र आ रहा है | आज जब Australia और भारत खेलने वाले हैं, मैं दोनों टीमों के players को अपनी शुभकामनायें देता हूँ | 65 प्रतिशत जनसंख्या नौजवान हो और खेलों की दुनिया में हम खो गए हों, ये तो बात कुछ बनती नहीं है | समय है, खेलों में एक नई क्रांति के दौर का | और हम देख रहे हैं कि भारत में Cricket की तरह अब Football, Hockey, Tennis, Kabaddi - एक mood बनता जा रहा है | मैं आज नौजवानों को एक और खुशखबरी के साथ कुछ अपेक्षायें भी बताना चाहता हूँ | आपको शायद इस बात का तो पता चल गया होगा कि अगले वर्ष 2017 में भारत FIFA Under - 17  विश्व कप की मेज़बानी करने जा रहा है | विश्व की 24 टीमें भारत में खेलने के लिए आ रही हैं | 1951, 1962 Asian Games में भारत ने Gold Medal जीता था और 1956 Olympic Games में भारत चौथे स्थान पर रहा था | लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कुछ दशकों में हम निचली पायरी पर ही चलते गए, पीछे ही हटते गए, गिरते ही गए, गिरते ही गए | आज तो FIFA में हमारा ranking इतना नीचे है कि मेरी बोलने की हिम्मत भी नहीं हो रही है | और दूसरी तरफ़ मैं देख रहा हूँ कि इन दिनों भारत में युवाओं की Football में रुचि बढ़ रही है | EPL हो, Spanish League हो या Indian Super League के match हों, भारत का युवा उसके विषय में जानकारी पाने के लिए, TV पर देखने के लिए समय निकालता है | कहने का तात्पर्य यह है कि रूचि तो बढ़ रही है | लेकिन इतना बड़ा अवसर जब भारत में आ रहा है, तो हम सिर्फ़ मेज़बान बन कर के अपनी जिम्मेवारी पूरी करेंगे ? इस पूरा वर्ष एक Football, Football, Football का माहौल बना दें | स्कूलों में, कॉलेजों में, हिन्दुस्तान के हर कोने पर हमारे नौजवान, हमारे स्कूलों के बालक पसीने से तर-ब-तर हों | चारों तरफ़ Football खेला जाता हो | ये अगर करेंगे, तो फिर तो मेज़बानी का मज़ा आएगा और इसलिए हम सब की कोशिश होनी चाहिये कि हम Football को गाँव-गाँव, गली-गली कैसे पहुँचाएं | 2017 FIFA Under – 17 विश्व कप एक ऐसा अवसर है | इस एक साल के भीतर-भीतर हम चारों तरफ़ नौजवानों के अन्दर Football के लिए एक नया जोश भर दें, एक नया उत्साह भर दें | इस मेज़बानी का एक फ़ायदा तो है ही है कि हमारे यहाँ infrastructure तैयार होगा, खेल के लिए जो आवश्यक सुविधाएँ हैं, उस पर ध्यान जाएगा | मुझे तो इसका आनंद तब मिलेगा, जब हम हर नौजवान को Football के साथ जोड़ेंगे |
          दोस्तो, मैं आप से एक अपेक्षा करता हूँ | 2017 की ये मेज़बानी, ये अवसर कैसा हो, साल भर का हमारा Football में momentum लाने के लिए कैसे-कैसे कार्यक्रम हों, प्रचार कैसे हो, व्यवस्थाओं में सुधार कैसे हो, FIFA Under – 17 विश्व कप के माध्यम से भारत के नौजवानों में खेल के प्रति रूचि कैसे बढ़े, सरकारों में, शैक्षिक संस्थाओं में, अन्य सामाजिक संगठनों में, खेल के साथ जुड़ने की स्पर्धा कैसे खड़ी हो ? Cricket में हम सब ये देख पा रहे हैं, लेकिन यही चीज़ और खेलों में भी लानी है | Football एक अवसर है | क्या आप मुझे अपने सुझाव दे सकते हैं ? वैश्विक स्तर पर भारत का branding करने के लिए एक बहुत बड़ा अवसर मैं मानता हूँ | भारत की युवा शक्ति की पहचान कराने का अवसर मानता हूँ | Match के दरमियान क्या पाया, क्या खोया, उस अर्थ में नहीं | इस मेज़बानी की तैयारी के द्वारा भी हम अपनी शक्ति को संजो सकते हैं, शक्ति को प्रकट भी कर सकते हैं और हम भारत का Branding भी कर सकते हैं | क्या आप मुझे NarendraModiApp, इस पर अपने सुझाव भेज सकते हैं क्या ? Logo कैसा हो, slogans कैसे हों, भारत में इस बात को फैलाने के लिए क्या-क्या तरीके हों, गीत कैसे हों, souvenirs बनाने हैं, तो किस-किस प्रकार के souvenirs बन सकते हैं ? सोचिए दोस्तो, और मैं चाहूँगा कि मेरा हर नौजवान ये 2017 FIFA  Under- 17 विश्व कप का ambassador बने | आप भी इसमें शरीक होइए, भारत की पहचान बनाने का सुनहरा अवसर है |  

