Sunday, 28 October 2018

‘मन की बात’ प्रसारण तिथि: 28.10.2018



मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार | 31 अक्तूबर हम सबके प्रिय सरदार वल्लभभाई पटेल की जयन्ती और हर वर्ष की तरह ‘Run for Unity’ के लिए देश का युवा एकता के लिए दौड़ने को तैयार हो गया है | अब तो मौसम भी बहुत सुहाना होता है | यह ‘Run for Unity’ के लिए जोश को और बढ़ाने वाला है | मेरा आग्रह है कि आप सब बहुत बड़ी संख्या में एकता की इस दौड़ में ‘Run for Unity’ में अवश्य भाग लें | आज़ादी से लगभग साढ़े छह महीने पहले, 27 जनवरी 1947 को विश्व की प्रसिद्ध international magazine ‘Time Magazine’ ने जो संस्करण प्रकाशित किया था, उसके cover page पर सरदार पटेल का फोटो लगा था | अपनी lead story में उन्होंने भारत का एक नक्शा दिया था और ये वैसा नक्शा नहीं था जैसा हम आज देखते हैं | ये एक ऐसे भारत का नक्शा था जो कई भागों में बंटा हुआ था | तब 550 से ज्यादा देशी रियासते थीं | भारत को लेकर अंग्रेजों की रूचि ख़त्म हो चुकी थी, लेकिन वो इस देश को छिन्न-भिन्न करके छोड़ना चाहते थे | ‘Time Magazine’ ने लिखा था कि भारत पर विभाजन, हिंसा, खाद्यान्न -संकट, महँगाई और सत्ता की राजनीति से जैसे खतरे मंडरा रहे थे | आगे ‘Time Magazine’ लिखता है कि  इन सबके बीच देश को एकता के सूत्र में पिरोने और घावों को भरने की क्षमता यदि किसी में है तो वो है सरदार वल्लभभाई पटेल | ‘Time Magazine’ की story लौह पुरुष के जीवन के दूसरे पहलुओं को भी उजागर करती है | कैसे उन्होंने 1920 के दशक में अहमदाबाद में आयी बाढ़ को लेकर राहत कार्यों का प्रबंधन किया | कैसे उन्होंने बारडोली सत्याग्रह को दिशा दी | देश के लिए उनकी ईमानदारी और प्रतिबद्धता ऐसी थी कि किसान, मजदूर से लेकर उद्योगपति तक, सब उन पर भरोसा करते थे | गांधी जी ने सरदार पटेल से कहा कि राज्यों की समस्याएँ इतनी विकट हैं कि केवल आप ही इनका हल निकाल सकते हैं और सरदार पटेल ने एक-एक कर समाधान निकाला और देश को एकता के सूत्र में पिरोने के असंभव कार्य को पूरा कर दिखाया | उन्होंने सभी रियासतों का भारत में विलय कराया | चाहे जूनागढ़ हो या हैदराबाद, त्रावणकोर हो या फिर राजस्थान की रियासतें - वे सरदार पटेल ही थे जिनकी सूझबूझ और रणनीतिक कौशल से आज हम एक हिन्दुस्तान देख पा रहे हैं | एकता के बंधन में बंधे इस राष्ट्र को, हमारी भारत माँ को देख करके हम स्वाभाविक रूप से सरदार वल्लभभाई पटेल का पुण्य स्मरण करते हैं | इस 31 अक्तूबर को सरदार पटेल की जयन्ती तो और भी विशेष होगी - इस दिन सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए हम Statue of Unity राष्ट्र को समर्पित करेंगे | गुजरात में नर्मदा नदी के तट पर स्थापित इस प्रतिमा की ऊँचाई अमेरिका के Statue of Liberty से दो गुनी है | ये विश्व की सबसे ऊंची गगनचुम्बी प्रतिमा है | हर भारतीय इस बात पर अब गर्व कर पायेगा कि दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा भारत की धरती पर है | वो सरदार पटेल जो जमीन से जुड़े थे, अब आसमान की भी शोभा बढ़ाएँगे | मुझे आशा है कि देश का हर नागरिक ‘माँ-भारती’ की इस महान उपलब्धि को लेकर के विश्व के सामने गर्व के साथ सीना तानकर के, सर ऊँचा करके इसका गौरवगान करेगा और स्वाभाविक है हर हिन्दुस्तानी को Statue of Unity देखने का मन करेगा और मुझे विश्वास है हिन्दुस्तान से हर कोने से लोग, अब इसको भी अपना एक बहुत ही प्रिय destination के रूप में पसंद करेंगे |
          मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, कल ही हम देशवासियों ने ‘Infantry Day’ मनाया है | मैं उन सभी को नमन करता हूँ जो भारतीय सेना का हिस्सा हैं | मैं अपने सैनिकों के परिवार को भी उनके साहस के लिए salute करता हूँ, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हम सब हिन्दुस्तान के नागरिक ये ‘Infantry Day’ क्यों मानते हैं? यह वही दिन है, जब भारतीय सेना के जवान कश्मीर की धरती पर उतरे थे और घुसपैठियों से घाटी की रक्षा की थी | इस ऐतिहासिक घटना का भी सरदार वल्लभभाई पटेल से सीधा सम्बन्ध है | मैं भारत के महान सैन्य अधिकारी रहे Sam Manekshaw का एक पुराना interview पढ़ रहा था | उस interview में Field Marshal Manekshaw उस समय को याद कर रहे थे, जब वो कर्नल थे | इसी दौरान अक्तूबर 1947 में, कश्मीर में सैन्य अभियान शुरू हुआ था | Field Marshal Manekshaw ने बताया कि किस प्रकार से एक बैठक के दौरान कश्मीर में सेना भेजने में हो रहे विलम्ब को लेकर सरदार वल्लभभाई पटेल नाराज हो गए थे | सरदार पटेल ने बैठक के दौरान अपने ख़ास अंदाज़ में उनकी तरफ देखा और कहा कि कश्मीर में सैन्य अभियान में ज़रा भी देरी नहीं होनी चाहिये और जल्द से जल्द इसका समाधान निकाला जाए | इसी के बाद सेना के जवानों ने कश्मीर के लिए उड़ान भरी और हमने देखा कि किस तरह से सेना को सफलता मिली | 31 अक्तूबर को हमारी भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी की भी पुण्यतिथि है | इंदिराजी को भी आदरपूर्वक श्रद्धांजलि |
          मेरे प्यारे देशवासियो, खेल किसको पसंद नहीं है | खेल जगत में spirit, strength, skill, stamina - ये सारी बातें बहुत ही महत्वपूर्ण हैं | यह किसी खिलाड़ी की सफलता की कसौटी होते हैं और यही चारों गुण किसी राष्ट्र के निर्माण के भी महत्वपूर्ण होते हैं | किसी देश के युवाओं के भीतर अगर ये हैं तो वो देश न सिर्फ अर्थव्यवस्था, विज्ञान और technology जैसे क्षेत्रों में तरक्की करेगा बल्कि sports में भी अपना परचम फहराएगा | हाल ही में मेरी दो यादगार मुलाकातें हुई | पहले जकार्ता में हुई Asian Para Games 2018 के हमारे Para Athletes से मिलने का मौका मिला | इन खेलों में भारत ने कुल 72 पदक जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया और भारत का गौरव बढ़ाया | इन सभी प्रतिभावान Para Athletes से मुझे निजी तौर पर मिलने का सौभाग्य मिला और मैंने उन्हें बधाई दी | उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और हर विपरीत परिस्थिति से लड़कर आगे बढ़ने का उनका जज़्बा हम सभी देशवासियों को प्रेरित करने वाला है | इसी तरह से Argentina में हुई Summer Youth Olympics 2018 के विजेताओं से मिलने का मौका मिला | आपको ये जान करके प्रसन्नता होगी कि Youth Olympics 2018 में हमारे युवाओं ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया | इस आयोजन में हमने 13 पदक के अलावा mix event में 3 और पदक हासिल किये | आपको याद होगा कि इस बार Asian Games में भी भारत का प्रदर्शन बेहतरीन रहा था | देखिये पिछले कुछ मिनटों में मैंने कितनी बार अब तक का सबसे अच्छा, अब तक का सबसे शानदार ऐसे शब्दों का प्रयोग किया | ये है आज के भारतीय खेलों की कहानी जो दिनों दिन नई ऊचाईयाँ छू रही है | भारत सिर्फ खेलों में ही नहीं बल्कि उन क्षेत्रों में भी नए रिकॉर्ड बना रहा है जिनके बारे में कभी सोचा तक नहीं गया था | उदाहरण के लिए मैं आपको Para Athlete नारायण ठाकुर के बारे में बताना चाहता हूँ | जिन्होंने 2018 के Asian Para Games में देश के लिए Athletics में Gold Medal जीता है | वह जन्म से ही दिव्यांग है | जब 8 वर्ष के हुए तो उन्होंने अपने पिता को खो दिया | फिर अगले 8 वर्ष उन्होंने