Sunday 24 June 2018

‘मन की बात’ (45वीं कड़ी) प्रसारण तिथि: 24.06.2018


‘मन की बात’ (45वीं कड़ी)
प्रसारण तिथि: 24.06.2018

नमस्कार | मेरे प्यारे देशवासियो! आज फिर एक बार ‘मन की बात’ के इस कार्यक्रम में आप सबके साथ रूबरू होने का सौभाग्य मिला है | अभी कुछ दिन पहले बेंगलुरु में एक ऐतिहासिक क्रिकेट मैच हुआ | आप लोग भली-भांति समझ गए होंगे कि मैं भारत और अफगानिस्तान के टेस्ट मैच की बात कर रहा हूँ | यह अफगानिस्तान का पहला अन्तर्राष्ट्रीय मैच था और यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि अफगानिस्तान का यह ऐतिहासिक मैच भारत के साथ था | इस मैच में दोनों ही टीमों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और दूसरे अफगानिस्तान के ही एक बॉलर राशिद खान ने तो इस वर्ष IPL में भी काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया था और मुझे याद है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति श्रीमान अशरफ़ गनी ने मुझे tag कर अपने twitter पर लिखा था – “अफगानिस्तान के लोगों को अपने हीरो राशिद खान पर अत्यंत गर्व है |” मैं हमारे भारतीय मित्रों का भी आभारी हूँ, जिन्होंने हमारे खिलाड़ियों को अपना कौशल दिखाने के लिए एक platform प्रदान किया है | अफगानिस्तान में जो श्रेष्ठ है राशिद उसका प्रतिनिधित्व करता है | वह cricket की दुनिया का asset है और इसके साथ-साथ उन्होंने थोड़ा मजाकिये अंदाज़ में ये भी लिखा – “नहीं हम उसे किसी को देने वाले नहीं हैं |” यह मैच हम सभी के लिए एक यादगार रहेगा | खैर ये पहला मैच था इसलिए याद रहना तो बहुत स्वाभाविक है लेकिन मुझे ये मैच किसी एक विशेष कारण से याद रहेगा | भारतीय टीम ने कुछ ऐसा किया, जो पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है | भारतीय टीम ने ट्रॉफी लेते समय एक विजेता टीम क्या कर सकती है – उन्होंने क्या किया! - भारतीय टीम ने ट्रॉफी लेते समय, अफगानिस्तान की टीम जो कि पहली बार अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेल रही थी, अफगानिस्तान की टीम को आमंत्रित किया और दोनों टीमों ने साथ में फोटो ली | sportsman sprit क्या होता है, sportsmanship क्या होती है - इस एक घटना से हम अनुभव कर सकते हैं | खेल समाज को एकजुट करने और हमारे युवाओं का जो कौशल है, उनमें जो प्रतिभा है, उसे खोज निकालने का एक बेहरतीन तरीक़ा है | भारत और अफगानिस्तान दोनों टीमों को मेरी शुभकामनाएँ हैं | मुझे उम्मीद है हम आगे भी इसी तरह एक-दूसरे के साथ पूरे sportsman sprit के साथ खेलेंगे भी, खिलेंगे भी |

    मेरे प्यारे देशवासियो! इस 21 जून को चौथे ‘योग दिवस’ पर एक अलग ही नज़ारा था | पूरी दुनिया एकजुट नज़र आयी | विश्व-भर में लोगों ने पूरे उत्साह और उमंग के साथ योगाभ्यास किया | Bresil में  European Parliament हो, New York स्थित संयुक्तराष्ट्र का मुख्यालय हो, जापानी नौ-सेना के लड़ाकू जहाज़ हों, सभी जगह लोग योग करते नज़र आए | सऊदी अरब में पहली बार योग का ऐतिहासिक कार्यक्रम हुआ और मुझे बताया गया है कि बहुत सारे आसनों का demonstration तो महिलाओं ने किया | लद्दाख की ऊँची बर्फीली चोटियों पर भारत और चीन के सैनिकों ने एक-साथ मिलकर के योगाभ्यास किया | योग सभी सीमाओं को तोड़कर, जोड़ने का काम करता है | सैकड़ों देशों के हजारों उत्साही लोगों ने जाति, धर्म, क्षेत्र, रंग या लिंग हर प्रकार के भेद से परे जाकर इस अवसर को एक बहुत बड़ा उत्सव बना दिया | यदि दुनिया भर के लोग इतने उत्साहित होकर ‘योग दिवस’ के कार्यक्रमों में भाग ले रहे थे तो भारत में इसका उत्साह अनेक गुना क्यों नहीं होगा |