          मेरे प्यारे विद्यार्थियो, छुट्टियों के दिनों में आपने पर्यटन के लिए सोचा ही होगा | बहुत कम लोग हैं, जो विदेश जाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग अपने-अपने राज्यों में 5 दिन, 7 दिन कहीं चले जाते हैं | कुछ लोग अपने राज्यों के बाहर जाते हैं | पिछली बार भी मैंने आप लोगों से एक आग्रह किया था कि आप जहाँ जाते हैं, वहाँ से फ़ोटो upload कीजिए | और मैंने देखा कि जो काम Tourism Department नहीं कर सकता, जो काम हमारा Cultural Department नहीं कर सकता, जो काम राज्य सरकारें, भारत सरकार नहीं कर सकतीं, वो काम देश के करोड़ों-करोड़ों ऐसे प्रवासियों ने कर दिया था | ऐसी-ऐसी जगहों के फ़ोटो upload किये गए थे कि देख कर के सचमुच में आनंद होता था | इस काम को हमें आगे बढ़ाना है, इस बार भी कीजिये, लेकिन इस बार उसके साथ कुछ लिखिए | सिर्फ़ फ़ोटो नहीं ! आपकी रचनात्मक जो प्रवृति है, उसको प्रकट कीजिए और नई जगह पर जाने से, देखने से बहुत-कुछ सीखने को मिलता है | जो चीजें हम classroom में नहीं सीख पाते, जो हम परिवार में नहीं सीख पाते, जो चीज हम यार-दोस्तों के बीच में नहीं सीख पाते, वे कभी-कभी भ्रमण करने से ज्यादा सीखने को मिलती हैं और नई जगहों के नयेपन का अनुभव होता है | लोग, भाषा, खान-पान, वहाँ के रहन-सहन न जाने क्या-क्या देखने को मिलता है | और किसी ने कहा है “A traveller without observation is a bird without wings’ ‘शौक-ए-दीदार है अगर, तो नज़र पैदा कर’ | भारत विविधताओं से भरा हुआ है | एक बार देखने के लिए निकल पड़ो, जीवन भर देखते ही रहोगे, देखते ही रहोगे ! कभी मन नहीं भरेगा और मैं तो भाग्यशाली हूँ, मुझे बहुत भ्रमण करने का अवसर मिला है | जब मुख्यमंत्री नहीं था, प्रधानमंत्री नहीं था और आप ही की तरह छोटी उम्र थी, मैंने बहुत भ्रमण किया | शायद हिन्दुस्तान का कोई district नहीं होगा, जहाँ मुझे जाने का अवसर न मिला हो | ज़िन्दगी को बनाने के लिए प्रवास की एक बहुत बड़ी ताक़त होती है और अब भारत के युवकों में, प्रवास में साहस जुड़ता चला जा रहा है, जिज्ञासा जुड़ती चली जा रही है | पहले की तरह वो रटे-रटाये, बने-बनाये उसी route पर नहीं चला जाता है, वो कुछ नया करना चाहता है, नया देखना चाहता है | मैं इसे एक अच्छी निशानी मानता हूँ | हमारा युवा साहसिक हो, जहाँ कभी पैर नहीं रखा है, वहाँ पैर रखने का उसका मन होना चाहिए |

