Sunday 28 July 2019

‘मन की बात’ (दूसरी कड़ी)



‘मन की बात’ (दूसरी कड़ी)

प्रसारण तिथि : 28.07.2019


मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ हमेशा की तरह, मेरी तरफ से भी और आपकी तरफ से भी एक प्रतीक्षा रहती है | इस बार भी मैंने देखा कि बहुत सारे पत्र, comments, phone call  मिले हैं – ढ़ेर सारी कहानियां हैं, सुझाव हैं, प्रेरणा हैं हर कोई कुछ ना कुछ करना चाहता है और कहना भी चाहता है – एक जज़्बा महसूस होता है और इन सभी में बहुत कुछ है, जो मैं समेटना चाहूँगा, लेकिन, समय की सीमा है, इसलिये समेट भी नहीं पाता हूँ | ऐसा लग रहा है कि आप मेरी बहुत कसौटी कर रहे हैं | फिर भी, आप ही की बातों को, इस ‘मन की बात’ के धागे में पिरोकर के फिर से एक बार आपको बांटना चाहता हूँ |
आपको याद होगा पिछली बार मैंने प्रेमचंद जी की कहानियों की एक पुस्तक के बारे में चर्चा की थी और हमने तय किया था कि जो भी बुक पढ़ें, उसके बारे में कुछ बातें NarendraModi App के माध्यम से सबके साथ share करें | मैं देख रहा था कि बड़ी संख्या में लोगों ने अनेक प्रकार के पुस्तकों की जानकारी साझा की हैं | मुझे अच्छा लगा कि लोग science, technology, innovation, इतिहास, संस्कृति, business, जीवन चरित्र, ऐसे कई विषयों पर लिखी गयी किताबों पर और उसको लेकर चर्चा कर रहे हैं | कुछ लोगों ने तो मुझे यह भी सलाह दी है कि मैं कई और पुस्तकों के बारे में बात करूँ | ठीक है, मैं जरुर कुछ और पुस्तकों के बारे में आपसे बात करूँगा | लेकिन एक बात मुझे स्वीकारनी होगी कि अब मैं बहुत ज्यादा किताब पढ़ने में समय नहीं दे पा रहा हूँ | लेकिन एक फायदा जरुर हुआ है, कि आप लोग जो लिख करके भेजते हैं तो कई किताबों के विषय में मुझे जानने का जरुर अवसर मिल रहा है | लेकिन ये जो, पिछले एक महीने का अनुभव है, उससे मुझे लगता कि इसको  हमने आगे बढ़ाना है | क्यों ना हम NarendraModi App पर एक permanent book’s corner ही बना दें और जब भी हम नई किताब पढ़ें, उसके बारे में वहाँ लिखें, चर्चा करें और आप हमारे इस book’s corner के लिए, कोई अच्छा सा नाम भी suggest कर सकते हैं | मैं चाहता हूँ कि यह book’s corner पाठकों और लेखकों के लिए, एक सक्रिय मंच बन जाये | आप पढ़ते-लिखते रहें और ‘मन की बात’ के सारे साथियों के साथ साझा भी करते रहें |
    साथियो, ऐसा लगता है कि जल संरक्षण - ‘मन की बात’ में जब मैंने इस बात को स्पर्श किया था, लेकिन शायद आज मैं अनुभव कर रहा हूँ कि मेरे कहने से पहले भी जल संरक्षण ये आपके दिल को छूने वाला विषय था, सामान्य मानवी की पसंदीदा विषय था | और मैं  अनुभव कर रहा हूँ कि पानी के विषय में इन दिनों हिन्दुस्तान के दिलों को झकझोर दिया है | जल संरक्षण को लेकर, देशभर में अनेक विद, प्रभावी प्रयास चल रहे हैं | लोगों ने पारंपरिक तौर-तरीकों के बारे में जानकारियाँ तो share की हैं | मीडिया ने जल संरक्षण पर कई innovative campaign