Sunday, 29 October 2017

‘मन की बात’ ( 29.10.2017)

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | दीपावली के छह दिन बाद मनाए जाने वाला महापर्व छठ, हमारे देश में सबसे अधिक नियम निष्ठा के साथ मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है | जिसमें खान-पान से लेकर वेशभूषा तक, हर बात में पारंपरिक नियमों का पालन किया जाता है | छठ-पूजा का अनुपम-पर्व प्रकृति से और प्रकृति की उपासना से पूरी तरह जुड़ा हुआ है | सूर्य और जल, महापर्व छठ की उपासना के केंद्र में हैं , तो बांस और मिट्टी से बने बर्तन और कंदमूल, इनकी पूजन-विधि से जुड़ी अभिन्न सामग्रियाँ हैं | आस्था के इस महापर्व में उगते सूर्य की उपासना और डूबते सूर्य की पूजा का सन्देश अद्वितीय संस्कार से परिपूर्ण है | दुनिया तो उगने वालों को पूजने में लगी रहती है लेकिन छठ-पूजा हमें, उनकी आराधना करने का भी संस्कार देती है जिनका डूबना भी प्रायः निश्चित है | हमारे जीवन में स्वच्छता के महत्व की अभिव्यक्ति भी इस त्योहार में समाई हुई है | छठ से पहले पूरे घर की सफाई, साथ ही नदी, तालाब, पोखर के किनारे, पूजा-स्थल यानि घाटों की भी सफाई, पूरे जोश से सब लोग जुड़ करके करते हैं | सूर्य वंदना या छठ-पूजा - पर्यावरण संरक्षण, रोग निवारण व अनुशासन का पर्व है |
सामान्य रूप से लोग कुछ माँगकर लेने को हीन-भाव समझते हैं  लेकिन छठ-पूजा में सुबह के अर्घ्य के बाद प्रसाद मांगकर खाने की एक विशेष परम्परा रही है | प्रसाद माँगने की इस परम्परा के पीछे ये मान्यता भी बतायी जाती है कि इससे अहंकार नष्ट होता है | एक ऐसी भावना जो व्यक्ति के प्रगति के राह में बाधक बन जाती है | भारत के  इस महान परम्परा के प्रति हर किसी को गर्व होना बहुत स्वाभाविक है |
मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ की सराहना भी होती रही है, आलोचना भी होती रही है | लेकिन जब कभी मैं ‘मन की बात’ के प्रभाव की ओर देखता हूँ तो मेरा विश्वास दृढ़ हो जाता है कि इस देश के जनमानस के साथ ‘मन की बात’ शत-प्रतिशत अटूट रिश्ते से बंध चुकी है | खादी और handloom का ही उदाहरण ले लीजिए | गाँधी- जयन्ती पर मैं हमेशा handloom के लिए, खादी के लिए वकालत करता रहता हूँ और उसका परिणाम क्या है ! आपको भी यह जानकर के खुशी होगी | मुझे बताया गया है कि इस महीने 17 अक्तूबर को ‘धनतेरस’ के दिन दिल्ली के खादी ग्रामोद्योग भवन स्टोर में लगभग एक करोड़ बीस लाख रुपये की record बिक्री हुई है | खादी और handloom का , एक ही स्टोर पर इतना बड़ा बिक्री होना, ये सुन करके आपको भी आनंद हुआ होगा, संतोष हुआ होगा | दिवाली के दौरान खादी gift coupan की बिक्री में क़रीब-क़रीब 680 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है | खादी और handicraft की कुल बिक्री में भी पिछले वर्ष से, इस वर्ष क़रीब-क़रीब 90 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है | यह दिखता है कि आज युवा, बड़े-बूढ़े, महिलाएँ, हर आयु वर्ग के लोग खादी और handloom को पसन्द कर रहे हैं | मैं कल्पना कर सकता हूँ कि इससे कितने बुनकर परिवारों को, ग़रीब परिवारों को, हथकरघा पर काम करने वाले परिवारों को, कितना लाभ मिला होगा | पहले खादी, Khadi for nation’ था और हमने Khadi for fashion की बात कही थी, लेकिन पिछले कुछ समय से मैं अनुभव से कह सकता हूँ कि Khadi for nation और Khadi for fashion के बाद अब, Khadi for transformtion की जगह ले रहा है | खादी ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के जीवन में, handloom ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाते हुए उन्हें सशक्त बनाने का, शक्तिशाली साधन बनकर के उभर रहा है | ग्रामोदय के लिए ये बहुत बड़ी भूमिका अदा कर रहा है |