        मैं Coal India को एक विशेष बधाई देना चाहता हूँ | Western Coalfields Limited (WCL), नागपुर के पास सावनेर, जहाँ Coal Mines हैं | उस Coal Mines में उन्होंने Eco-friendly Mine Tourism Circuit develop किया है | आम तौर पर हम लोगों की सोच ये है कि  Coal Mines यानि दूर ही रहना | वहाँ के लोगों की तस्वीरें जो हम देखते हैं, तो हमें लगता है, वहाँ जाने जैसा क्या होगा और हमारे यहाँ तो कहावत भी रहती है कि कोयले में हाथ काले, तो लोग यूँ ही दूर भागते हैं | लेकिन उसी कोयले को Tourism का destination बना देना और मैं खुश हूँ कि अभी-अभी तो ये शुरुआत हुई है और अब तक क़रीब-क़रीब दस हज़ार से ज़्यादा लोगों ने नागपुर के पास सावनेर गाँव के निकट ये Eco-friendly Mine Tourism  की मुलाक़ात की है | ये अपने-आप में कुछ नया देखने का अवसर देती है |

मैं आशा करता हूँ कि इन छुट्टियों में जब प्रवास पर जाएँ, तो स्वच्छता में आप कुछ योगदान दे सकते हैं क्या ? इन दिनों एक बात नज़र आ रही है, भले वो कम मात्रा में हो, अभी भी आलोचना करनी है, तो अवसर भी है, लेकिन फिर भी अगर हम ये कहें कि एक जागरूकता आई है | Tourism places पर लोग स्वच्छता बनाये रखने का प्रयास कर रहे हैं | Tourist भी कर रहे हैं और जो tourist destination के स्थान पर स्थाई रूप से रहने वाले लोग भी कुछ-न-कुछ कर रहे हैं | हो सकता है, बहुत वैज्ञानिक तरीक़े से नहीं हो रहा ? लेकिन हो रहा है | आप भी एक tourist के नाते tourist destination पर स्वच्छता - उस पर आप बल दे सकते हैं क्या ? मुझे विश्वास है, मेरे नौजवान मुझे इसमें जरूर मदद करेंगे | और ये बात सही है कि tourism  सबसे ज़्यादा रोज़गार देने वाला क्षेत्र है, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति कमाता है | और जब tourist, tourist destination पर जाता है, ग़रीब tourist जाएगा, तो भी कुछ तो लेगा, अमीर होगा तो ज्यादा खर्चा करेगा | और tourism के द्वारा बहुत रोज़गार की संभावना है | विश्व की तुलना में भारत tourism में अभी बहुत पीछे है | लेकिन हम सवा-सौ करोड़ देशवासी, हम तय करें कि हमें अपने tourism को बल देना है, तो हम दुनिया को आकर्षित कर सकते हैं | विश्व के tourism के एक बहुत बड़े हिस्से को हमारी ओर आकर्षित कर सकते हैं और हमारे देश के करोड़ो-करोड़ों नौजवानों को नये रोज़गार के अवसर उपलब्ध करा सकते हैं | सरकार हो, संस्थायें हों, समाज हो, नागरिक हों, हम सबने मिल करके करने का ये काम है | आइए, हम उस दिशा में कुछ प्रयास करें |