शुरू किये हैं | सरकार हो, NGOs हो - युद्ध स्तर पर कुछ-ना-कुछ कर रहे हैं | सामूहिकता का सामर्थ्य देखकर, मन को बहुत अच्छा लग रहा है, बहुत संतोष हो रहा है | जैसे, झारखण्ड में रांची से कुछ दूर, ओरमांझी प्रखण्ड के आरा केरम गाँव में, वहाँ के ग्रामीणों ने जल प्रबंधन को लेकर जो हौंसला दिखाया है, वो हर किसी के लिए मिसाल बन गया है | ग्रामीणों ने, श्रम दान करके पहाड़ से बहते झरने को, एक निश्चित दिशा देने का काम किया | वो भी शुद्ध देसी तरीका | इससे ना केवल मिट्टी का कटाव और फसल की बर्बादी रुकी है, बल्कि खेतों को भी पानी मिल रहा है | ग्रामीणों का ये श्रम दान, अब पूरे गाँव के लिए जीवन दान से कम नहीं है | आप सबको यह जानकर भी बहुत खुशी होगी कि North East का खूबसूरत राज्य मेघालय देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने अपनी जल-नीति, water policy तैयार की है | मैं वहाँ की सरकार को बधाई देता हूँ |
हरियाणा में, उन फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिनमें कम पानी की जरुरत होती है और किसान का भी कोई नुकसान नहीं होता है | मैं हरियाणा सरकार को विशेष रूप से बधाई देना चाहूंगा कि उन्होंने किसानों के साथ संवाद करके, उन्हें परम्परागत खेती से हटकर, कम पानी वाली फसलों के लिए प्रेरित किया |
    अब तो त्योहारों का समय आ गया है | त्योहारों के अवसर पर कई मेले भी लगते हैं | जल संरक्षण के लिए क्यों ना इस मेलों का भी उपयोग करें | मेलों में समाज के हर वर्ग के लोग पहुँचते हैं | इन मेलों में पानी बचाने का सन्देश हम बड़े ही प्रभावी ढंग से दे सकते हैं, प्रदर्शनी लगा सकते हैं, नुक्कड़ नाटक कर सकते हैं, उत्सवों के साथ-साथ जल संरक्षण का सन्देश बहुत आसानी से हम पहुँचा सकते हैं |
साथियो, जीवन में कुछ बातें हमें उत्साह से भर देती हैं और  विशेष रूप से बच्चों की उपलब्धियां, उनके कारनामे, हम सबको नई ऊर्जा देते हैं और इसलिए आज मुझे, कुछ बच्चों के बारे में, बात करने का मन करता है और ये बच्चे हैं निधि बाईपोटु, मोनीष जोशी, देवांशी रावत, तनुष जैन, हर्ष देवधरकर, अनंत तिवारी, प्रीति नाग, अथर्व देशमुख, अरोन्यतेश गांगुली और हृतिक अला-मंदा |
मैं इनके बारे में जो बताऊंगा, उससे आप भी, गर्व और जोश से भर जायेंगे | हम सब जानते हैं कि कैंसर एक ऐसा शब्द है जिससे पूरी दुनिया डरती है | ऐसा लगता है, मृत्यु द्वार पर खड़ी है, लेकिन इन सभी दस बच्चों ने, अपनी ज़िंदगी की जंग में, ना केवल कैंसर को, कैंसर जैसी घातक बीमारी को पराजित किया है बल्कि अपने कारनामे से पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है | खेलों में हम अक्सर देखते हैं कि खिलाड़ी tournament जीतने या मैडल हांसिल करने के बाद champion बनते हैं, लेकिन यह एक दुर्लभ अवसर रहा, जहाँ ये लोग, खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से पहले ही champion थे और वो भी ज़िंदगी की जंग के champion |