देश को गर्व होता है, जब सवा-सौ करोड़ लोग देखते हैं कि हमारे देश के सुरक्षा बल के जवान, जल-थल और नभ तीनों जगह योग का अभ्यास किया | कुछ वीर सैनिकों ने जहाँ पनडुब्बी में योग किया, वहीं कुछ सैनिकों ने सियाचीन के बर्फीले पहाड़ों पर योगाभ्यास किया | वायुसेना के हमारे योद्धाओं ने तो बीच आसमान में धरती से 15 हज़ार फुट की ऊंचाई पर योगासन करके सबको स्तब्ध कर दिया | देखने वाला नज़ारा यह था कि उन्होंने हवा में तैरते हुए किया, न कि हवाई जहाज़ में बैठकर के | स्कूल हो, कॉलेज हो, दफ्तर हो, पार्क हो, ऊँची ईमारत हो या खेल का मैदान हो, सभी जगह योगाभ्यास हुआ | अहमदाबाद का एक दृश्य तो दिल को छू लेने वाला था | वहाँ पर लगभग 750 दिव्यांग भाई-बहनों ने एक स्थान पर, एक साथ इकट्ठे योगाभ्यास करके विश्व कीर्तिमान बना डाला | योग ने जाति, पंथ और भूगोल से परे जाकर विश्व भर के लोगों को एकजुट होकर करने का काम किया है | ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के जिस भाव को हम सदियों से जीते आये हैं | हमारे ऋषि, मुनि, संत जिस पर हमेशा जोर देते हैं, योग ने उसे सही मायने में सिद्ध करके दिखाया है | मैं मानता हूँ कि आज योग एक wellness, revolution का काम कर रहा है | मैं आशा करता हूँ कि योग से wellness की जो एक मुहीम चली है, वो आगे बढ़ेगी | अधिक से अधिक लोग इसे अपने जीवन का हिस्सा बनायेंगे |

मेरे प्यारे देशवासियो! MyGov और NarendraModiApp पर कई लोगों ने मुझे लिखा है कि मैं इस बार की ‘मन की बात’ में 1 जुलाई को आने वाले Doctor’s Day के बारे में बात करूँ - सही बात है | हम मुसीबत के समय ही डॉक्टर को याद करते हैं लेकिन यह एक ऐसा दिन है, जब देश हमारे डॉक्टर्स की उपलब्धियों को celebrate करता है और समाज के प्रति उनकी सेवा और समर्पण के लिए उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद देता है | हम वो लोग हैं, जो स्वाभवतः माँ को भगवान के रूप में पूजते हैं, भगवान के बराबर मानते हैं क्योंकि माँ हमें जीवन देती है, माँ हमें जन्म देती है, तो कई बार डॉक्टर हमें पुनर्जन्म देता है | डॉक्टर की भूमिका केवल बीमारियों का इलाज़ करने तक सीमित नहीं है | अक्सर डॉक्टर परिवार के मित्र की तरह होते हैं | हमारे life style guides हैं – “They not only cure but also heal” | आज डॉक्टर के पास medical expertise तो होती ही है, साथ ही उनके पास general life style trends के बारे में, उसका हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, इन सबके बारे में गहरा अनुभव होता है | भारतीय डॉक्टरों ने अपनी क्षमता और कौशल से पूरे विश्व में अपनी पहचान बनायी है | medical profession में महारत, hardworking के साथ-साथ हमारे डॉक्टर complex medical problems को solve करने के लिए जाने जाते हैं | ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं सभी देशवासियों की तरफ़ से हमारे सभी डॉक्टर साथियों को आगामी 1 जुलाई को आने वाले ‘Doctor’s Day’ की ढेरों शुभकामनाएँ देता हूँ |