                   मेरे युवा दोस्तो, छुट्टियाँ ऐसे ही आ कर चली जाएं, ये बात मुझे अच्छी नहीं लगती | आप भी इस दिशा में सोचिए | क्या आपकी छुट्टियाँ, ज़िन्दगी के महत्वपूर्ण वर्ष और उसका भी महत्वपूर्ण समय ऐसे ही जाने दोगे क्या ? मैं आपको सोचने के लिए एक विचार रखता हूँ | क्या आप छुट्टियों में एक हुनर, अपने व्यक्तित्व में एक नई चीज़ जोड़ने का संकल्प, ये कर सकते हैं क्या ? अगर आपको तैरना नहीं आता है, तो छुट्टियों में संकल्प कर सकते हैं, मैं तैरना सीख लूँ; साइकिल चलाना नहीं आता है, तो छुट्टियों मे तय कर लूँ, मैं साइकिल चलाऊं; आज भी मैं दो उंगली से कंप्यूटर को टाइप करता हूँ, क्या मैं टाइपिंग सीख लूँ ? हमारे व्यक्तित्व के विकास के लिए कितने प्रकार के कौशल है ? क्यों ना उसको सीखें ? क्यों न हमारी कुछ कमियों को दूर करें ? क्यों न हम अपनी शक्तियों में इजाफ़ा करें | Iअब सोचिए और कोई उसमें कोई बहुत बड़े classes चाहिए, कोई trainer चाहिए, बहुत बड़ी fees चाहिए, बड़ा budget चाहिए, ऐसा नहीं है | आप अपने अगल-बगल में भी, मान लीजिये, आप तय करें कि मैं waste में से best बनाऊंगा I| कुछ देखिये और उसमें से बनाना शुरू कर दीजिये, देखिये, आप को आनंद आयेगा | शाम होते-होते देखिये, ये कूड़े-कचरे में से आपने क्या बना दिया | आप को painting का शौक है, आता नहीं है, अरे तो शुरू कर दीजिये ना ! आ जायेगा | आप अपनी छुट्टियों का समय अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए, अपने पास कोई एक नये हुनर के लिए, अपने कौशल-विकास के लिए अवश्य करें | और अनगिनत क्षेत्र हो सकते हैं, जरुरी नहीं है कि मैं जो गिना रहा हूँ, वही क्षेत्र हो सकते हैं | और आपके व्यक्तित्व की पहचान उससे, और उससे आप का आत्मविश्वास इतना बढ़ेगा, इतना बढ़ेगा, एक बार देख लीजिए और  जब छुट्टियों के बाद स्कूल में वापिस जाओगे, कॉलेज मे वापिस जाओगे और अपने साथियों को कहोगे कि भाई, मैंने तो छुट्टियों में ये सीख लिया और अगर उसने नहीं सीखा होगा, तो वो सोचेगा कि यार, मेरा तो बर्बाद हो गया, तुम बड़े पक्के हो यार, कुछ करके आ गए | ये अपने साथियों में सहज बात होगी | मुझे विश्वास है कि आप ज़रूर करेंगे और मुझे बताइए, आपने क्या सीखा ? बतायेंगे ना !

इस बार ‘मन की बात’ में MyGov पर कई सुझाव आए हैं: -
# “मेरा नाम अभि चतुर्वेदी है | नमस्ते प्रधानमंत्री जी, आपने पिछली गर्मियों की छुट्टियों में बोला कि चिड़ियों को भी गर्मी लगती है, तो हमें एक बर्तन में पानी रखकर अपनी बालकनी में या छत पर रख देना चाहिए, जिससे चिड़ियाँ आकर पानी पी लें | मैंने ये काम किया और मेरे को आनंद आया | इसी बहाने मेरी बहुत सारी चिड़ियों से दोस्ती हो गई | मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप इस कार्य को वापस ‘मन की बात’ में दोहराएँ, धन्यवाद |

                      मेरे प्यारे देशवासियो, मैं अभि चतुर्वेदी, एक बालक का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ | उसने मुझे ये फ़ोन करके एक अच्छा काम याद करवा दिया | पिछली बार तो मुझे याद था Iऔर मैंने कहा था कि गर्मियों के दिनों मे पक्षियों के लिए अपने घर के बाहर मिट्टी के बर्तन में पानी रखें | अभि ने मुझे बताया कि वो साल भर से इस काम को कर रहा है और उसकी कई चिड़िया उसकी दोस्त बन गई हैं |I हिन्दी की महान कवि महादेवी वर्मा, वो पक्षियों को बहुत प्यार करती थीं | I उन्होंने अपनी कविता में लिखा था – “तुझको दूर न जाने देंगे, दानों से आंगन भर देंगे और हौद में भर देंगे हम, मीठा-मीठा ठंडा पानी |I आइए, महादेवी जी की इस बात को हम भी करें I मैं अभि को अभिनन्दन भी देता हूँ और आभार भी व्यक्त करता हूँ कि तुमने मुझे बहुत महत्वपूर्ण बात याद कराई I

          मैसूर से शिल्पा कुके, उन्होंने एक बड़ा संवेदनशील मुद्दा हम सब के लिये रखा है |I उन्होंने कहा है कि हमारे घर के पास दूध बेचने वाले आते हैं, अख़बार बेचने वाले आते हैं, Postman आते हैं, Iकभी कोई बर्तन बेचने वाले वहाँ से गुजरते हैं, कपड़े बेचने वाले गुजरते हैं |I क्या कभी हमने उनको गर्मियों के दिनों मे पानी के लिए पूछा है क्या ? क्या कभी हमने उसको पानी offer किया है क्या ? शिल्पा, मैं आप का बहुत आभारी हूँ, आपने बहुत संवेदनशील विषय को बड़े सामान्य सरल तरीके से रख दिया | Iये बात सही है | बात छोटी होती है, लेकिन गर्मी के बीच अगर postman घर के पास आया और हमने पानी पिलाया, कितना अच्छा लगेगा उसको | खैर, भारत में तो ये स्वभाव है ही है, Iलेकिन शिल्पा, मैं आभारी हूँ कि तुमने इन चीज़ों को observe किया  I