श्रीमान् राजन भट्ट ने NarendramodiApp पर लिखा है कि वो सुरक्षा बलों के साथ मेरी दिवाली experience के बारे में जानना चाहते हैं और वे यह भी जानना चाहते हैं कि हमारे सुरक्षा बल कैसे दिवाली मनाते हैं | श्रीमान् तेजस गायकवाड़ ने भी NarendramodiApp पर लिखा है - हमारे घर की भी मिठाई सुरक्षा-बलों तक पहुँचाने का प्रबंध हो सकता है क्या ? हमें भी हमारे वीर सुरक्षा-बलों की याद आती है |  हमें भी लगता है कि हमारे घर की मिठाई देश के जवानों तक पहुंचनी चाहिए | दीपावली आप सब लोगों के लिए खूब हर्षोल्लास से मनायी होगी | मेरे लिए दिवाली इस बार भी एक विशेष अनुभव लेकर के आयी | मुझे एक बार फिर सीमा पर तैनात हमारे जाबांज़ सुरक्षाबलों के साथ दीपावली मनाने का सौभाग्य मिला | इस बार जम्मू-कश्मीर के गुरेज़ सेक्टर में सुरक्षाबलों के साथ दिवाली मनाना मेरे लिए अविस्मरणीय रहा | सीमा पर जिन कठिन और विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए हमारे सुरक्षाबल देश की रखवाली करते हैं उस संघर्ष, समर्पण और त्याग के लिए, मैं सभी देशवासियों की तरफ़ से हमारे सुरक्षा-बल के हर जवानों का आदर करता हूँ | जहाँ हमें अवसर मिले, जब हमें मौक़ा मिले - हमारे जवानों के अनुभव जानने चाहिए, उनकी गौरवगाथा सुननी चाहिए | हम में से कई लोगों को पता नहीं होगा कि हमारे सुरक्षा-बल के जवान, न सिर्फ़ हमारे border पर, बल्कि विश्वभर में शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं | UN Peacekeeper बनकर के, वे दुनिया में हिन्दुस्तान का नाम रोशन कर रहे हैं | अभी पिछले दिनों 24 अक्तूबर को विश्वभर में UN Day, संयुक्त-राष्ट्र दिवस मनाया गया | विश्व में शान्ति स्थापित करने के UN के प्रयासों, उसकी सकारात्मक भूमिका को हर कोई याद करता है | और हम तो ‘वसुधैव  कुटुम्बकम’ को मानने वाले हैं यानि पूरा विश्व हमारा परिवार है | और इसी विश्वास के कारण भारत प्रारम्भ से ही UN के विभिन्न महत्वपूर्ण initiatives में सक्रिय भागीदारी निभाता आ रहा है | आप लोग जानते ही होंगे कि भारत के संविधान की प्रस्तावना और UN Charter की प्रस्तावना, दोनों ‘we the peopleइन्हीं शब्दों के साथ शुरू होती है | भारत ने नारी समानता पर हमेशा ज़ोर दिया है और UN Declaration of Human Rights इसका जीता-जागता प्रमाण है | इसके initial phrase में जो propose किया गया था, वो था ‘all men are born free and equal’ जिसे भारत की प्रतिनिधि हंसा मेहता के प्रयासों से change कर लिया गया और बाद में स्वीकार हुआ ‘all humans beings are born, free and equal  | वैसे तो ये बहुत छोटा बदलाव लगता है लेकिन एक तंदरूस्त सोच का उसमें दर्शन होता है | UN Umbrella के तहत भारत ने जो एक सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया है वह है UN peacekeeping operations में भारत की भूमिका | संयुक्त राष्ट्र के शांति-रक्षा मिशन में, भारत हमेशा बड़ी सक्रिय भूमिका निभाता रहा है | आप में से बहुत लोग हैं जिनको शायद ये जानकारी पहली बार मिल रही होगी | 18 हज़ार से अधिक भारतीय सुरक्षा-बलों ने UN Peacekeeping Operations में अपनी सेवाएँ दी हैं | वर्तमान में भारत के लगभग सात हज़ार सैनिक UN Peacekeeping initiatives से जुड़े हैं और ये पूरे विश्व में 3rd highest number है | अगस्त 2017 तक भारतीय जवानों ने UN के विश्वभर के 71 Peacekeeping operations में से, लगभग 50 operations में अपनी सेवाएँ दी हैं | ये operations, Korea, Cambodia, Laos, Vietnam, Congo, Cyprus, Liberia, Lebanon, Sudan, विश्व के भू-भागों में, कई देशों में चले हैं | Congo और दक्षिण Sudan में भारतीय सेना के hospital में 20 हज़ार से अधिक रोगियों का इलाज़ किया गया है और अनगिनत लोगों को बचाया गया है | भारत के सुरक्षा बलों ने,  विभिन्न देशों में न सिर्फ वहाँ के लोगों की रक्षा की है बल्कि people friendly operations कर उनका दिल भी जीत लिया है | भारतीय महिलाओं ने शांति स्थापित करने के कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई है | बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि भारत पहला देश था जिसने Liberia में संयुक्त राष्ट्र के शांति-अभियान मिशन में female police unit भेजी थी | और देखिए, भारत का ये कदम विश्वभर के देशों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया | और इसके बाद, सभी देशों ने अपनी-अपनी women police units को भेजना प्रारंभ किया | आपको सुन करके गर्व होगा कि भारत की भूमिका सिर्फ peacekeeping operation तक