दरअसल, इसी महीने Moscow में World Children’s winners games का आयोजन हुआ | यह एक ऐसा अनोखा sports tournament है, जिसमें young cancer survivors यानी जो लोग अपने जीवन में कैंसर से लड़कर बाहर निकले हैं, वे ही हिस्सा लेते हैं | इस प्रतियोगिता में Shooting, Chess, Swimming, Running, Football और Table Tennis जैसी स्पर्द्धाओं का आयोजन किया गया | हमारे देश के इन सभी दस champions ने इस tournament में मैडल जीते | इनमें से कुछ खिलाड़ियों ने तो एक से ज्यादा खेलों में मैडल जीते |

मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे पूरा विश्वास है कि आपको आसमान के भी पार, अंतरिक्ष में, भारत की सफलता के बारे में, जरुर गर्व हुआ होगा – Chandrayaan-two |
राजस्थान के जोधपुर से संजीव हरीपुरा, कोलकाता से महेंद्र कुमार डागा, तेलंगाना से पी. अरविन्द राव, ऐसे अनेक, देशभर के अलग-अलग भागों से, कई लोगों ने, मुझे NarendraModi App और MyGov पर लिखा है और उन्होंने ‘मन की बात’ में Chandrayaan-two के बारे में चर्चा करने का आग्रह किया है |
दरअसल, Space की दृष्टि से 2019 भारत के लिए बहुत अच्छा साल रहा है | हमारे वैज्ञानिकों ने, मार्च में, A-Sat launch किया था और उसके बाद Chandrayaan-two चुनाव की आपाधापी में उस समय A-Sat जैसी बड़ी और महत्वपूर्ण खबर की ज्यादा चर्चा नहीं हो पाई थी | जबकि हमने A-Sat मिसाइल से, महज़ तीन मिनट में, तीन-सौ किलोमीटर दूर Satellite को मार गिराने की क्षमता हासिल की | यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत, दुनिया का, चौथा देश बना और अब, 22 जुलाई को पूरे देश ने, गर्व के साथ देखा, कि कैसे  Chandrayaan-two ने श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष की ओर अपने कदम बढ़ाए | Chandrayaan-two के प्रक्षेपण की तस्वीरों ने देशवासियों को गौरव और जोश से, प्रसन्नता से, भर दिया |
Chandrayaan-two, यह मिशन कई मायनों में विशेष है | Chandrayaan-two, चाँद के बारे में हमारी समझ को और भी स्पष्ट करेगा | इससे हमें चाँद के बारे में ज्यादा विस्तार से जानकारियाँ मिल सकेंगी लेकिन, अगर आप मुझसे पूछें कि Chandrayaan-two से मुझे कौन-सी दो बड़ी सीख मिली, तो मैं कहूँगा, ये दो सीख हैं – Faith और Fearlessness यानी विश्वास और निर्भीकता | हमें, अपने talents और capacities पर भरोसा होना चाहिए, अपनी प्रतिभा और क्षमता पर विश्वास करना चाहिए | आपको ये जानकार ख़ुशी होगी कि Chandryaan-two पूरी तरह से भारतीय रंग में ढ़ला है | यह Heart and Spirit से भारतीय है | पूरी तरह से एक स्वदेशी मिशन है | इस मिशन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब बात नए-नए क्षेत्र में कुछ नया कर गुजरने की हो, Innovative Zeal की हो, तो हमारे वैज्ञानिक सर्वश्रेष्ठ हैं, विश्व-स्तरीय हैं |
दूसरा, महत्वपूर्ण पाठ यह है कि किसी भी व्यवधान से घबराना नहीं चाहिए | जिस प्रकार हमारे वैज्ञानिकों ने, रिकॉर्ड समय में, दिन-रात एक करके सारे Technical issues को ठीक कर Chandryaan-two को launch किया, वह अपने आप में अभूतपूर्व है | वैज्ञानिकों की इस महान तपस्या को पूरी दुनिया ने देखा | इस पर हम सभी को गर्व होना चाहिए और व्यवधान के बावजूद भी पहुँचने का समय उन्होंने बदला नहीं इस बात का भी बहुतों को आश्चर्य है | हमें अपने जीवन में भी temporary set backs यानी अस्थाई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन, हमेशा याद रखिए इससे पार पाने का सामर्थ्य भी हमारे भीतर ही होता है | मुझे पूरी उम्मीद है कि Chandryaan-two अभियान देश के युवाओं को Science और Innovation के लिए प्रेरित करेगा | आखिरकार विज्ञान ही तो विकास का मार्ग है | अब हमें, बेसब्री से सितम्बर महीने का इंतजार है जब चंद्रमा की सतह पर लैंडर – विक्रम और रोवर – प्रज्ञान की लैंडिंग होगी |