                      मेरे प्यारे किसान भाइयो-बहनो, Digital India - Digital India आपने बहुत सुना होगा | कुछ लोगों को लगता है कि Digital India तो शहर के नौजवानों की दुनिया है | जी नहीं, आपको खुशी होगी कि एक ‘किसान सुविधा App’ आप सब की सेवा में प्रस्तुत किया है | ये ‘किसान सुविधा App’  के माध्यम से अगर आप उसको अपने Mobile Phone में download करते हैं, तो आपको कृषि सम्बन्धी, weather  सम्बन्धी बहुत सारी जानकारियाँ अपनी हथेली में ही मिल जाएँगी | बाज़ार का हाल क्या है, मंडियों में क्या स्थिति है, इन दिनों अच्छी फसल का क्या दौर चल रहा है, दवाइयां कौन-सी उपयुक्त होती हैं ? कई विषय उस पर हैं | इतना ही नहीं, इसमें एक बटन ऐसा है कि जो सीधा-सीधा आपको कृषि विज्ञानियों के साथ जोड़ देता है, expert के साथ जोड़ देता है | और आप अपना कोई सवाल उसके सामने रखोगे, तो वो जवाब देता है, समझाता है आपको | मैं आशा करता हूँ कि मेरे किसान भाई-बहन इस ‘किसान सुविधा App’ को अपने Mobile Phone पर download करें | और try तो कीजिए, उसमें से आपके काम कुछ  आता है क्या ? और फिर भी कुछ कमी महसूस होती है, तो आप मुझे शिकायत भी कर दीजिये |

                      मेरे किसान भाइयो-बहनो, बाकियों के लिये तो गर्मी छुट्टियों के लिये अवसर होता है | लेकिन किसान के लिये तो वो और पसीना बहाने का अवसर बन जाता है | वो वर्षा का इंतज़ार करता है और इंतज़ार के पहले किसान अपने खेत को तैयार करने के लिये जी-जान से जुट जाता है, ताकि वो बारिश की एक बूंद भी बर्बाद होने नहीं देना चाहता है |I किसानी के लिये किसानी के season शुरू होने से पहले का ये समय बड़ा महत्वपूर्ण होता है | लेकिन हम देशवासियों को भी सोचना होगा कि पानी के बिना क्या होगा ? क्या ये समय हम अपने तालाब, अपने यहाँ के पानी बहने के रास्ते, तालाबों में पानी आने के जो मार्ग होते हैं, जहाँ पर कूड़ा-कचरा या कुछ-न-कुछ encroachment हो जाता है, तो पानी आना बंद हो जाता है और उसके कारण जल-संग्रह धीरे-धीरे-धीरे कम होता जा रहा है | क्या हम उन पुरानी जगहों को फिर से एक बार खुदाई करके, सफ़ाई करके अधिक जल-संचय के लिये तैयार कर सकते हैं क्या ? जितना पानी बचाएंगे, तो पहली बारिश में भी अगर पानी बचा लिया, तालाब भर गए, हमारे नदी-नाले भर गए तो कभी पीछे बारिश रूठ भी जाए, तो हमारा नुकसान कम होता है |

इस बार आपने देखा होगा, 5 लाख तालाब, खेत-तालाब बनाने का बीड़ा उठाया है | मनरेगा से भी जल-संचय के लिए assets create करने की तरफ बल दिया है | गाँव-गाँव पानी बचाओ, आने वाली बारिश में बूँद-बूँद पानी कैसे बचाएँ | गाँव का पानी गाँव में रहे, ये अभियान कैसे चलाएँ | आप योजना बनाइए, सरकार की योजनाओं से जुड़िए, ताकि एक ऐसा जन-आंदोलन खड़ा करें, जिसके पानी का माहात्म्य भी समझें और पानी संचय के लिए हर कोई जुड़े | देश में कई ऐसे गाँव होंगे, कई ऐसे प्रगतिशील किसान होंगे, कई ऐसे जागरूक नागरिक होंगे, जिन्होंने इस काम को किया होगा | लेकिन फिर भी अभी और ज्यादा करने की आवश्यकता है |