ही सीमित नहीं है बल्कि भारत लगभग 85 देशों के, eighty five countries के peacekeepers को प्रशिक्षण देने का भी काम कर रहा है | महात्मा गाँधी और गौतम बुद्ध की इस भूमि से हमारे बहादुर शांति-रक्षकों ने विश्वभर में शांति और सद्भाव का संदेश पहुँचाया है | Peacekeeping operations आसान कार्य नहीं हैं | हमारे सुरक्षा-बल के जवानों को दुर्गम इलाकों में जा करके काम करना पड़ता है | अलग-अलग लोगों के बीच रहना पड़ता है | भिन्न-भिन्न परिस्थितियों और अलग-अलग culture को जानना-समझना पड़ता है | उन्हें वहाँ की स्थानीय जरूरतों, माहौल के अनुरूप खुद को ढालना पड़ता है | आज जब हमारे बहादुर UN Peacekeepers को याद करते हैं तो कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया को कौन भूल सकता है जिन्होंने अफ्रीका के Cango में शांति के लिए लड़ते, अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था | उन्हें याद कर, हर देशवासी का सीना गर्व से फूल जाता है | वे एक मात्र UN Peacekeeper थे, वीर-पुरुष थे, जिन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया | लेफ्टिनेंट जनरल प्रेमचंद जी उन India Peacekeeper में से एक हैं जिन्होंने Cyprus में विशिष्ट पहचान बनाई | 1989 में, 72 वर्ष की आयु में उन्हें Namibia में operation के लिए force commander बनाया गया और उन्होंने उस देश की आज़ादी सुनिश्चित करने के लिए अपनी सेवाएँ प्रदान की | जनरल थिमैय्या, जो भारतीय सेना के भी प्रमुख रहे, ने Cyprus में UN Peacekeeping force को lead किया और शांति कार्यों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया | भारत, शांतिदूत के रूप में हमेशा से विश्व में शांति, एकता और सद्भावना का संदेश देता रहा है | हमारा विश्वास है कि हर कोई शांति, सद्भाव के साथ जीए और एक बेहतर एवं शांतिपूर्ण कल के निर्माण की दिशा में आगे बढ़े |
    मेरे प्यारे देशवासियो, हमारी पुण्य भूमि ऐसे महान लोगों से सुशोभित रही है जिन्होंने निस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा की है | Sister Nivedita, जिन्हें हम भगिनी निवेदिता भी कहते हैं, वो भी उन असाधारण लोगों में से एक थीं | वो आयरलैंड में मार्गरेट एलिज़ाबेथ नोबेल (Margaret Elizabeth Noble) के रूप में जन्मी थीं लेकिन स्वामी विवेकानंद ने उन्हें ‘निवेदिता’ नाम दिया | और निवेदिता का अर्थ है वो जो पूर्ण रूप से समर्पित हो | बाद में उन्होंने अपने नाम के अनुरूप ही अपने स्वयं को सिद्ध करके दिखाया | कल Sister Nivedita की 150वीं जयंती थी | वे स्वामी विवेकानंद से इतना प्रभावित हुई, कि अपने सुखी-संपन्न जीवन का त्याग कर दिया और अपने जीवन को ग़रीबों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया | Sister Nivedita ब्रिटिश राज में होने वाले अत्याचारों से बहुत आह्त थीं | अंग्रेज़ों ने, न सिर्फ हमारे देश को ग़ुलाम बनाया था बल्कि उन्होंने हमें मानसिक रूप से भी ग़ुलाम बनाने का प्रयास किया था | हमारी संस्कृति को नीचा दिखा कर हम में हीन-भावना पैदा करना, यह काम निरंतर चलता रहता था | भगिनी निवेदिता जी ने भारतीय संस्कृति के गौरव को पुनः स्थापित किया | राष्ट्रीय-चेतना जागृत कर लोगों को एक-जुट करने का काम किया | उन्होंने विश्व के अलग-अलग देशों में जाकर सनातन धर्म और दर्शन के बारे में किए जा रहे दुष्प्रचारों के खिलाफ़ आवाज़ उठाई | प्रसिद्ध राष्ट्रवादी एवं तमिल कवि सुब्रह्मण्य भारती अपनी क्रांतिकारी कविता ‘पुदुमई पेन्न’ (Pudhumai Penn), New Women और महिला सशक्तिकरण के लिए विख्यात रहे हैं | ऐसा कहा जाता है कि प्रेरणा भगिनी निवेदिता ही थी | भगिनी निवेदिता जी ने महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु का भी सहयोग किया | उन्होंने अपने लेख और सम्मेलनों के माध्यम से बसु के research के प्रकाशन एवं प्रचार में सहायता की | भारत की यही एक विशेष सुन्दरता है कि हमारी संस्कृति में आध्यात्मिकता और विज्ञान, एक दूसरे के पूरक हैं | सिस्टर निवेदिता और वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु इसके सशक्त उदाहरण हैं | 1899 में, कलकत्ता में भयानक प्लेग