    मेरे प्यारे देशवासियो! हम ऐसे भाग्यवान लोग हैं जिनका इस भारत भूमि में जन्म हुआ है | भारत का एक ऐसा समृद्ध इतिहास रहा है, जब कोई ऐसा महीना नहीं है, कोई ऐसा दिन नहीं है, जिसमें कोई–न-कोई ऐतिहासिक घटना न घटी हो | देखें तो भारत में हर जगह की अपनी एक विरासत है | वहाँ से जुड़ा कोई संत है, कोई महापुरुष है, कोई प्रसिद्ध व्यक्ति है, सभी का अपना-अपना योगदान है, अपना महात्म्य है |
“प्रधानमंत्री जी नमस्कार! मैं डॉ. सुरेन्द्र मिश्र बोल रहा हूँ | हमें ज्ञात हुआ है कि 28 जून को आप मगहर आ रहे हैं | मैं मगहर के ही बगल में एक छोटे से गाँव टडवा, जो गोरखपुर में है, वहाँ का रहने वाला हूँ | मगहर कबीर की समाधि स्थली है और कबीर को लोग यहाँ पर सामाजिक समरसता के लिए याद रखते हैं और कबीर के विचारों पर हर स्तर पर चर्चा होती है | आपकी कार्ययोजना से इस दिशा में समाज के सभी स्तरों पर काफ़ी प्रभाव होगा | आपसे प्रार्थना है कि कृपया भारत सरकार की जो कार्ययोजना है, उसके बारे में अवगत करवाने की कृपा करें |”
आपके फ़ोन कॉल के लिए बहुत बहुत धन्यवाद | ये सही है कि मैं 28 तारीख़ को मगहर आ रहा हूँ और वैसे भी जब मैं गुजरात में था, गुजरात का कबीरवड तो आप भलीभांति जानते हैं | जब मैं वहाँ काम करता था तो मैंने एक संत कबीर की परंपरा से जुड़े लोगों का एक बड़ा, एक राष्ट्रीय अधिवेशन भी किया था | आप लोग जानते हैं, कबीरदास जी मगहर क्यों गए थे ? उस समय एक धारणा थी कि मगहर में जिसकी मृत्यु होती है, वह स्वर्ग नहीं जाता | इसके उलट काशी में जो शरीर त्याग करता है, वो स्वर्ग जाता है | मगहर को अपवित्र माना जाता था लेकिन संत कबीरदास इस पर विश्वास नहीं करते थे | अपने समय की ऐसी ही कुरीतियाँ और अंधविश्वासों को उन्होंने तोड़ने का काम किया और इसलिए वे मगहर गए और वहीँ उन्होंने समाधि ली | संत कबीरदास जी ने अपनी साखियों और दोहों के माध्यम से सामाजिक समानता, शांति और भाईचारे पर बल दिया | यही उनके आदर्श थे | उनकी रचनाओं में हमें यही आदर्श देखने को मिलते हैं और आज के युग में भी वे उतने ही प्रेरक है | उनका एक दोहा है:-
 “कबीर सोई पीर है, जो जाने पर पीर |
जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर ||
मतलब सच्चा पीर संत वही है जो दूसरो की पीड़ा को जानता और समझता है, जो दूसरे के दुःख को नहीं जानते वे निष्ठुर हैं | कबीरदास जी ने सामाजिक समरसता पर विशेष जोर दिया था | वे अपने समय से बहुत आगे सोचते थे | उस समय जब विश्व में अवनति और संघर्ष का दौर चल रहा था उन्होंने शांति और सद्भाव का सन्देश दिया और लोकमानस को एकजुट करके मतभेदों को दूर करने का काम किया |
“जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय |
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय ||”
एक अन्य दोहे में कबीर लिखते हैं -
 “जहां दया तहं धर्म है, जहां लोभ तहं पाप |
जहां क्रोध तहं काल है, जहां क्षमा तहं आप ||”
उन्होंने कहा:-
“जाति न पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान |
और लोगों से अपील की वे धर्म और जाति से ऊपर उठ कर लोगों को ज्ञान के आधार पर मानें, उनका सम्मान करें, उनकी बातें आज सदियों बाद भी उतनी ही प्रभावी है | अभी जब हम संत कबीरदास जी के बारे में बात कर रहे हैं तो मुझे उनका एक दोहा याद आता है | जिसमें वो कहते हैं:-
“गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय |
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय ||”
ऐसी होती है ये गुरु की महानता और ऐसे ही एक गुरु हैं, जगतगुरु – गुरु नानक देव | जिन्होंने कोटि-कोटि लोगों को सन्मार्ग दिखाया, सदियों से प्रेरणा देते रहें | गुरु नानक देव ने समाज में जातिगत भेदभाव को ख़त्म करने और पूरे मानवजाति को एक मानते हुए उन्हें गले लगाने की शिक्षा दी | गुरु नानक देव कहते थे गरीबों और जरुरतमंदों की सेवा ही भगवान की सेवा है | वे जहाँ भी गए उन्होंने समाज की भलाई के लिए कई पहल की | सामाजिक भेदभाव से मुक्त रसोई की व्यवस्था जहाँ हर जाति, पंथ, धर्म या सम्प्रदाय का व्यक्ति आकर खाना खा सकता था | गुरु नानक देव ने ही तो इस लंगर व्यवस्था की शुरुआत की | 2019 में गुरु नानक देव जी का 550वाँ प्रकाश पर्व मनाया जाएगा | मैं चाहता हूँ हम सब लोग उत्साह और उमंग के साथ इससे जुड़े | आप लोगो से भी मेरा आग्रह गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर पूरे समाज में और विश्वभर में इसे कैसे मनाया जाए, नए-नए ideas क्या हों, नए-नए सुझाव क्या हों, नई-नई कल्पनाएँ क्या हों, उस पर हम सोचें, तैयारियाँ करें और बड़े गौरव के साथ उसको हम सब, इस प्रकाश पर्व को प्रेरणा पर्व भी बनाएं |