आज ‘मन की बात’ के माध्यम से, मैं, देश के विद्यार्थी दोस्तों के साथ, युवा साथियों के साथ एक बहुत ही दिलचस्प प्रतियोगिता के बारे में, competition के बारे में, जानकारी साझा करना चाहता हूँ और देश के युवक-युवतियों को निमंत्रित करता हूँ – एक Quiz Competition | अंतरिक्ष से जुड़ी जिज्ञासाएं, भारत का space mission, Science और Technology - इस Quiz Competition के मुख्य विषय होंगे, जैसे कि, rocket launch करने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है! Satellite को कैसे Orbit में स्थापित किया जाता है! और Satellite से हम क्या-क्या जानकारियाँ प्राप्त करते हैं! A-Sat क्या होता है! बहुत सारी बातें हैं | MyGov website पर, एक अगस्त को, प्रतियोगिता की details दी जाएगी |
मैं युवा साथियों को, विद्यार्थियों को, अनुरोध करता हूँ कि इस Quiz Competition में भाग लें और अपनी हिस्सेदारी से, इसे दिलचस्प, रोचक और यादगार बनाएँ | मैं स्कूलों से, अभिभावकों से, उत्साही आचार्यों और शिक्षकों से, विशेष आग्रह करता हूँ कि वे अपने स्कूल को विजयी बनाने के लिए भरसक मेहनत करें | सभी विद्यार्थियों को इसमें जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करें और सबसे रोमांचक बात यह है, कि, हर राज्य से, सबसे ज्यादा score करने वाले विद्यार्थियों को, भारत सरकार अपने खर्च पर श्रीहरिकोटा लेकर जाएगी और सितम्बर में उन्हें उस पल का साक्षी बनने का अवसर मिलेगा जब चंद्रयान, चंद्रमा की सतह पर land कर रहा होगा | इन विजयी विद्यार्थियों के लिए उनके जीवन की ऐतिहासिक घटना होगी, लेकिन इसके लिए, आपको Quiz Competition में हिस्सा लेना होगा, सबसे ज्यादा अंक प्राप्त करने होंगे, आपको विजयी होना होगा |
साथियो, मेरा ये सुझाव आपको जरुर अच्छा लगा होगा - है ना मजेदार अवसर ! तो हम Quiz में भाग लेना न भूलें और ज्यादा-से-ज्यादा साथियों को भी प्रेरित करें |  
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने एक बात observe करी होगी | हमारी मन की बातों ने स्वच्छता अभियान को समय समय पर गति दी है और इसी तरह से स्वच्छता के लिए किए जा रहे प्रयासों ने भी ‘मन की बात’ को हमेशा ही प्रेरणा दी है | पाँच साल पहले शुरू हुआ सफ़र आज जन-जन की सहभागिता से, स्वच्छता के नए-नए मानदंड स्थापित कर रहा है | ऐसा नहीं है कि हमने स्वच्छता में आदर्श स्थिति हासिल कर ली है, लेकिन जिस प्रकार से ODF से लेकर सार्वजनिक स्थलों तक स्वच्छता अभियान में सफलता मिली है, वो एक-सौ तीस करोड़ देशवासियों के संकल्प की ताक़त है, लेकिन हम, इतने पर रुकने वाले नहीं हैं | ये आंदोलन अब स्वच्छता से सुन्दरता की ओर बढ़ चला है | अभी कुछ दिन पहले ही मैं media में श्रीमान् योगेश सैनी और उनकी टीम की कहानी देख रहा था | योगेश सैनी इंजीनियर हैं और अमेरिका में अपनी नौकरी छोड़कर माँ भारती की सेवा के लिए वापिस आएँ हैं | उन्होंने कुछ समय पहले दिल्ली को स्वच्छ ही नहीं, बल्कि सुन्दर बनाने का बीड़ा उठाया | उन्होंने अपनी टीम के साथ लोधी गार्डन के कूड़ेदानों से शुरुआत की | Street art के माध्यम से, दिल्ली के कई इलाकों को, खूबसूरत paintings से सजाने-संवारने का काम किया | Over Bridge और स्कूल की दीवारों से लेकर झुग्गी-झोपड़ियों तक, उन्होंने अपने हुनर को उकेरना शुरू किया तो लोगों का साथ भी मिलता चला गया और एक प्रकार से यह सिलसिला चल पड़ा | आपको याद होगा कि कुंभ के दौरान प्रयागराज को किस प्रकार street paintings से सजाया गया था | मुझे पता चला भई ! योगेश सैनी ने और उनकी टीम ने उसमें भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी | रंग और रेखाओं में कोई आवाज भले न होती हो, लेकिन इनसे बनी तस्वीरों से जो इन्द्रधनुष बनते हैं, उनका सन्देश हजारों शब्दों से भी कहीं ज्यादा प्रभावकारी सिद्ध होता है और स्वच्छता अभियान की खूबसूरती में भी ये बात हम अनुभव करते हैं | हमारे लिए बहुत जरुरी है कि Waste to wealth बनाने का culture हमारे समाज में Develop हो | एक तरह से कहें, तो हमें कचरे से कंचन बनाने की दिशा में, आगे बढ़ना है |
    मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले दिनों, MyGov पर मैंने एक बड़ी ही दिलचस्प टिप्पणी पढ़ी | यह Comment जम्मू-कश्मीर के शोपियां के रहने वाले भाई मुहम्मद असलम का था |