हुआ और देखते-ही-देखते सैकड़ों लोगों की जानें चली गईं | सिस्टर निवेदिता ने अपनी स्वास्थ्य की चिंता किए बिना, नालियों और सड़कों की सफ़ाई का काम आरंभ कर दिया | वह एक ऐसी महिला थीं जो आरामदायक जीवन जी सकती थीं लेकिन वह गरीबों की सेवा में जुटी रहीं | उनके इसी त्याग से प्रेरणा पाकर लोगों ने सेवा कार्यों में उनका हाथ बँटाया | उन्होंने अपने कार्यों  से लोगों को स्वच्छता और सेवा के महत्व का पाठ पढ़ाया | और उनकी समाधि पर लिखा है ‘Here reposes Sister Nivedita who gave her all to India’ - यहाँ सिस्टर निवेदिता विश्राम कर रहीं हैं जिन्होंने अपना सर्वस्व भारत को दिया | निःसंदेह उन्होंने ऐसा ही किया | उस महान व्यक्तित्व के लिए आज इससे उपयुक्त श्रद्धांजलि और कुछ नहीं हो सकती कि प्रत्येक भारतवासी उनके जीवन से शिक्षा लेकर स्वयं उस सेवा-पथ पर चलने का प्रयास करे |
फोनकॉल : माननीय प्रधानमंत्री जी , मेरा नाम डॉ.पार्थ शाह है.. १४ नवम्बर को हम बाल दिन के रूप में मनाते हैं क्योंकि वो हमारे पहले प्रधानमन्त्री जवाहर लाल जी का जन्म दिन है  ..उसी दिन को विश्व डायबिटीज दिन भी माना जाता है ... डायबिटीज केवल बड़ों का रोग नहीं है , वो काफी सारे बच्चों में भी पाया जाता है ..तो इस चुनौती के लिए हम क्या कर सकते हैं ?
आपके phone call के लिए धन्यवाद | सबसे पहले तो हमारे पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु जी के जन्मदिन पर मनाए जाने वाले Children’s Day, बाल दिवस की सभी बच्चों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ | बच्चे नए भारत के निर्माण के सबसे महत्वपूर्ण hero हैं, नायक हैं | आपकी चिंता सही है कि पहले जो बीमारियाँ बड़ी उम्र में आती थीं,  जीवन के अंतिम पड़ाव के आस-पास आती थीं - वह आजकल बच्चों में भी दिखने लगी हैं | आज बड़ा आश्चर्य होता है, जब सुनते हैं कि बच्चे भी diabetes से पीड़ित हो रहे हैं | पहले के ज़माने में ऐसे रोगों को ‘राज-रोग’ के नाम से जाना जाता था | राज-रोग अर्थात ऐसी बीमारियाँ जो केवल संपन्न लोगों को, ऐश-ओ-आराम की ज़िंदगी जीने वालों को ही हुआ करती थी | युवा लोगों में ऐसी बीमारियाँ बहुत rare होती थीं | लेकिन हमारा lifestyle बदल गया है | आज इन बीमारियों को lifestyle disorder के नाम से जाना जाता है | युवा उम्र में इस तरह की बीमारियों से ग्रस्त होने का एक प्रमुख कारण है - हमारी जीवनशैली में physical activities की कमी और हमारे खान-पान के तरीक़ों में बदलाव | समाज और परिवार को इस चीज़ पर ध्यान देने की ज़रुरत है | जब वह इस पर सोचेंगे तो आप देखिएगा कि कुछ भी extraordinary करने की ज़रुरत नहीं है | बस ज़रुरत है , छोटी-छोटी चीज़ों को सही तरीक़े से, नियमित रूप से करते हुए उन्हें अपनी आदत में बदलने की, उसे अपना एक स्वभाव बनाने की | मैं तो चाहूँगा कि परिवारजन जागरूकतापूर्वक ये प्रयास करें कि बच्चे, खुले मैदानों में खेलने की आदत बनाएं | संभव हो तो हम परिवार के बड़े लोग भी इन बच्चों के साथ ज़रा खुले में जाकर कर के खेलें | बच्चों को lift में ऊपर जाने-आने की बजाय सीढियाँ चढ़ने की आदत लगाएं | Dinner के बाद पूरा परिवार बच्चों को लेकर के कुछ walk करने का प्रयास करें | Yoga for Young India | योग, विशेष रूप से हमारे युवा मित्रों को एक healthy lifestyle बनाये रखने और lifestyle disorder से बचाने में मददगार सिद्ध होगा | School से पहले 30 मिनट का योग, देखिए कितना लाभ देगा ! घर में भी कर सकते हैं और योग की विशेषता भी तो यही है - वो सहज है, सरल है, सर्व-सुलभ है और मैं सहज है इसलिए कह रहा हूँ कि किसी भी उम्र का व्यक्ति आसानी से कर सकता है | सरल इसलिए है कि आसानी से सीखा जा सकता है और सर्व-सुलभ इसलिए है कि कहीं पर भी किया जा सकता है - विशेष tools या मैदान की ज़रूरत नहीं होती है | Diabetes control करने में योग कितना असरकारी है, इस पर कई studies चल रही हैं | AIIMS में भी इस पर study की जा रही है और अभी तक जो परिणाम आए हैं, वो काफी encouraging हैं | आयुर्वेद और योग को हम सिर्फ उपचार treatment के माध्यम के तौर पर न देखें, उन्हें हम अपने जीवन का हिस्सा बनाएं |