मेरे किसान भाइयो-बहनो, मैं एक बार आज फिर से दोहराना चाहता हूँ | क्योंकि अभी पिछले दिनों भारत सरकार ने एक बहुत बड़ा किसान मेला लगाया था और मैंने देखा कि क्या-क्या आधुनिक technology आई है और कितना बदलाव आया है कृषि क्षेत्र में, लेकिन फिर भी अभी खेतों तक उसे पहुँचाना है और अब किसान भी कहने लगा है कि भई, अब तो fertiliser कम करना है | मैं इसका स्वागत करता हूँ | अधिक fertiliser के दुरुपयोग ने हमारी धरती माँ को बीमार कर दिया है और हम धरती माँ के बेटे हैं, सन्तान हैं, हम अपनी इस धरती माँ को बीमार कैसे देख सकते हैं | अच्छे मसाले डालें, तो खाना कितना बढ़िया बनता है, लेकिन अच्छे-से-अच्छे मसाले भी अगर ज़्यादा मात्रा में डाल दें, तो वो खाना खाने का मन करता है क्या ? वही खाना बुरा लगता है न ? ये fertiliser का भी ऐसा ही है, कितना ही उत्तम  fertiliser क्यों न हो, लेकिन हद से ज्यादा उपयोग करेंगे, तो वो बर्बादी का कारण बन जायेगा | हर चीज़ balanced होनी चाहिये और इससे खर्चा भी कम होगा, पैसे आपके बचेंगे | और हमारा तो मत है - कम cost, ज़्यादा output कम लागत, ज़्यादा पावत; इसी मंत्र को ले करके चलना चाहिए और वैज्ञानिक तौर-तरीकों से हमें अपनी कृषि को आगे बढ़ाना चाहिए | मैं आशा करता हूँ कि जल संचय में जो भी आवश्यक काम करना पड़े, हमारे पास एक-दो महीने हैं बारिश आने तक, हम पूरे मनोयोग से इसको करें | जितना पानी बचेगा, किसानी को उतना ही ज़्यादा लाभ होगा, ज़िन्दगी उतनी ही ज़्यादा बचेगी |

मेरे प्यारे देशवासियो, 7 अप्रैल को ‘World Health Day है और इस बार दुनिया ने ‘World Health Day’ को 'Beat Diabities’ - इस theeme पर केन्द्रित किया है | Diabetes को परास्त करिए | Diabetes एक ऐसा मेज़बान है कि वो हर बीमारी की मेज़बानी करने के लिए आतुर रहता है | एक बार अगर Diabetes घुस गया, तो उसके पीछे ढेर सारे बीमारी रूपी मेहमान अपने घर में, शरीर में घुस जाते हैं | कहते हैं 2014 में भारत में क़रीब साढ़े छः करोड़ Diabetes के मरीज थे | 3 प्रतिशत मृत्यु का कारण कहते हैं कि Diabetes पाया गया | और  Diabetes es के दो प्रकार होते हैं, एक Type-1, Type-2 | Type- 1 में वंशगत रहता है, hereditary है, माता-पिता को है, इसलिए बालक को होता है | और Type-2 आदतों के कारण, उम्र के कारण, मोटापे के कारण | हम उसको निमंत्रण देकर के बुलाते हैं | दुनिया Diabetes से चिंतित है, इसलिए 7 तारीख़ को ‘World Health Day’ में इसको theme रखा गया है | हम सब जानते हैं कि हमारी life style उसके लिए सबसे बड़ा कारण है | शारीरिक श्रम कम हो रहा है | पसीने का नामो-निशान नहीं है, चलना-फिरना हो नहीं रहा है | खेल भी खेलेंगे, तो online खेलते है, off-line कुछ नहीं हो रहा है | क्या हम 7 तारीख से कुछ प्रेरणा ले कर के अपने निजी जीवन में Diabetes को परास्त करने के लिए कुछ कर सकते हैं क्या ? आपको योग में रूचि है, तो योग कीजिए, नहीं तो कम-से-कम दौड़ने-चलने के लिए तो जाइए | अगर मेरे देश का हर नागरिक स्वस्थ होगा, तो मेरा भारत भी तो स्वस्थ होगा | कभी-कभार हम संकोचवश medical check-up नहीं करवाते हैं | और फिर बहुत बुरे हाल होने के बाद ध्यान में आता है कि ओह-हो, मेरा तो बहुत पुराना Diabetes था | Check करने में क्या जाता है, इतना तो कर लीजिए और अब तो सारी बातें उपलब्ध हैं | बहुत आसानी से हो जाती हैं | आप ज़रूर उसकी चिंता कीजिए |