    मेरे प्यारे देशवासियो! भारत की आज़ादी का संघर्ष बहुत लम्बा है, बहुत व्यापक है, बहुत गहरा है, अनगिनत शाहदतों से भरा हुआ है | पंजाब से जुड़ा एक और इतिहास है | 2019 में जलियांवाला बाग़ की उस भयावह घटना के भी 100 साल पूरे हो रहे हैं जिसने पूरी मानवता को शर्मसार कर दिया था | 13 अप्रैल, 1919 का वो काला दिन कौन भूल सकता है जब power का दुरुपयोग करते हुए क्रूरता की सारी हदें पार कर निर्दोष, निहत्थे और मासूम लोगों पर गोलियाँ चलाई गयी थी | इस घटना के 100 वर्ष पूरे होने वाले हैं | इसे हम कैसे स्मरण करें, हम सब इस पर सोच सकते हैं, लेकिन इस घटना ने जो अमर सन्देश दिया, उसे हम हमेशा याद रखें | ये हिंसा और क्रूरता से कभी किसी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता | जीत हमेशा शांति और अहिंसा की होती है, त्याग और बलिदान की होती है | 
 
मेरे प्यारे देशवासियो! दिल्ली के रोहिणी के श्रीमान रमण कुमार ने ‘Narendra Modi Mobile App’ पर लिखा है कि आने वाली 6 जुलाई को डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिन है और वे चाहते हैं इस कार्यक्रम में डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में देशवासियों से बात करूँ | रमण जी सबसे पहले तो आपको बहुत-बहुत धन्यवाद | भारत के इतिहास में आपकी रूचि देखकर काफ़ी अच्छा लगा | आप जानते हैं, कल ही डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि थी 23, जून को | डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी कई क्षेत्रों से जुड़े रहे लेकिन जो क्षेत्र उनके सबसे करीब रहे वे थे education, administration और parliamentary affairs, बहुत कम लोगों को पता होगा कि वे कोलकाता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के Vice Chancellor थे | जब वे Vice Chancellor बने थे तब उनकी उम्र मात्र 33 वर्ष थी | बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि 1937 में डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के निमंत्रण पर श्री गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कोलकाता विश्वविद्यालय में convocation को बांग्ला भाषा में संबोधित किया था | यह पहला अवसर था, जब अंग्रेजों की सल्तनत थी और कोलकाता विश्वविद्यालय में किसी ने बांग्ला भाषा में convocation को संबोधित किया था | 1947 से 1950 तक डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के पहले उद्योग मंत्री रहे और एक अर्थ में कहें तो उन्होंने भारत का औद्योगिक विकास का मज़बूत शिलान्यास किया था, मज़बूत base तैयार किया था, एक मज़बूत platform तैयार किया था | 1948 में आई स्वतंत्र भारत की पहली औद्योगिक नीति उनके ideas और visions की छाप लेकर के आई थी | डॉ० मुखर्जी का सपना था भारत हर क्षेत्र में औद्योगिक रूप से आत्मनिर्भर हो, कुशल और समृद्ध हो | वे चाहते थे कि भारत बड़े उद्योगों को develop करे और साथ ही MSMEs, हथकरघा, वस्त्र और कुटीर उद्योग पर भी पूरा ध्यान दे | कुटीर और लघु उद्योगों के समुचित विकास के लिए उन्हें finance और organization setup मिले, इसके लिए 1948 से 1950 के बीच All India Handicrafts Board, All India Handloom Board और Khadi & Village Industries Board की स्थापना की गई थी | डॉ० मुखर्जी का भारत के रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण पर भी विशेष ज़ोर था | Chittaranjan Locomotive Works Factory, Hindustan Aircraft Factory, सिंदरी का खाद कारखाना और दामोदर घाटी निगम, ये चार सबसे सफ़ल और बड़े projects और दूसरे river valley projects की स्थापना में डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बहुत बड़ा योगदान था | पश्चिम बंगाल के विकास को लेकर वे काफ़ी passionate थे | उनकी समझ, विवेक और सक्रियता का ही परिणाम है कि बंगाल का एक हिस्सा बचाया जा सका और वह आज भी भारत का हिस्सा है | डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के लिए, जो सबसे महत्वपूर्ण बात थी, वो थी भारत की अखंडता और एकता - और इसी के लिए 52 साल की कम उम्र में ही उन्होंने अपनी जान भी गवानी पड़ी | आइये! हम हमेशा डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एकता के सन्देश को याद रखें, सद्भाव और भाईचारे की भावना के साथ, भारत की प्रगति के लिए जी-जान से जुटे रहें |
    मेरे प्यारे देशवासियो! पिछले कुछ सप्ताह में मुझे video call के माध्यम से सरकार की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों से संवाद करने का अवसर मिला | फाइलों से परे जाकर लोगों की life में जो बदलाव आ रहे हैं, उनके बारे में सीधा उन्हीं से जानने का अवसर मिला | लोगों ने अपने संकल्प, अपने सुख-दुःख, अपनी उपलब्धियों के बारे में बताया | मैं मानता हूँ कि मेरे लिए यह महज एक सरकारी कार्यक्रम नहीं था बल्कि यह एक अलग तरह का learning experience था और इस दौरान लोगों के चेहरे पर जो खुशियाँ देखने को मिली, उससे बड़ा संतोष का पल किसी की भी ज़िन्दगी में क्या हो सकता है? जब एक सामान्य मानवी(मानव) की कहानियाँ सुनता था | उनके भोले-भाले शब्द अपने अनुभव की कथा वो जो कह रहे थे, दिल को छू जाती थी | दूर-सुदूर गांवों में बेटियाँ common service centre के माध्यम से गांवों के बुज़ुर्गों की pension से लेकर passport बनवाने तक की सेवाएँ उपलब्ध करवा रही हैं | जब छत्तीसगढ़ की कोई बहन सीताफल को collect कर उसकी ice-cream  बनाकर व्यवसाय करती हो | झारखंड में अंजन प्रकाश की तरह देश के लाखों युवा-जन औषधि केंद्र चलाने के साथ-साथ आस-पास के गावों में जाकर सस्ती दवाइयाँ उपलब्ध करवा रहे हों | वहीं पश्चिम बंगाल का कोई नौजवान दो-तीन साल पहले नौकरी ढूंढ रहा हो और अब वह केवल अपना सफल व्यवसाय कर रहा है; इतना ही नहीं, दस-पंद्रह लोगों को और नौकरी भी दे रहा है | इधर तमिलनाडु, पंजाब, गोवा के स्कूल के छात्र अपनी छोटी उम्र में स्कूल की tinkering lab में waste management जैसे important topic पर काम कर रहे हों | न जाने कितनी-कितनी कहानियाँ थी | देश का कोई कोना ऐसा नहीं होगा जहाँ लोगों को अपनी सफलता की बात कहनी न हो | मुझे खुशी इस बात की है इस पूरे कार्यक्रम में सरकार की सफलता से ज़्यादा सामान्य मानवी (मानव) की सफलता की बातें देश की शक्ति, नए भारत के सपनों की शक्ति, नए भारत के संकल्प की शक्ति - इसे मैं अनुभव कर रहा था | समाज में कुछ लोग होते हैं | वह जब तक निराशा की बातें न करें, हताशा की बातें न करें, अविश्वास पैदा करने का प्रयास न करें, जोड़ने के बजाय तोड़ने के रास्ते न खोजें, तब तक उनको चैन नहीं होता है | ऐसे वातावरण में सामान्य मानवी (मानव) जब नई आशा, नया उमंग और अपने जीवन में घटी घटनाओं की बात लेकर के आता है तो वह सरकार का श्रेय नहीं होता | दूर-सुदूर एक छोटे से गाँव की छोटी सी बालिका की घटना भी सवा-सौ करोड़ देशवासियों के लिए प्रेरणा बन जाती है | मेरे लिए technology की मदद से, video bridge के माध्यम से लाभार्थियों के साथ समय बिताने का एक पल बहुत ही सुखद, बहुत ही प्रेरक रहा है और इससे कार्य करने का संतोष तो मिलता ही है लेकिन और अधिक कार्य करने का उत्साह भी मिलता है | ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के लिए ज़िन्दगी खपाने का एक और नया आनंद, एक और नया उत्साह, एक और नई प्रेरणा प्राप्त होती है | मैं देशवासियों का बहुत आभारी हूँ | 40-40, 50-50 लाख लोग इस video bridge के कार्यक्रम में जुड़े और मुझे नई ताक़त देने का काम आपने किया | मैं फिर एक बार आप सबका आभार व्यक्त करना चाहता हूँ |