एक अनाथालय में बिताये | अनाथालय छोड़ने के बाद ज़िन्दगी की गाड़ी चलाने के लिए DTC की बसों को साफ़ करने और दिल्ली में सड़क के किनारे ढाबों में वेटर के तौर पर कार्य किया | आज वही नारायण International Events में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीत रहे हैं | इतना ही नहीं, भारत की खेलों में उत्कृष्टता के बढ़ते दायरे को देखिये, भारत ने जूडो में कभी भी, चाहे वो सीनियर लेवल हो या जूनियर लेवल कोई ओलिंपिक मेडल नहीं जीता है | पर तबाबी देवी ने Youth Olympics में जूडो में सिल्वर मेडल जीत कर इतिहास रच दिया | 16 वर्ष की युवा खिलाड़ी तबाबी देवी मणिपुर के एक गाँव की रहने वाली है | उनके पिता एक मजदूर हैं जबकि माँ मछली बेचने का काम करती है | कई बार उनके परिवार के सामने ऐसा भी समय आया जब उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे | ऐसी परिस्थितियों में भी तबाबी देवी का हौसला डिगा नहीं सकी | और उन्होंने देश के लिए मेडल जीत कर इतिहास रचा है | ऐसी तो अनगिनत कथाएँ हैं | हर एक जीवन प्रेरणा का स्रोत है | हर युवा खिलाड़ी उसका जज़्बा New India की पहचान है |
          मेरे प्यारे देशवासियो, आप सब को याद होगा कि हमने 2017 में FIFA Under 17 World Cup  का सफल आयोजन किया था | पूरे विश्व ने बेहद सफल टूर्नामेंट के तौर पर उसे सराहा भी था | FIFA Under 17 World Cup  में दर्शकों की संख्या के मामले में भी एक नया कीर्तिमान रच दिया था | देश के अलग-अलग स्टेडियम में 12 लाख से अधिक लोगों ने फुटबॉल मैचों का आनंद लिया और युवा खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया | इस वर्ष भारत को भुवनेश्वर में पुरुष हॉकी वर्ल्ड कप 2018 के आयोजन का सौभाग्य मिला है | Hockey World Cup 28 नवम्बर से प्रारंभ हो कर 16 दिसम्बर तक चलेगा | हर भारतीय चाहे वह कोई भी खेल खेलता हो या किसी भी खेल में उसकी रूचि हो हॉकी के प्रति एक लगाव, उसके मन में अवश्य होता है | भारत का हॉकी में एक स्वर्णिम इतिहास रहा है | अतीत में भारत को कई प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक मिले हैं और एक बार विश्व कप विजेता भी रहा है | भारत ने हॉकी को कई महान खिलाड़ी भी दिए हैं | विश्व में जब भी हॉकी की चर्चा होगी तो भारत के इन महान खिलाड़ियों के बिना हॉकी की कहानी अधूरी रहेगी | हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद से तो पूरी दुनिया परिचित है | उसके बाद बलविंदर सिंह सीनियर, लेस्ली क्लौड़ीयस (Leslie Claudius), मोहम्मद शाहिद,  उधम सिंह से लेकर धनराज पिल्लई तक हॉकी ने एक बड़ा सफ़र तय किया है | आज भी टीम इंडिया के खिलाड़ी अपने परिश्रम और लगन की बदौलत मिल रही सफलताओं से हॉकी की नई पीढ़ी को प्रेरित कर रहे हैं | खेल प्रेमियों के लिए रोमांचक matches को देखना एक अच्छा अवसर है | भुवनेश्वर जाएँ और न सिर्फ भारतीय टीम का उत्साह बढ़ाएँ बल्कि सभी टीमों को प्रोत्साहित करें | ओड़िशा एक ऐसा राज्य है जिसका अपना गौरवपूर्ण इतिहास है, समृद्ध, सांस्कृतिक विरासत है और वहाँ के लोग भी गर्म जोशी भरे होते हैं | खेल प्रेमियों के लिए ये ओड़िसा दर्शन का भी एक बहुत बड़ा अवसर है | इस दौरान खेलों का आनंद उठाने के साथ ही आप कोणार्क के सूर्य मंदिर, पुरी में भगवान् जगन्नाथ मंदिर और चिल्का लेक समेत कई विश्वप्रसिद्ध दर्शनीय और पवित्र स्थल भी जरुर देख सकते हैं | मैं इस प्रतियोगिता के लिए भारतीय पुरुष हॉकी टीम को शुभकामनाएं देता हूँ और उन्हें विश्वास दिलाता हूँ कि सवा-सौ करोड़ भारतीय उनके साथ और उनके समर्थन में खड़े हैं व भारत आने वाली विश्व की सभी टीमों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ |
          मेरे प्यारे देशवासियो, सामाजिक कार्य के लिए जिस प्रकार से लोग आगे आ रहे हैं, इसके लिए Volunteering कर रहे हैं | वो पूरे देशवासियों के लिए प्रेरणादायक हैं, जोश भरने वाला है | वैसे सेवा परमो धर्मः ये भारत की विरासत है | सदियों पुरानी हमारी परंपरा है और समाज में हर कोने में, हर क्षेत्र में इसकी सुगंध आज भी हम महसूस करते हैं | लेकिन नए युग में, नए तरीके से, नई पीढ़ी, नए उमंग से, नए उत्साह से, नए सपने लेकर के इन कामों को करने के लिए आज आगे आ रही है | पिछले दिनों मैं एक कार्यक्रम में गया था जहाँ एक portal launch किया गया है, जिसका नाम है- ‘Self 4 Society’, MyGov और देश की IT और electronics industry ने अपने employees को social activities के लिए motivate करने और उन्हें इसके अवसर उपलब्ध कराने के लिए इस portal को launch किया है  | इस कार्य के लिए उनमें जो उत्साह और लगन है उसे देख कर हर भारतीय को गर्व महसूस होगा | IT to Society, मैं नहीं हम, अहम् नहीं वयम्, स्व से समष्टि की यात्रा की इसमें महक है | कोई बच्चों को पढ़ा रहा है, तो कोई बुजुर्गों को पढ़ा रहा है, कोई स्वच्छता में लगा है, तो कोई किसानों की मदद कर रहा है और ये सब करने के पीछे कोई लालसा नहीं है बल्कि इसमें समर्पण और संकल्प का निःस्वार्थ भाव है | एक युवा ने तो दिव्यांगों की wheelchair basketball team की मदद के लिए खुद wheelchair basketball सीखा | ये जो जज़्बा है, ये जो समर्पण है - ये mission mode activity है | क्या किसी हिन्दुस्तानी को इस बात का गर्व नहीं होगा ! जरुर होगा ! ‘मैं नहीं हम’ की ये भावना हम सब को प्रेरित करेगी |
          मेरे प्यारे भाइयो-बहनो, इस बार जब मैं ‘मन की बात’ को लेकर आप लोगों के सुझाव देख रहा था तो मुझे पुडुचेरी से श्री मनीष महापात्र की एक बहुत ही रोचक टिप्पणी देखने को मिली | उन्होंने Mygov पर लिखा है- ‘कृपया आप ‘मन की बात’ में इस बारें में बात कीजिये कि कैसे भारत की जनजातियाँ उनके रीति-रिवाज और परंपराएँ प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं’ | Sustainable development के लिए कैसे उनके traditions  को हमें अपने जीवन में अपनाने की आवश्यकता है, उनसे कुछ सीखने की जरुरत है | मनीष जी - इस विषय को ‘मन की बात’ के श्रोताओं के बीच रखने के लिए मैं आपकी सराहना करता हूँ | यह एक ऐसा विषय है जो हमें अपने गौरवपूर्ण अतीत और संस्कृति की ओर देखने के लिए प्रेरित करता है | आज सारा विश्व विशेष रूप से पश्चिम के देश पर्यावरण संरक्षण की चर्चा कर रहे हैं और संतुलित जीवनशैली balance life के लिए नए रास्ते ढूंढ रहे हैं | वैसे आज हमारा भारतवर्ष भी इस समस्या से अछूता नहीं है, लेकिन इसके हल के लिए हमें बस अपने भीतर झाँकना है, अपने समृद्ध इतिहास, परंपराओं को देखना है और ख़ासकर अपने जनजातीय समुदायों की जीवनशैली को समझना है | प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर के रहना हमारे आदिवासी समुदायों की संस्कृति में शामिल रहा है | हमारे आदिवासी भाई-बहन पेड़-पौधों और फूलों की पूजा देवी-देवताओं की तरह करते हैं | मध्य भारत की भील जनजाति में विशेषकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लोग पीपल और अर्जुन जैसे पेड़ों की श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं | राजस्थान जैसी मरुभूमि में बिश्नोई समाज ने पर्यावरण संरक्षण का रास्ता हमें दिखाया है | खासतौर से वृक्षों के संरक्षण के संदर्भ में उन्हें अपने जीवन का त्याग करना मंजूर है लेकिन एक भी पेड़ का नुकसान पहुँचे