उन्होंने लिखा – “मन की बात’ कार्यक्रम सुनना अच्छा लगता है | मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैंने अपने राज्य जम्मू-कश्मीर में Community Mobilization Programme - Back To Village  के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाई | इस कार्यक्रम का आयोजन, जून महीने में हुआ था | मुझे लगता है कि ऐसे कार्यक्रम हर तीन महीने पर आयोजित किये जाने चाहिए | इसके साथ ही, कार्यक्रम की online monitoring की व्यवस्था भी होनी चाहिए | मेरे विचार से, यह अपनी तरह का, ऐसा पहला कार्यक्रम था, जिसमें जनता ने सरकार से सीधा संवाद किया |
भाई मुहम्मद असलम जी ने ये जो सन्देश मुझे भेजा और उसको पढ़ने के बाद ‘Back To Village’ Programme  के बारे में जानने की मेरी उत्सुकता बढ़ गई और जब मैंने इसके बारे में विस्तार से जाना तो मुझे लगा कि पूरे देश को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए | कश्मीर के लोग विकास की मुख्यधारा से जुड़ने को कितने बेताब हैं, कितने उत्साही हैं यह इस कार्यक्रम से पता चलता है | इस कार्यक्रम में, पहली बार बड़े-बड़े अधिकारी सीधे गांवो तक पहुँचे | जिन अधिकारियों को कभी गाँव वालों ने देखा तक नहीं था, वो खुद चलकर उनके दरवाजे तक पहुँचे ताकि विकास के काम में आ रही बाधाओं को समझा जा सके, समस्याओं को दूर किया जा सके | ये कार्यक्रम हफ्ते भर चला और राज्य की सभी लगभग साढ़े चार हजार पंचायतों में सरकारी अधिकारियों ने गाँव वालों को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की विस्तार से जानकारी दी | ये भी जाना कि उन तक सरकारी सेवाएँ पहुँचती भी हैं या नहीं | पंचायतों को कैसे और मजबूत बनाया जा सकता है ? उनकी आमदनी को कैसे बढ़ाया जा सकता है ? उनकी सेवाएँ सामान्य मानवी के जीवन में क्या प्रभाव पैदा कर सकती हैं ? गाँव वालों ने भी खुलकर अपनी समस्याओं को बताया | साक्षरता, Sex Ratio, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल संरक्षण, बिजली, पानी, बालिकाओं की शिक्षा, Senior Citizen के प्रश्न, ऐसे कई विषयों पर भी चर्चा हुई |
    साथियो, ये कार्यक्रम कोई सरकारी खानापूर्ति नहीं थी कि अधिकारी दिन भर गाँव में घूमकर वापस लौट आएँ लेकिन इस बार अधिकारीयों ने दो दिन और एक रात पंचायत में ही बिताई | इससे उन्हें गाँव में समय व्यतीत करने का मौका मिला | हर किसी से मिलने का प्रयास किया | हर संस्थान तक पहुँचने की कोशिश की | इस कार्यक्रम को interesting  बनाने के लिए कई और चीजों को भी शामिल किया गया | खेलो इंडिया के तहत बच्चों के लिए खेल प्रतियोगिता कराई गई | वहीँ Sports Kits, मनरेगा के job cards और SC/ST Certificates भी बांटे गए | Financial Literacy Camps लगाए गए | Agriculture, Horticulture जैसे सरकारी विभागों की तरफ से Stalls लगाए गए, और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई | एक प्रकार से ये आयोजन, एक विकास उत्सव बन गया, जनभागीदारी का उत्सव बन गया, जन-जागृति का उत्सव बन गया | कश्मीर के लोग विकास के इस उत्सव में खुलकर के भागीदार बने | खुशी की बात ये है कि ‘Back To Village’ कार्यक्रम का आयोजन ऐसे दूर-दराज के गाँवों में भी किया गया, जहाँ पहुँचने में, सरकारी अधिकारियों को दुर्गम रास्तों से होकर पहाड़ियों को चढ़ते-चढ़ते कभी-कभी एक दिन, डेढ़ दिन पैदल यात्रा भी करनी पड़ी | ये अधिकारी उन सीमावर्ती पंचायतों तक भी पहुँचे, जो हमेशा Cross Border फायरिंग के साए में रहते हैं | यही नहीं शोपियां, पुलवामा, कुलगाम और अनंतनाग जिले के अति संवेदनशील इलाके में भी अधिकारी बिना किसी भय के पहुँचे | कई अफसर तो अपने स्वागत से इतने अभिभूत हुए कि वे दो दिनों से अधिक समय तक गाँवों में रुके रहे | इन इलाकों में ग्राम सभाओं का आयोजन होना, उसमें बड़ी संख्या में लोगों का भाग लेना और अपने लिए योजनाएँ तैयार करना, यह सब बहुत ही सुखद है | नया संकल्प, नया जोश और शानदार नतीजे | ऐसे कार्यक्रम और उसमें लोगों की भागीदारी ये बताती है कि कश्मीर के हमारे भाई-बहन Good Governance चाहते हैं | इससे यह भी सिद्ध हो जाता है कि विकास की शक्ति बम-बंदूक की शक्ति पर हमेशा भारी पड़ती है | ये साफ है कि जो लोग विकास की राह में नफरत फैलाना चाहते हैं, अवरोध पैदा करना चाहते हैं, वो कभी अपने नापाक इरादों में कामयाब नहीं हो सकते |        