मेरे प्यारे देशवासियो ! मैं हमेशा अनुभव करता हूँ, अगर हम हमारे आस-पास देखें तो कहीं-न-कहीं कुछ-न-कुछ अच्छा होता है | अच्छा करने वाले लोग होते हैं | अच्छाई की सुगंध हम भी अनुभव कर सकते हैं | पिछले दिनों एक बात मेरे ध्यान में आई और यह बड़ा अनोखा combination है | इसमें एक तरफ़ जहाँ professionals और engineers हैं वहीं दूसरी तरफ खेत में काम करने वाले, खेती से जुड़े हमारे किसान भाई-बहन हैं | अब आप सोच रहें होंगे कि यह तो दो बिल्कुल अलग-अलग व्यवसाय हैं - इनका क्या संबंध? लेकिन ऐसा है, बेंगलुरु में corporate professionals, IT engineers साथ आये | उन्होंने मिलकर के एक सहज ‘समृद्धि ट्रस्ट’ बनाया है और उन्होंने किसानों की आय दोगुनी हो, इसके लिए इस ट्रस्ट को activate किया | किसानों से जुड़ते गए, योजनाएँ बनाते गए और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सफल प्रयास करते रहे | खेती के नए गुण सिखाने के साथ-साथ जैविक खेती कैसे की जाए? खेतों में एक फसल के साथ-साथ और भी फसल कैसे उगाई जाए? ये ट्रस्ट के द्वारा इन professional, engineer, technocrat के द्वारा किसानों को training दी जाने लगी | पहले जो किसान अपने खेतों में एक ही फसल पर निर्भर हुआ करते थे | उपज भी अच्छी नहीं होती थी और मुनाफ़ा भी ज़्यादा नहीं होता था | आज वह न केवल सब्जियाँ उगा रहें हैं और बल्कि अपनी सब्जियों की marketing भी ट्रस्ट के माध्यम से कर के, अच्छे दाम पा रहे हैं | अनाज़ उत्पादन करने वाले किसान भी इससे जुड़ें हुए हैं | एक तरफ फसल के उत्पाद से लेकर के marketing तक पूरी chain में किसानों की एक प्रमुख भूमिका है तो दूसरी तरफ मुनाफ़े में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित उनका हक़ सुनिश्चित करने का प्रयास है | फसल अच्छी हो, उसके लिए अच्छी नस्ल की बीजें हों | इसके लिए अलग सीड-बैंक बनाया गया है | महिलाएँ इस सीड-बैंक का कामकाज देखती हैं | महिलाओं को भी जोड़ा गया है | मैं इन युवाओं को इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और मुझे खुशी है कि professionals, technocrat, engineering की दुनिया से जुड़े इन नौजवानों ने अपने दायरे से बाहर निकल कर के किसान के साथ जुड़ना, गाँव के साथ जुड़ना, खेत और खलिहान के साथ जुड़ने का जो रास्ता अपनाया है | मैं फिर एक बार मेरे देश की युवा-पीढ़ी को उनके इस अभिनव प्रयोगों, को कुछ जो शायद मैंने जाना होगा, कुछ नहीं जाना होगा, कुछ लोगों को पता होगा, कुछ पता नहीं होगा लेकिन निरंतर कोटि-कोटि लोग कुछ-न-कुछ अच्छा कर रहे हैं, उन सबको मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामना हैं |  