ये उन्हें स्वीकार नहीं है | अरुणाचल के मिशमी, बाघों के साथ खुद का रिश्ता होने का दावा करते हैं | उन्हें वो अपना भाई-बहन तक मानते हैं | नागालैंड में भी बाघों को वनों के रक्षक के रूप में देखा जाता है | महाराष्ट्र के वार्ली समुदाय के लोग बाघ को अतिथि मानते हैं उनके लिए बाघों की मौजूदगी समृद्धि लाने वाली होती है | मध्य भारत के कोल समुदाय के बीच एक मान्यता है कि उनका खुद का भाग्य बाघों से जुड़ा है, अगर बाघों को निवाला नहीं मिला तो गाँव वालों को भी भूखा रहना पड़ेगा - ऐसी उनकी श्रद्धा है | मध्य भारत की गोंड जनजाति breeding season में केथन नदी के कुछ हिस्सों में मछली पकड़ना बंद कर देते हैं | इन क्षेत्रों को वो मछलियों का आश्रय स्थान मानते हैं इसी प्रथा के चलते उन्हें स्वस्थ और भरपूर मात्रा में मछलियाँ मिलती हैं | आदिवासी समुदाय अपने घरों को natural material से बनाते हैं ये मजबूत होने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं | दक्षिण भारत के नीलगिरी पठार के एकांत क्षेत्रों में एक छोटा घुमन्तु समुदाय तोड़ा, पारंपरिक तौर पर उनकी बस्तियाँ स्थानीय स्थर पर उपलब्ध चीजों से ही बनी होती हैं |
          मेरे प्यारे भाइयो-बहनो ये सच है कि आदिवासी समुदाय बहुत शांतिपूर्ण और आपस में मेलजोल के साथ रहने में विश्वास रखता है, पर जब कोई उनके प्राकृतिक संसाधनों का नुकसान कर रहा हो तो वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने से डरते भी नहीं हैं | यह आश्चर्य की बात नहीं है कि हमारे सबसे पहले स्वतंत्र सेनानियों में आदिवासी समुदाय के लोग ही थे | भगवान बिरसा मुंडा को कौन भूल सकता है जिन्होंने अपनी वन्य भूमि की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ कड़ा संघर्ष किया | मैंने जो भी बातें कहीं हैं उनकी सूची काफ़ी लम्बी है आदिवासी समुदाय के ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जो हमें सिखाते हैं कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर कैसे रहा जाता है और आज हमारे पास जो जंगलों की सम्पदा बची है, इसके लिए देश हमारे आदिवासियों का ऋणी है | आइये ! हम उनके प्रति आदर भाव व्यक्त करें |
          मेरे प्यारे देशवासियो ‘मन की बात’ में हम उन व्यक्तियों और संस्थाओं के बारें में बाते करते हैं जो समाज के लिए कुछ असाधारण कार्य कर रहे हैं | ऐसे कार्य जो देखने में तो मामूली लगते हैं लेकिन वास्तव में उनका गहरा प्रभाव पड़ता है | हमारी मानसिकता बदलने में, समाज की दिशा बदलने में | कुछ दिन पहले मैं पंजाब के किसान भाई गुरबचन सिंह जी के बारे में पढ़ रहा था | एक सामान्य और परिश्रमी किसान गुरबचन सिंह जी के बेटे का विवाह था | इस विवाह से पहले गुरबचन जी ने दुल्हन के माता-पिता से कहा था कि हम शादी सादगी से करेंगे | बारात हों और चीजें हों, खर्चा कोई ज्यादा करने की जरुरत नहीं है | हमें इसे एक बहुत सादा अवसर ही रखना है, फिर अचानक उन्होंने कहा लेकिन मेरी एक शर्त है और आजकल जब शादी-ब्याह के समय शर्त की बात आती है तो आमतौर पर लगता यही है कि सामने वाला कोई बड़ी माँग करने वाला है | कुछ ऐसी चीजें माँगेगा जो शायद बेटी के परिवारजनों के लिए मुश्किल हो जाएँ, लेकिन आपको जानकर के आश्चर्य होगा ये तो भाई गुरबचन सिंह थे सादे-सीधे किसान, उन्होंने दुल्हन के पिता से जो कहा, जो शर्त रखी, वो हमारे समाज की सच्ची ताकत है | गुरबचन सिंह जी ने उनसे कहा कि आप मुझे वचन दीजिये कि अब आप खेत में पराली नहीं जलायेंगे | आप कल्पना कर सकते हैं कितनी बड़ी सामाजिक ताकत है इसमें | गुरबचन सिंह जी की ये बात लगती तो बहुत मामूली है लेकिन