मेरे प्यारे देशवासियो, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित श्रीमान दत्तात्रेय रामचंद्र बेंद्रे ने अपनी एक कविता में सावन माह की महिमा कुछ इस प्रकार प्रस्तुत की है |
इस कविता में उन्होंने कहा है –
होडिगे मडिगे आग्येद लग्ना | अदराग भूमि मग्ना |
अर्थात – बारिश की फुहार और पानी की धारा का बंधन अनोखा है और उसके सौंदर्य को देखकर पृथ्वी ‘मग्न’ है |
पूरे भारतवर्ष में अलग-अलग संस्कृति और भाषाओं के लोग सावन के महीने को अपने-अपने तरीके से celebrate करते हैं | इस मौसम में हम जब भी अपने आसपास देखते हैं तो ऐसा लगता है मानो धरती ने हरियाली की चादर ओढ़ ली हो | चारों ओर, एक नई ऊर्जा का संचार होने लगता है | इस पवित्र महीने में कई श्रद्धालु कांवड़ यात्रा और अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं, जबकि कई लोग, नियमित रूप से उपवास करते हैं और उत्सुकतापूर्वक जन्माष्टमी और नाग पंचमी जैसे त्योहारों का इंतजार करते हैं | इस दौरान ही भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार भी आता है | सावन महीने की जब बात हो रही है, तो आपको यह जानकर बहुत खुशी होगी कि इस बार अमरनाथ यात्रा में पिछले चार वर्षों में सबसे ज़्यादा श्रद्धालु शामिल हुए हैं | 1 जुलाई से अब तक तीन लाख से अधिक तीर्थयात्री पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन कर चुके हैं | 2015 में पूरे 60 दिनों तक तक चलने वाली इस यात्रा में जितने तीर्थयात्री शामिल हुए थे, उससे अधिक इस बार सिर्फ 28 दिनों में शामिल हो चुके हैं |
अमरनाथ यात्रा की सफलता के लिए, मैं खासतौर पर जम्मू-कश्मीर के लोगों और उनकी मेहमान-नवाजी की भी प्रशंसा करना चाहता हूँ | जो लोग भी यात्रा से लौटकर आते हैं, वे राज्य के लोगों की गर्मजोशी और अपनेपन की भावना के कायल हो जाते हैं | ये सारी चीज़ें भविष्य में पर्यटन के लिए बहुत लाभदायक साबित होने वाली हैं | मुझे बताया गया है कि उत्तराखंड में भी इस वर्ष जब से चारधाम यात्रा शुरू हुई है, तब से डेढ़ महीने के भीतर 8 लाख से अधिक श्रद्धालु, केदारनाथ धाम के दर्शन कर चुके हैं | 2013 में आई भीषण आपदा के बाद, पहली बार, इतनी रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्री वहाँ पहुंचें  हैं |
मेरी आप सभी से अपील है कि देश के उन हिस्सों में आप जरुर जाएं, जिनकी खूबसूरती, मानसून के दौरान देखते ही बनती है |
अपने देश की इस खूबसूरती को देखने और अपने देश के लोगों के जज्बे को समझने के लिए, tourism और यात्रा, शायद, इससे बड़ा कोई शिक्षक नहीं हो सकता है |
मेरी, आप सभी को शुभकामना है कि सावन का यह सुंदर और जीवंत महीना आप सबमें नई ऊर्जा, नई आशा और नई उम्मीदों का संचार करे | उसी प्रकार से अगस्त महीना ‘भारत छोड़ो’ उसकी याद ले करके आता है | मैं चाहूँगा कि 15 अगस्त की कुछ विशेष तैयारी करें आप लोग | आजादी के इस पर्व को मनाने का नया तरीका ढूढें | जन भागीदारी बढ़ें | 15 अगस्त लोकोत्सव कैसे बने ? जनोत्सव कैसे बने ? इसकी चिंता जरुर करें आप | दूसरी ओर यही वह समय है, जब देश के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है | कई हिस्सों में देशवासी बाढ़ से प्रभावित हैं | बाढ़ से कई प्रकार के नुकसान भी उठाने पड़ते हैं | बाढ़ के संकट में घिरे उन सभी लोगों को मैं आश्वस्त करता हूँ, कि केंद्र, राज्य सरकारों के साथ मिलकर, प्रभावित लोगों को हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराने का काम बहुत तेज गति से कर रहा है | वैसे जब हम TV देखते हैं तो बारिश का एक ही पहलू दिखता है – सब तरफ बाढ़, भरा हुआ पानी, ट्रैफिक जाम | मानसून की दूसरी तस्वीर – जिसमें आनंदित होता हुआ हमारा किसान, चहकते पक्षी, बहते झरने, हरियाली की चादर ओढ़े धरती – यह देखने के लिए तो आपको खुद ही परिवार के साथ बाहर निकलना पड़ेगा | बारिश, ताजगी और खुशी यानी – Freshness और Happiness दोनों ही अपने साथ लाती है | मेरी कामना है कि यह मानसून आप सबको लगातार खुशियों से भरता रहे | आप सभी स्वस्थ रहें |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ – कहाँ शुरू करें, कहाँ रुकें - बड़ा मुश्किल काम लगता है, लेकिन, आखिर समय की सीमा होती है | एक महीने के इंतजार के बाद फिर आऊंगा | फिर मिलूँगा | महीने भर आप मुझे बहुत कुछ बातें बताना | मैं आने वाली ‘मन की बात’ में उसको जोड़ने का प्रयास करूँगा और मेरे युवा साथियों फिर से याद कराता हूँ | आप quiz competition का मौका मत छोड़िये | आप श्रीहरिकोटा जाने का जो अवसर मिलने वाला है इसको किसी भी हालत में जाने मत देना |
आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार |

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Monday 8 July 2019

Mann Ki Baat 2.0 – Akashvani – the builder of bridges


The Prime Minister had embarked on his mission to communicate a vision of New India, backed by a powerful mandate of the people of India way back on Vijayadashami Day in October, 2014. Down 53 episodes in the first installment on the Radio, the people of India were privy to his exhortations with dignity and wisdom to stand for values that had defined Indian Democracy, its Culture and its Traditions speaking clearly of its bright future and the great cause of humanity. The people of India, thus became the beneficiaries of an inspiring democrat who knew how to communicate for solace and well–being.



Not all leaders are born to speak with a velvet tongue. “Famous leaders are known for their skilled communication” says Alan Hall in his article “The Top Communication Traits of Great Leaders” . “It is one of the most vital traits they must have. Whether the news is positive or negative, they know it is best to be  forthright, honest and timely. How do these leaders communicate? Thoughtful leaders communicate through meetings, speeches, emails, tweets and phone-calls. They write blogs, articles and deliver information via the media. Their topics include  information, vision and strategy. They nurture values and culture. They note accomplishments and celebrate progress. They share their plans, goals and priorities and discuss challenges and barriers. They also teach, encourage, inspire and motivate. They express appreciation and gratitude. They reassure and calm those around them. They make requests and pleas. They exude confidence, enthusiasm and integrity. They are articulate and never condescending. They are engaged in such activities hourly, daily, weekly, monthly, quarterly and yearly, and they instruct and teach fellow leaders in any position of responsibility to do likewise. As they communicate effectively, these epitome of servant leaders (pradhan sewak)are admired, trusted and  followed.
Being the Peoples’ PM, after assuming office for  another term, he had asked for suggestions and ideas for Mann Ki Baat 2.0  through Post Box 111, Phone lines, MyGov, Twitter and this time through Instagram too,  so that no one may be left behind.








Earlier, the Prime Minister had spoken to the nation on 53 occasions after coming to power in 2014 through his monthly broadcast on Akashvani .

Prof Pulak Ghosh of IIM-Bangalore, V. Kamakoti of IIT Madras, and Bhuvanesh Pareek from IIM Indore have used data analytics and algorithms applied to key words to prove the popularity of PM’s radio programme ‘Mann Ki Baat’ and being India’s biggest online influencer.



In the final episode which was aired on February 24, 2019 before the commencement of Lok Sabha elections, PM mentioned that the radio programme was a "sublime experience" for him and due to the elections  he would  suspend his monthly broadcast for March and April, 2019 keeping in mind the healthy democratic traditions.
History abounds in instances of leaders moving crowds with the power of words of which 'Mann Ki Baat' is an example of the  ingenious and influential communication platform created by Prime Minister Modi. Resuming Mann ki Baat programme on June 3oth was again Sh Modi’s tribute to the efficacy of All India Radio which organized the broadcast to create a bridge between the elected and the electors in the true pursuit of democracy and in keeping with the cherished principles of Public Service Broadcasting operating in the world’s largest democracy.



"After four long months, #MannKiBaat is back to do what it has always loved- celebrate the power of positivity and the strengths of 130 crore Indians! Do tune in at 11 AM tomorrow morning!" said PM Modi in the tweet.

The Social Media Handle of the Directorate General of All India Radio @AkashvaniAIR began a series on recapitulating important messages from earlier episodes of Mann Ki Baat (2014-2019) like use of khadi, experiencing the diversity of India , misuse of antibiotics, being fit etc.