मेरे प्यारे देशवासियो, खासकर के मेरे युवा साथियो, खेल के क्षेत्र में पिछले दिनों अच्छी ख़बरें आई हैं | अलग-अलग खेल में हमारे खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है | हॉकी में भारत ने शानदार खेल दिखाके एशिया कप हॉकी का ख़िताब जीता है | हमारे खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और इसी के बल पर भारत दस साल बाद एशिया कप champion बना है | इससे पहले भारत 2003 और 2007 में एशिया कप champion बना था | पूरी टीम और support staff को मेरी तरफ से, देशवासियों की तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएँ |
हॉकी के बाद बैडमिंटन में भी भारत के लिए अच्छी ख़बर आयी | बैडमिंटन स्टार किदाम्बी श्रीकांत ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए Denmark open ख़िताब जीतकर हर भारतीय को गौरव से भर दिया है | Indonesia open और Australia open के बाद ये उनका तीसरा super series premiere ख़िताब है | मैं, हमारे युवा साथी को उनकी इस उपलब्धि के लिए और भारत के गौरव को बढाने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ |
दोस्तो, इसी महीने FIFA Under-17 World Cup का आयोजन हुआ | विश्वभर की टीमें भारत आयीं और सभी ने फुटबॉल के मैदान पर अपना कौशल दिखाया | मुझे भी एक मैच में जाने का मौक़ा मिला | खिलाड़ियों, दर्शकों सभी के बीच भारी उत्साह था | world cup का इतना बड़ा event, पूरा विश्व आपको देख रहा हो | इतना बड़ा मैच, मैं तो सभी युवा खिलाड़ियों की ऊर्जा, उत्साह, कुछ कर दिखाने के जज़्बे को देखकर दंग रह गया था | World Cup का आयोजन सफलतापूर्वक हुआ और सभी टीमों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया | भले ही, भारत ख़िताब  न जीत पाया लेकिन भारत के युवा खिलाड़ियों ने सभी का दिल जीत लिया | भारत समेत पूरे विश्व ने खेल के इस महोत्सव को enjoy किया और ये पूरा tournament फुटबॉल प्रेमियों के लिए रोचक और मनोरंजक रहा | फुटबॉल का भावी बहुत उज्ज्वल है, इसके संकेत नजर आने लगे हैं | मैं एक बार फिर से सभी खिलाड़ियों को, उनके सहयोगियों को और सभी खेल प्रेमियों को बधाई देता हूँ, शुभकामनाएँ देता हूँ |

मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ भारत के विषय में मुझे जितने लोग लिखते हैं, मुझे लगता है कि उनकी भावनाओं के साथ यदि मैं न्याय करने की सोचूँ तो मुझे हर रोज ‘मन की बात’ का कार्यक्रम करना पड़ेगा और हर रोज़ मुझे स्वच्छता के विषय पर ही ‘मन की बात’ को समर्पित करना पड़ेगा | कोई नन्हें-मुन्ने बच्चों के प्रयासों के photo भेजते हैं तो कहीं युवाओं की टीम efforts का किस्सा होता है | कहीं स्वच्छता को लेकर किसी innovation की कहानी होती है या फिर किसी अधिकारी के जुनून को लेकर आए परिवर्तन की news होती है | पिछले दिनों मुझे बहुत विस्तृत एक report मिली है, जिसमें महाराष्ट्र के चंद्रपुर किले के  कायाकल्प की कहानी है | वहां Ecological Protection Organisation नाम के एक NGO की पूरी टीम ने चंद्रपुर किले में सफाई का अभियान चलाया | दो-सौ दिनों तक चले इस अभियान में लोगों ने बिना रुके, बिना थके, एक team-work के साथ किले की सफाई का कार्य किया | दो-सौ दिन लगातार | ‘before और after’ - ये photo उन्होंने मुझे भेजे हैं | photo देख कर के भी मैं दंग रह गया और जो भी इस photo को देखेगा जिसके भी मन में अपने आस-पास की गंदगी को देख कर कभी निराशा होती हो, कभी उसको लगता हो कि स्वच्छता का सपना कैसे पूरा होगा - तो मैं ऐसे लोगो को कहूँगा Ecological Protection Organisation के युवाओं को, उनके पसीनों को, उनके हौसले को, उनके संकल्प को, उन जीती-जागती तस्वीरों में आप देख सकते हैं | उसे देखते ही आपकी निराशा, विश्वास में ही बदल जाएगी | स्वच्छता का ये भगीरथ प्रयास सौन्दर्य, सामूहिकता और सातत्यता का एक अद्भुत उदाहरण है | किले तो हमारी विरासत का प्रतीक हैं | ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित और स्वच्छ रखने की ज़िम्मेवारी हम सभी देशवासियों की है | मैं Ecological Protection Organisation के और उनकी पूरी टीम को और चंद्रपुर के नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, आने वाले 4 नवम्बर को हम सब गुरु नानक जयंती मनाएंगे | गुरु नानक देव जी, सिक्खों के पहले गुरु ही नहीं बल्कि वो जगत-गुरु हैं | उन्होंने पूरी मानवता के कल्याण के बारे में सोचा, उन्होंने सभी जातियों को एक समान बताया | महिला सशक्तिकरण एवं नारी सम्मान पर ज़ोर दिया था | गुरु नानक देव जी ने पैदल ही 28 हज़ार किलोमीटर की यात्रा की और अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने सच्ची मानवता का सन्देश दिया | उन्होंने लोगों से संवाद किया, उन्हें सच्चाई, त्याग और कर्म-निष्ठा का मार्ग दिखाया | उन्होंने समाज में समानता का सन्देश दिया और अपने इस सन्देश को बातों से ही नहीं, अपने कर्म से करके दिखाया | उन्होंने लंगर चलाया जिससे लोगों में सेवा-भावना पैदा हुई | इकट्ठे बैठकर लंगर ग्रहण करने से लोगों में एकता और समानता का भाव जागृत हुआ | गुरु नानक देव जी ने सार्थक जीवन के तीन सन्देश दिए – परमात्मा का नाम जपो, मेहनत करो - काम करो और ज़रुरतमंदों की मदद करो | गुरु नानक देव जी ने अपनी बात कहने के लिए ‘गुरबाणी’ की रचना भी की | आने वाले वर्ष 2019 में, हम गुरु नानक देव जी का 550वाँ प्रकाश वर्ष मनाने जा रहे हैं | आइए, हम उनके सन्देश और शिक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ने की कोशिश करें |
मेरे प्यारे देशवासियो, दो दिन के बाद 31 अक्तूबर को हम सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म-जयंती मनाएंगे | हम सब जानते हैं कि आधुनिक अखण्ड भारत की नींव, इन्होंने ही रखी थी | भारत माँ की उस महान संतान की असाधारण यात्रा से आज हम बहुत कुछ सीख सकते हैं | 31 अक्तूबर को श्रीमती इंदिरा गाँधी भी इस दुनिया को छोड़ करके चली गईं | सरदार वल्लभ भाई पटेल की विशेषता ये थी कि वे न सिर्फ़ परिवर्तनकारी विचार देते थे, लेकिन वे, इसको कर दिखाने के लिए जटिल-से-जटिल समस्या का व्यावहारिक हल ढूंढने में क़ाबिल थे | विचार को साकार करना, उसमें उनकी महारत थी | सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत को एक सूत्र में पिरोने की बागडोर संभाली | ये सुनिश्चित किया कि करोड़ों भारतवासियों को ‘एक राष्ट्र और एक संविधान’ की छत्रछाया में लाया जाए | उनके निर्णय क्षमता ने उन्हें सारी बाधाओं को पार करने का सामर्थ्य दिया | जहाँ मान-मनौवल की आवश्यकता थी, वहाँ उन्होंने मान-मनौवल किया; जहाँ बल-प्रयोग की आवश्यकता पड़ी, वहाँ बल-प्रयोग किया | उन्होंने एक उद्देश्य निश्चित कर लिया और फिर केवल उसी ओर पूरी दृढ़ता के साथ वो बढ़ते ही गए, बढ़ते ही गए | देश को एक करने का ये कार्य सिर्फ़ वही कर सकते थे, जिन्होंने एक ऐसे राष्ट्र की परिकल्पना की जहाँ सभी लोग समान हों, उन्होंने कहा था और मैं चाहूँगा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल की बात सदा-सर्वदा हम लोगों के लिए प्रेरणा देने वाली हैं | उन्होंने कहा था – “जाति और पंथ का कोई भेद हमें रोक न सके, सभी भारत के बेटे और बेटियाँ हैं, हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए और पारस्परिक प्रेम और सद्भावना पर अपनी नियति का निर्माण करना चाहिए |”
सरदार साहब का ये कथन आज भी हमारे New India के vision के लिए प्रेरक है, प्रासंगिक हैं | और यही कारण है कि उनका जन्मदिन ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है | देश को एक अखण्ड राष्ट्र का स्वरुप देने में उनका योगदान अतुलनीय है | सरदार साहब की जयंती के अवसर पर 31 अक्तूबर को देशभर में ‘Run for Unity’ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें देशभर से बच्चे, युवा, महिलाएँ, सभी आयु-वर्ग के लोग शामिल होंगे | मेरा आप सभी से आग्रह है कि आप भी ‘Run for Unity  आपसी सद्भावना के इस उत्सव में भाग लें |
मेरे प्यारे देशवासियो, दिवाली की छुट्टियों के बाद, नए संकल्प के साथ, नए निश्चय के साथ, आप सब अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में फिर एक बार जुट गए होंगे | मेरी तरफ़ से देशवासियों को, उनके सभी सपने साकार हों, ये शुभकामनाएँ हैं | बहुत-बहुत धन्यवाद |