          24 मार्च को दुनिया ने TB Day मनाया | जब मैं छोटा था, तो TB का नाम सुनते ही डर जाते थे | ऐसा लगता था कि बस, अब तो मौत आ गई | लेकिन अब TB से डर नहीं लगता है | क्योंकि सबको मालूम है कि TBT का उपचार हो सकता है और आसानी से हो सकता है | लेकिन जब TB और मौत जुड़ गए थे, तो हम डरते थे, लेकिन अब BTB के प्रति हम बेपरवाह हो गए हैं | दुनिया की तुलना में TB के मरीजों की संख्या हमारे यहाँ बहुत है | TBTB से अगर मुक्ति पानी है, तो एक तो correct treatment चाहिये और complete treatment चाहिये | सही उपचार हो और पूरा उपचार हो | बीच में से छोड़ दिया, तो वो मुसीबत नई पैदा कर देता है | अच्छा, TB तो एक ऐसी चीज़ है कि अड़ोस-पड़ोस के लोग भी तय कर सकते हैं, अरे भई, check करो, देखो तो, TBTB हो गया होगा | खांसी आ रही है, बुखार रहता है, वज़न कम होने लगता है | तो अड़ोस-पड़ोस को भी पता चल जाता है कि देखो यार, उसको TB तो कहीं TB-वीबी तो नहीं हुआ | इसका मतलब हुआ कि ये बीमारी ऐसी है कि जिसकी जल्द जाँच की जा सकती है |

          मेरे प्यारे देशवासियो, इस दिशा में बहुत काम हो रहा है | तेरह हज़ार पांच सौ से अधिक Microscopy Centre हैं | चार लाख से अधिक DOTS provider हैं | अनेक advanced lab हैं और सारी सेवायें मुफ़्त में हैं | आप एक बार जाँच तो करवा लीजिए और ये बीमारी जा सकती है | बस, सही उपचार हो और बीमारी नष्ट होने तक उपचार जारी रहे | मैं आपसे आग्रह करूँगा कि चाहे TB हो या Diabetes हो, हमें उसे परास्त करना है | भारत को हमें इन बीमारियों से मुक्ति दिलानी है | लेकिन ये सरकार-डॉक्टर-दवाई से नहीं होता है, जब तक कि आप न करें | और इसलिए मैं आज मेरे देशवासियों से आग्रह करता हूँ कि हम Diabetes  को परास्त करें, TB से मुक्ति पाएँ |

                      मेरे प्यारे देशवासियो, अप्रैल महीने में कई महत्वपूर्ण अवसर आ रहे हैं | विशेषकर 14 अप्रैल, भीमराव बाबा साहब अम्बेडकर का जन्मदिन | उनकी 125वीं जयंती साल भर पूरे देश में मनाई गई |  एक पंचतीर्थ – महू उनका जन्म स्थान, London में उनकी शिक्षा हुई, नागपुर में उनकी दीक्षा हुई, 26, अलीपुर रोड, दिल्ली में उनका महापरिनिर्वाण हुआ और मुंबई में जहाँ उनका अन्तिम संस्कार हुआ, वो चैत्य भूमि | इन पाँचों तीर्थ के विकास के लिए हम लगातार कोशिश कर रहे हैं | मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस वर्ष 14 अप्रैल को पूज्य बाबा साहब अम्बेडकर की जन्मस्थली महू जाने का सौभाग्य मिल रहा है | एक उत्तम नागरिक बनने के लिए बाबा साहब ने हमें बहुत-कुछ दिया है | उस रास्ते पर चल कर के, एक उत्तम नागरिक बन कर के उनको हम बहुत बड़ी श्रद्धांजलि दे सकते हैं |