ये बताती है कि उनका व्यक्तित्व कितना विशाल है और हमने देखा है कि हमारे समाज में ऐसे बहुत परिवार होते हैं जो व्यक्तिगत प्रसंग को समाज हित के प्रसंग में परिवर्तित करते हैं | श्रीमान् गुरबचन सिंह जी के परिवार ने वैसी एक मिसाल हमारे सामने दी है | मैंने पंजाब के एक और गाँव कल्लर माजरा के बारे में पढ़ा है जो नाभा के पास है | कल्लर माजरा इसलिए चर्चित हुआ है क्योंकि वहाँ के लोग धान की पराली जलाने की बजाय उसे जोतकर उसी मिट्टी में मिला देते हैं उसके लिए जो technology उपयोग में लानी होती है वो जरूर लाते हैं | भाई गुरबचन सिंह जी को बधाई | कल्लर माजरा और उन सभी जगहों के लोगों को बधाई जो वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए अपना श्रेष्ठ प्रयास कर रहें हैं | आप सब स्वस्थ जीवनशैली की भारतीय विरासत को एक सच्चे उत्तराधिकारी के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं | जिस तरह बूंद-बूंद से सागर बनता है, उसी तरह छोटी-छोटी जागरुक और सक्रियता और सकारात्मक कार्य हमेशा सकारात्मक माहौल बनाने में बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है |       
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे ग्रंथों में कहा गया है :-
ॐ द्यौः शान्तिः अन्तरिक्षं शान्तिः,
पृथिवी शान्तिः आपः शान्तिः औषधयः शान्तिः |
वनस्पतयः शान्तिः विश्वेदेवाः शान्तिः  ब्रह्म शान्तिः,
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सामा शान्तिरेधि ||
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ||
          इसका अर्थ है, हे ईश्वर तीनों लोकों में हर तरफ शांति का वास हो जल में, पृथ्वी में, आकाश में, अंतरिक्ष में, अग्नि में, पवन में, औषधि में, वनस्पति में, उपवन में, अवचेतन में, सम्पूर्ण ब्रह्मांड में शान्ति स्थापित करे | जीवमात्र में, हृदय में, मुझ में, तुझ में, जगत के कण-कण में, हर जगह शान्ति स्थापित करें |
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ||
               जब कभी भी विश्व शान्ति की बात होती है तो इसको लेकर भारत का नाम और योगदान स्वर्ण अक्षरों में अंकित दिखेगा | भारत के लिए इस वर्ष 11 नवम्बर का विशेष महत्व है क्योंकि 11 नवम्बर को आज से 100 वर्ष पूर्व प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ, उस समाप्ति को 100 साल पूरे हो रहे हैं यानी उस दौरान हुए भारी विनाश और जनहानि की समाप्ति की भी एक सदी पूरी हो जाएगी | भारत के लिए प्रथम विश्व युद्ध एक महत्वपूर्ण घटना थी | सही मायने में कहा जाए तो हमारा उस युद्ध से सीधा कोई लेना-देना नहीं था | इसके बावजूद भी हमारे सैनिक बहादुरी से लड़े और बहुत बड़ी भूमिका निभाई, सर्वोच्य बलिदान दिया | भारतीय सैनिकों ने दुनिया को दिखाया कि जब युद्ध की बात आती है तो वह किसी से पीछे नहीं हैं | हमारे सैनिकों ने दुर्गम क्षेत्रों में, विषम परिस्थितियों में भी अपना शौर्य दिखाया है | इन सबके पीछे एक ही उद्देश्य रहा - शान्ति की पुन: स्थापना | प्रथम विश्व युद्ध में दुनिया ने विनाश का तांडव देखा | अनुमानों के मुताबिक क़रीब 1 करोड़ सैनिक और लगभग इतने ही नागरिकों ने अपनी जान गंवाई | इससे पूरे विश्व ने शान्ति का महत्व क्या होता है - इसको समझा | पिछले 100 वर्षों में शान्ति की परिभाषा बदल गई है | आज शान्ति और सौहार्द का मतलब सिर्फ युद्ध का न होना नहीं है | आतंकवाद से लेकर जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास से लेकर सामाजिक न्याय, इन सबके लिए वैश्विक सहयोग और समन्वय के साथ काम करने की आवश्यकता है | ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति का विकास ही शांति का सच्चा प्रतीक है |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे North East की बात ही कुछ और है | पूर्वोत्तर का प्राकृतिक सौन्दर्य अनुपम है और यहाँ के लोग अत्यंत प्रतिभाशाली है | हमारा North East अब तमाम best deeds के लिए भी जाना जाता है | North East एक ऐसा क्षेत्र है जिसने organic farming में भी बहुत उन्नति की है | कुछ दिन पहले सिक्किम में sustainable food system को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिष्ठित Future Policy Gold Award 2018 जीता है  | यह award सयुंक्त राष्ट्र से जुड़े F.A.O यानी Food and Agriculture Organisation की तरफ से दिया जाता है | आपको यह जानकार प्रसन्नता होगी, इस सेक्टर में best policy making के लिए दिया जाने वाला यह पुरस्कार उस क्षेत्र में Oscar के समान है | यही नहीं हमारे सिक्किम ने 25 देशों की 51 nominated policies को पछाड़कर यह award जीता, इसके लिए मैं सिक्किम के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, अक्तूबर समाप्ति पर है | मौसम में भी बहुत परिवर्तन अनुभव हो रहा है | अब ठंड के दिन शुरू हो चुके हैं और मौसम बदलने के साथ-साथ त्योहारों का भी मौसम आ गया है | धनतेरस, दीपावली, भैय्या-दूज, छठ एक तरीके से कहा जाए तो नवम्बर का महीना त्योहारों का ही महीना है | आप सभी देशवासियों को इन सभी त्योहारों की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ |
मैं आप सब से आग्रह करूँगा इन त्योहारों में अपना भी ध्यान रखें, अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें और समाज के हितों का भी ध्यान रखें | मुझे विश्वास है कि यह त्योहार नए संकल्प का अवसर है | यह त्योहार नए निर्णयों का अवसर है | यह त्योहार एक mission mode में आगे जाने का, दृढ़ संकल्प लेने का आपके जीवन में भी अवसर बन जाए | आपकी प्रगति देश की प्रगति का एक अहम हिस्सा है | आपकी जितनी ज़्यादा प्रगति होगी उतनी ही देश की प्रगति होगी | मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ | बहुत-बहुत धन्यवाद |
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Tuesday, 2 October 2018

Gandhi Jayanti 2018


On the pious occasion of Mahatma Gandhi's 149th birth anniversary and the commencement of Bapu's 150th birth anniversary year-long commemoration, a solemn and graceful function was organised in the premises of Akashavani  Bhavan at Sansad Marg today morning. Shri F. Sheheryar, Director General, All India Radio and Shri Chandra Bhanu Singh Maurya, Engineer-in-Chief, All India Radio led the senior officers and other staff members in offering floral tributes at the feet of the newly installed magnificent 8 feet tall statue of Mahatma Gandhi in a sitting & contemplative posture. 


This was accompanied by playing of devotional compositions dear to Bapu such as 'Vaishnav Jan', 'Paayo Jee Maine' and 'Ramdhun'. These strains of immortal devotional music filled the air and suffused the whole atmosphere with piety and sublime emotions as well as reverence to the memory and ideals of Bapu.



All India Radio's commemorative broadcasts have begun on national and state networks as well as by all stations locally and these will continue in Hindi, English and all the languages and many dialects employing various programme formats during the entire period of commemoration.