मेरे प्यारे देशवासियो ! GST को एक साल पूरा होने वाला है ‘One Nation, One Tax’ देश के लोगों का सपना था, वो आज हक़ीक़त में बदल चुका है | One Nation One Tax reform, इसके लिए अगर मुझे सबसे ज्यादा किसी को credit देनी है तो मैं राज्यों को credit देता हूँ | GST Cooperative federalism का एक बेहतरीन उदाहरण है, जहाँ सभी राज्यों ने मिलकर देशहित में फ़ैसला लिया और तब जाकर देश में इतना बड़ा tax reform लागू हो सका | अब तक GST Council की 27 meeting हुई हैं और हम सब गर्व कर सकते हैं कि भिन्न-भिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोग वहाँ बैठते हैं, भिन्न-भिन्न राज्यों के लोग बैठते हैं, अलग-अलग priority वाले राज्य होते हैं लेकिन उसके बावजूद भी GST Council में अब तक जितने भी निर्णय किये गए हैं, वे सारे के सारे सर्वसहमति से किये गए हैं | GST से पहले देश में 17 अलग-अलग प्रकार के tax हुआ करते थे लेकिन इस व्यवस्था में अब सिर्फ़ एक ही tax पूरे देश में लागू है | GST ईमानदारी की जीत है और ईमानदारी का एक उत्सव भी है | पहले देश में काफ़ी बार tax के मामले में इंस्पेक्टरराज की शिकायतें आती रहती थी | GST में इंस्पेक्टर की जगह IT ने information technology ने ले ली है | return से लेकर refund तक सब कुछ online information technology के द्वारा होता है | GST के आने से check post ख़त्म हो गई और माल सामानों की आवाजाही तेज़ हो गई, जिससे न सिर्फ़ समय बच रहा है बल्कि logistics क्षेत्र में भी इसका काफ़ी लाभ मिल रहा है | GST शायद दुनिया का सबसे बड़ा tax reform होगा | भारत में इतना बड़ा tax reform सफ़ल इसलिए हो पाया क्योंकि देश के लोगों ने इसे अपनाया और जन-शक्ति के द्वारा ही GST की सफ़लता सुनिश्चित हो सकी | आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि इतना बड़ा reform, इतना बड़ा देश, इतनी बड़ी जनसंख्या इसको पूर्ण रूप से स्थिर होने में 5 से 7 साल का समय लगता है लेकिन देश के ईमानदार लोगों का उत्साह, देश की ईमानदारी का उत्सव जन-शक्ति की भागीदारी का नतीज़ा है कि एक साल के भीतर-भीतर बहुतेक मात्रा में ये नई कर प्रणाली अपनी जगह बना चुकी है, स्थिरता प्राप्त कर चुकी है और आवश्यकता के अनुसार अपनी inbuilt व्यवस्था के द्वारा वो सुधार भी करती रहती है | ये अपने आप में एक बहुत बड़ी सफ़लता सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने अर्जित की है |