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Tuesday, 24 October 2017

Three Mails and Some Memories: Seeking out C R Ramaswamy

By Basudha Banerji



Three emails from precisely six years ago is the only connect I have with him. Yesterday I learnt of his passing away on 20 October 2017. Aged 83. In Chennai.

“You must get an article from Chennai,” more than one senior would urge me. “From veteran broadcaster C R Ramaswamy.” It was October 2011 and I was editing the souvenir for the ABU General Assembly that would be held in Delhi the next month. Hence the three mails.

Which I exhumed yesterday from the depths of my mailbox. I knew nothing of CR, as he is affectionately called by those who do. The emails tell me of a meticulous person, a true blue professional. He would have been 77 that year. Within 8 days of my request, he wrote:

“I have almost completed writing my piece and I expect (hopefully) to get it by tomorrow evening typed by a professional who has promised to deliver it to me. I shall be returning from Bangalore on the morning of the … and as soon as I reach Chennai, I shall email it to you. I hope you will bear with me. Latest it will be in your hands by the …”

The article was received as promised. On the dot. The photograph I asked for was sent by courier. A later mail would tell me more of the man.

I hope you will find my script useful. I have not been keeping too well for some time but I saw to it that I wasn’t disturbed on that account although I had to face some difficulty. I notice there are a few typographical errors.

I give a list below, of the errors and I shall be grateful if you would kindly get some competent and reliable person to just correct the errors.

Page 1 Title: The title is Transition and Transformation (NOT transition to transformation) Page 1 Para 2 Line 8 the word led is to be replaced by the word left 
Page 1 Para 3 LINE 1 add THE WORD THE before Radio medium
Page 1 Para 5 Line 3 the name is Lionel Fielden NOT Fielded
Page 2 Para 2 add quotation mark after the last word. Page
Page 2 Para 4 Line add d after the word comprise. It has to be in past tense
Page 3 Last para add a, comma after radio rural forum
Page 4 para 3 second line substitute linnovation by innovation
Page 4 para 3 Line 2 add the word only before the word key.
Page 4 Last Para Last line quotation mark at the end of the line...

Though the corrections had already been taken care of, this mail was much appreciated by the proof reader in me, I remember.

There was a third mail, talking of some difficulty in getting across his bio data to me as his computer was malfunctioning:

“… the service mechanic is already here and assures that the machine will be attended to in about 45-50 minutes. I hope to email it by by 4.00.”

The promised bio data is now staring me in the face…


 I  AM GIVING BELOW IN ABOUT 50 WORDS information about me that can go with the article. C R Ramaswamy retired Deputy Director General, joined AIR in 1958.  HE HAS WORKED AT OVER A DOZEN STATIONS OF AIR IN THE LENGTH AND BREADTH OF THE COUNTRY INCLUDING  AT gAUHATI (aSSAM) , kOHIMA(nAGALAND) AND aIZAWL (mIZORAM.)
 IN THE nORTHEAST. hE WAS dIRECTOR OF pROGRAMMES  (cOMMERCIAL ) IN THE hEADQUARTERS-, AND HEADED  THE eXTERNAL sERVICES dIVISION AND THE
sTAFf  tRAINING iNSTITUTE (pROGRAMMES)  kINDLY ACKNOWLEDGE. rAMASWAMY.com> wrote:

The pressures of putting together a publication, followed by the ABU General Assembly duties, followed immediately by my transfer to Shillong ensured I never connected again with Shri C R Ramaswamy though I did wonder about all those wonderful contributors to the souvenir, who took out so much of their time, put together their thoughts, spent from their pockets to send me photographs and other visuals.

Yesterday at lunch time, I asked my immediate senior, Bhim Prakash Sharma, ADP (SW) if he had known CR. Bhimji who had joined AIR in 1983 as a Trex, laughed. “While we padded up in layers of sweaters to face the Delhi winters, CR would be seen in a short sleeved shirt and sandals.”  

Later I would learn of CR’s lunch times. In Delhi. How there was a threesome of him, then a DDG, T K Tomas, DP and E S Isaac, Pex (Western Music) at AIR Delhi who lunched together. And how each member of this trinity would get lunch in turn for the club. This was in the mid-eighties.

“We were very very close,” Shri Isaac emphasized. “Every Friday we would meet at 5pm. And discuss in depth and detail the books we had read that week…over a cup of tea. CR would read 4 to 5 books in a week. I am much slower. I would read about half a book in a week. But at the end of that weekly meet, I would learn about at least six books.” The club would go on to become a book club. E S Isaac who would go on to retire as an ADG at Doordarshan is currently working as Adviser, Programme at Broadcast Engineering Consultants India Limited (BECIL).

The closeness would become palpable when I called Professor T K Thomas. The voice of the broadcaster and columnist was tinged with grief. “For the first time I got late in despatching my opinion piece to pennews.net…I could not bring myself to write…finally sent it in this morning.”

“When my book was released by L K Advani in 1990, it was the chapter contributed by C R that Shri Advani specifically mentioned.” Professor Thomas was talking about the book he had edited - Autonomy for the Electronic Media: A National Debate on the Prasar Bharati Bill. 

The bonding went beyond office, both Thomas and Isaac stressed. It would encompass the three families as well. “So much so, during the summer holidays we would swap our children for a week or so,” Isaac laughs. “The rules were strict. If during that period you wanted to contact your children, you wrote them a letter. They would have to do the same too.”

A novel concept in learning, sharing and caring, I thought as I listened to these voices over the phone. While Shri Isaac told me in great detail how well the children of C R were doing, the sense of pride and ownership in his voice was unmistakeable. There were other stories too of the families pooling resources for the children’s higher education…never mind whose child it was.

“His office was always an open house… anyone could walk in without taking an appointment,” Shri Isaac reminisced.

I dialled the octogenarian broadcaster Shri B R Chalapati Rao’s Bengaluru number hoping he was a contemporary of C R and would have some anecdote for me. This was around 5.30 last evening and he said he was in hospital getting his wife admitted in the Emergency department.  I disconnected in a hurry. As he is wont to do, Rao Sir called back. At 6.52 am today. He had spent the night in hospital. As his wife was in the ICU, he did not get a place to rest his back, he joked. And as he is wont to do, gave me a perfect byte: “CR, as he is fondly called, stands out as a man of high intellectual calibre, a voracious reader, a fluent speaker and a prolific writer.” Retiring in 1994 as DP (Commercial) Shri Chalapathi Rao – at present a Consultant with AIR – had served long years in the AIR Directorate with Late Shri Ramaswamy as DDG (Commercial). He labelled his former boss as a “compelling pedagogue who could speak on any subject on the spur of the moment….and the right man for heading the Staff Training Institute.”