A round up of earlier episodes was put out on Twitter by the PM with  tweet lines :

Four months, thousands of letters, mails and suggestions…
It has been a long time.  I have missed #MannKiBaat and am glad we have once again connected through the radio. Here are some thoughts on the last four months. #MannKiBaat



As the day approached for the broadcast the air was abuzz with the expectation of PM speaking again on Radio to the people whom he acknowledges to be the inspiration and calls them a family.
Many Ministers including Minister of Information and Broadcasting took to social media urging  people to listen to PM's 'Mann ki Baat'.



And finally the D Day arrived - Akashvani beamed the first of the second term and 54th edition of Mann Ki Baat started with India’s Prime Minister who rose from the ground and refused to fly above his people and preferred to be known as servant rather than the master.

 Mann Ki Baat gets radiated for individual listening and clusters of listeners through Radio Waves, Internet, DTH, Visual Signals. It is also receivable through mobiles and Alexa Voice Command Devices.




Expressing his urge to connect with the people of the country, Prime Minister, in his first address of Mann Ki Baat 2.0, said ,”This Sunday has made me wait so much”. Further on, among many topics, the Prime Minister spoke on urgency in water conservation, urging people to cultivate habit of reading in ‘Google guru’ era,  reiterated his policy of "no bouquet, just a book" . Speaking about Premchand's stories that depict human emotions , PM said that it is a reflection of entire India  although these stories are a century old. Stressing on the importance of water conservation, he urged  people to make water conservation a 'Jan Andolan' and makes  3 requests to solve water crisis in the country:  to create awareness on water conservation, share knowledge of traditional methods of water conservation, and share information on individuals or NGOs working on water underlining that end goal is to save every drop of water.  He spoke about having written letters Gram Pradhans on the importance of water conservation and how to take steps to create awareness on the subject across rural India. Jal Shakti Abhiyaan was launched the next day by the Union Minister for Jal Shakti , Sh Gajendra Singh Shekhawat.





"जल संकट की समस्या के समाधान के लिए एक जन आंदोलन की आवश्यकता है जिसमें देश के हर वर्ग के जन समूहों को शामिल होकर इस आंदोलन को सफल बनाने की ज़रूरत है। जिससे जल की एक-एक बूँद को संरक्षित किया जा सके।"- श्री @gssjodhpur, जल शक्ति मंत्री #JanShakti4JalShakti

The other points that PM touched upon was on  International Yoga Day that was observed recently on June 21 saying "Yoga was not just practiced everywhere, but was also celebrated collectively"  and "The announcement of Prime Minister's Award for contribution to the field of yoga, was a matter of great satisfaction for me in myself. This award has been given to many organizations around the world" Mentioning about the ’not so ordinary’ mails, letters received and posts on the website clearly spells out that 130 crore countrymen wish to strongly and actively be a part of the nation’s progress." If people share their problems, they also share ways to overcome those problems…. And that there never was a letter  related to Mann Ki Baat ‘ where people are asking me for something that is for themselves. People talk about the larger interest of our nation and society’.

Congratulating the Election Commission and the women who participated in exercising their franchise in the celebration of democracy the PM reminded the country of Emergency days. "When Emergency was imposed, resistance against it was not limited to the political arena or politicians; the movement was not curtailed to the confines of prison cells. There was an outrage in the conscience of one and all. Every citizen had this feeling that something was that belonged to them had been taken away. The collective torment on the loss of democracy was evident" 

The time 11 am on the remaining Sundays on the Indraprasth Channel and FM Rainbow Channel of All India Radio, Delhi is the time for Post Box 111. For the last five years All India Radio, Delhi has deliberated on inspiring thoughts and various issues mentioned by PM in his monthly address, one by one,  in more than 200 episodes for its listeners spread across its foreign and domestic base.

Yesterday, the saga began with a programme,  echoing the concern of Prime Minister regarding Emergency, in  a conversation with Sh Kumar Prashant, Chairman, Gandhi Shanti Pratishthan on Emergency in India during 1975 to 1977, Sh Kumar Prashant had spent 19 months in jail during Emergency. He has also written a book based on Jai Prakash Narayan’s thought and philosophy. Keep following the twitter handle for more information on different episodes of Post Box 111. 



Radio stays relevant for all kinds of people, radio has authenticity with listeners  and has earned their love and trust like a companion –the undisputed leader.
54 Episodes and continuing, at 11 am on last Sunday of every month with countless stories and  unprecedented inflow of inspiration. The Journey continues - Akashvani together with the Prime Minister of India - cherishing  the victories of the common man with one goal : Celebrating a New India -------------- the India to bear torch for the comity of nations.