          कुछ ही दिनों में, विक्रम संवत की शुरुआत होगी | नया विक्रम संवत आएगा | अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रूप से मनाया जाता है | कोई इसे नव संवत्सर कहता है, कोई गुड़ी-पड़वा कहता है, कोई वर्ष प्रतिप्रदा कहता है, कोई उगादी कहता है | लेकिन हिन्दुस्तान के क़रीब-क़रीब सभी क्षेत्रों में इसका माहात्म्य है | मेरी नव-वर्ष के लिए सब को बहुत-बहुत शुभकामनायें हैं |

       आप जानते हैं, मैंने पिछली बार भी कहा था कि मेरे मन की बात को सुनने के लिए, कभी भी सुन सकते हैं, क़रीब-क़रीब 20 भाषाओँ में सुन सकते हैं, आपके अपने समय पर सुन सकते हैं, आपके अपने मोबाइल फ़ोन पर सुन सकते हैं | बस, सिर्फ आपको एक missed call करना होता है | और मुझे ख़ुशी है कि इस सेवा का लाभ, अभी तो एक महीना मुश्किल से हुआ है, लेकिन 35 लाख लोगों ने इसका फ़ायदा उठाया | आप भी नंबर लिख लीजिए - 81908-81908 | मैं repeat करता हूँ, 81908-81908 | आप missed call करिए और जब भी आपकी सुविधा हो, पुरानी मन की बात भी सुनना चाहते हो, तो भी सुन सकते हो, आपकी अपनी भाषा में सुन सकते हो | मुझे ख़ुशी होगी आपके साथ जुड़े रहने की |

          मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनायें | बहुत-बहुत धन्यवाद |      


Listen here -> https://youtu.be/oPnycY9S33M

Thursday 10 March 2016

“Ganga Ka Aabhushan: Gangeya Dolphin”, unique feature on dolphins by All India Radio

“Ganga Ka Aabhushan: Gangeya Dolphin”, unique feature on dolphins by All India Radio

Akashvani’s Central Hindi feature Unit brings an unusual story “Ganga Ka Aabhushan: Gangeya Dolphin”. The feature is mainly based on the conservation efforts to save the Ganges Dolphins in Vikramshila Gangetic Dolphin Sanctuary in Bihar, and is scheduled to be broadcast on 10th March 2016 on the Indraprastha Channel and other frequencies at 9:30pm, and will also be available on the Sound Cloud https://soundcloud.com/allindiaradio-air . The feature is written by Prof. Sunil Kumar Choudhary , Chief Co-ordinator, Vikramshila Dolphin Sanctuary, located in Bhagalpur, Bihar and produced by Naomi Shanti Hembram (AIR, Bhagalpur).

The feature focuses on the life and an unknown threat faced by the beautiful Ganges Dolphins, popularly known as ‘Soans’. Ganges River Dolphins prefer to live in deep waters, in and around the confluence of two or more rivers. The distribution range of the Ganges River Dolphins in India covers seven states: Assam, Uttar Pradesh, Madhya Pradesh, Rajasthan, Bihar, Jharkhand and West Bengal. Their ideal habitat in this river along the tributaries are the Upper Ganga River (in Uttar Pradesh), Chambal River (Madhya Pradesh and Uttar Pradesh), Ghaghra and Gandak Rivers (Bihar and Uttar Pradesh), Ganga River, from Varanasi to Patna (Uttar Pradesh and Bihar), from Sultanganj to Kahalgaon (Vikramshila Gangetic Dolphin Sanctuary, Bihar) Sone and Kosi rivers (Bihar), Brahmaputra from Sadia (foothills of Arunachal Pradesh) upto Dhubri (on the Bangladesh Border) and Kulsi River, a tributary of the Brahmaputra river.

Recently the changing lifestyle, fishing and change in the course of river Ganges, have posed a threat for this friendly mammal. To protect and preserve their natural habitat, Government and many non-profit organizations have taken up measures to spread awareness and to step up conservation projects.
All India Radio’s Central Hindi feature Unit has tried to capture the story and bring it to listeners with an aim to spread awareness about this threat. The unit has always been popular for its outstanding contribution towards social issues and has brought into limelight several silent social endeavours that are changing the face of our society in different parts of the country.  It has been active since 1968, and has scripted many bold and life altering socially relevant stories. This is yet another effort by the unit to let us know about our heritage which is mute but live and brings life in the majestic river The Ganges.