Shri A R Krishnamurthy, former DDG (Policy) had a flight to catch. Yet he shared with me how C R had worked as a sub-editor in The Indian Express at Madras prior to joining AIR, an excellent communicator who wrote for BBC journals among others. That he was generous to a fault when it came to helping someone in a financial difficulty. 

As I am scribbling this piece, my colleague Manoj Mainkar drops by for a quick cuppa. I am trying to conjure up a picture of a man I never met, I tell him. “CR? The picture is very clear in my mind…a man in a half shirt,” Manoj says. While gulping down the tea, he glances through my jottings…and has one more sentence to add before disappearing into the studios. “Kya kya log thhe…” And I know Manoj is not talking only of C R Ramaswamy.

It was good connecting with a senior like C R Ramaswamy, albeit fleetingly. “In the end, we all become stories,” says Margaret Wood, novelist and poet. We live on in other’s memories, in the good deeds we do that others benefit from and talk about and pass on even after we are gone. Immortality is the glow that the sun within us leaves behind even after we set. 


Wednesday, 18 October 2017

Digital Radio Mondiale

                  AIR has installed 35 DRM (Digital Radio Mondiale)  MW  transmitters  of capacities ranging from 20 kW to 1000 kW at various places across India. These DRM MW transmitters are capable to provide digital broadcast in major parts of India. The main advantages of these transmitters are better sound broadcast quality as compared to conventional AM MW broadcast with added advantages like additional channels broadcast Text and journaline  features. In addition to this, AIR has also installed  one high power SW  DRM transmitter and two more such transmitter are under installation  for external broadcast.  AIR has incurred an amount of about Rs. 370 crore on digitization of its MW & SW transmitters.  

        
LIST OF MW/SW TRANSMITTERS REPLAED BY DRM TRANSMITTERS
SL.NO.
PLACE
STATE
POWER
MW/SW
DATE OF COMMISSIONING
1
VIJAYWADA
ANDHRA PRADESH
100 KW
MW
12.05.15
2
PASSIGHAT
ARUNACHAL PRADESH
100 KW
MW
20.06.16
3
PATNA
BIHAR
100 KW
MW
26.06.15
4
PANAJI
GOA
100 KW
MW
25.02.15
5
RANCHI
JHARKHAND
100 KW
MW
29.03.16
6
MUMBAI 'A'
MAHARASHTRA
100 KW
MW
09.06.15
7
MUMBAI 'B'
MAHARASHTRA
100 KW
MW
09.06.15
8
PUNE
MAHARASHTRA
100 KW
MW
04.03.15
9
TIRUCHIRAPALLI
TAMILNADU
100 KW
MW
26.09.15
10
VARANASI
UP
100 KW
MW
24.06.15
11
KOLKATA B
WB
100 KW
MW
12.02.16
12
RAJKOT
GUJRAT
1000 KW
MW
10.09.12
13
CHINSURAH
WB
1000 KW
MW
05.03.14
14
TAWANG
ARUNACHAL PRADESH
20 KW
MW
01.07.13
15
GUWAHATI 'B'
ASSAM
20 KW
MW
01.07.13
16
DELHI (VB)
DELHI
20 KW
MW
02.08.13
17
BARMER
RAJASTHAN
20 KW
MW
27.04.13
18
BIKANER
RAJASTHAN
20 KW
MW
16.07.13
19
CHENNAI (VB)
TAMILNADU
20 KW
MW
12.04.13
20
ITANAGAR
ARUNACHAL PRADESH
200 KW
MW
16.06.16
21
DELHI 'A'
DELHI
200 KW
MW
01.06.14
22
JABALPUR
M.P.
200 KW
MW
30.10.15
23
AJMER
RAJASTHAN
200 KW
MW
18.10.15
24
KOLKATA A
WB
200 KW
MW
08.07.15
25
SILIGURI
WB
200 KW
MW
07.01.16
26
AHEMDABAD
GUJARAT
200 KW
MW
22.01.16
27
BANGALORE
KARNATAKA
200 KW
MW
20.03.15
28
DHARWAD
KARNATAKA
200 KW
MW
20.09.15
29
CHENNAI 'A'
TAMILNADU
200 KW
MW
25.07.15
30
DIBRUGARH
ASSAM
300 KW
MW
31.03.16
31
RAJKOT
GUJARAT
300 KW
MW
21.03.15
32
JAMMU
J&K
300 KW
MW
17.05.15
33
JALLANDHAR
PUNJAB
300 KW
MW
14.07.16
34
SURATGARH
RAJASTHAN
300 KW
MW
20.05.16
35
LUCKNOW
UP
300 KW
MW
11.03.15
36
BANGALORE
KARNATAKA
500 KW
SW
01.01.2014
37
KINGSWAY
DELHI
100 KW
SW
UNDER INSTALLATION
38
KINGSWAY
DELHI
100 KW
SW
UNDER INSTALLATION