मेरे प्यारे देशवासियो! फिर एक बार ‘मन की बात’ को पूर्ण करते हुए अगले ‘मन की बात’ का इंतज़ार कर रहा हूँ, आपसे मिलने का, आपसे बातें करने का | आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |
बहुत-बहुत धन्यवाद |
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Friday 8 June 2018

ISBS to AIR :82 years on...

“Splendid!” I said, “And what beautiful initials!” The Viceroy concluded that he had invented it. And there was no more trouble.
          Thus All India Radio was born.”





Organized broadcasting in India began in Bombay when the first station of the Indian Broadcasting Company (IBC) was inaugurated by the British Viceroy of India, Lord Irwin on July 23rd 1927. Calcutta soon got its own station on August 26, 1927. These stations operated on medium wave of 1.5 kw of power. Radio Broadcasts by the end of the year reached about 3500 license holders.
However in a tragic turn of events, the IBC went bankrupt owing to under-capitalisation and high price of receiving sets. The liquidation of the company led to many representations to the government for the continuance of the service.  The government decided to take over the stations at Bombay and Calcutta at the depreciated value of its assets and staff at the existing terms of the company.  Thus from April 1, 1930 broadcasting in India came under the direct control of the government.  It was placed in the Department of Industries and Labour under the designation ‘Indian Broadcasting Service’. Faced with financial stringency, the government reduced IBC’s monthly expenditure to Rs. 2400 and then further to Rs. 2200.  Faced with ‘recession’, the government eventually decided to close down the broadcasting service. 
The decision naturally caused widespread resentment and certain amount of agitation especially in Bengal.  The Government of India therefore decided to continue its broadcasting service by increasing duty on the Receiving Sets from the existing 25% to 50 %.
By the end of 1932 when the BBC started its Empire Service, the number of people opting for receivers steadily increased from 8000 to 11000 approximately. The number jumped to 16000 by the end of 1934, when the government embarked on a policy of development of broadcasting by sanctioning Rs. 2.50 lakhs for the establishment of a radio station in Delhi.
In September 1935, broadcasting began in the princely state of Mysore with the name AKASHVANI (the voice from the sky).  Dr. Gopalaswamy, Professor of Psychology at the Mysore University had set up a 30 watt transmitter at his house.  A 250 watt transmitter was later imported.  It continued with support from the public and the Mysore Municipality till it was taken over by the Mysore State in 1941. 
The Delhi station of the Indian State Broadcasting Service went on the air on January 1, 1936, from the temporary studios in 18 Alipur Road.  The 20 kw mw transmitter was located at Mall Road.  By now Controller Lionel Fielden, was able to persuade the Viceroy Lord Linlithgow to adopt the name ALL INDIA RADIO despite opposition from the Secretariat.  The new name was adopted from June 8, 1936.


(*-Extract from an interview with Sir Lionel Fielden, the first Controller General of AIR on the name All India Radio, his creation.)