Sunday, 29 January 2017

‘मन की बात’, प्रसारण तिथि: 29.01.2017  


‘मन की बात’

प्रसारण तिथि: 29.01.2017



मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको नमस्कार | 26 जनवरी, हमारा ‘गणतंत्र दिवस’ देश के कोने-कोने में उमंग और उत्साह के साथ हम सबने मनाया | भारत का संविधान, नागरिकों के कर्तव्य, नागरिकों के  अधिकार, लोकतंत्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता, एक प्रकार से ये संस्कार उत्सव भी है, जो आने वाली पीढ़ियों को लोकतंत्र के प्रति, लोकतान्त्रिक जिम्मेवारियों के प्रति, जागरूक भी करता है, संस्कारित भी करता है | लेकिन अभी भी हमारे देश में, नागरिकों के कर्तव्य और नागरिकों के  अधिकार उस पर जितनी बहस होनी चाहिए, जितनी गहराई से बहस होनी चाहिए, जितनी व्यापक रूप में चर्चा होनी चाहिए, वो अभी नहीं हो रही है | मैं आशा करता हूँ, कि हर स्तर पर, हर वक्त, जितना बल अधिकारों पर दिया जाता है, उतना ही बल कर्तव्यों पर भी दिया जाए | अधिकार और कर्तव्य की दो पटरी पर ही, भारत के लोकतंत्र की गाड़ी तेज गति से आगे बढ़ सकती है |

कल 30 जनवरी है, हमारे पूज्य बापू की पुण्य तिथि है | 30 जनवरी को हम सब सुबह 11 बजे, 2 मिनट मौन रख करके, देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं | एक समाज के रूप में, एक देश के रूप में, 30 जनवरी, 11 बजे 2 मिनट श्रद्धांजलि, यह सहज स्वभाव बनना चाहिए | 2 मिनट क्यों न हो, लेकिन, उसमे सामूहिकता भी, संकल्प भी और शहीदों के प्रति श्रद्धा भी अभिव्यक्त होती है |

हमारे देश में सेना के प्रति, सुरक्षा बलों के प्रति, एक सहज आदर भाव प्रकट होता रहता है | इस ‘गणतंत्र दिवस’ की पूर्व संध्या पर, विभिन्न वीरता पुरस्कारों से, जो वीर-जवान सम्मानित हुए, उनको, उनके परिवारजनों को, मैं बधाई देता हूँ | इन पुरस्कारों में, ‘कीर्ति चक्र’, ‘शौर्य चक्र’, ‘परम विशिष्ट सेवा मेडल’, ‘विशिष्ट सेवा मेडल’, अनेक श्रेणियाँ हैं | मैं ख़ास करके नौजवानों से आग्रह करना चाहता हूँ | आप social media में बहुत active हैं | आप एक काम कर सकते हैं ? इस बार, जिन-जिन वीरों को ये सम्मान मिला है | आप net पर खोजिए, उनके संबंध में दो अच्छे शब्द लिखिए और अपने साथियों में उसको पहुँचाइए | जब उनके साहस की, वीरता की, पराक्रम की बात को गहराई से जानते हैं, तो हमें आश्चर्य भी होता है, गर्व भी होता है, प्रेरणा भी मिलती है |

एक तरफ़ हम सब 26 जनवरी की उमंग और उत्साह की ख़बरों से आनंदित थे, तो उसी समय, कश्मीर में हमारे जो सेना के जवान, देश की रक्षा में डटे हुए हैं, वे हिमस्खलन के कारण, वीर-गति को प्राप्त हुए | मैं इन सभी वीर जवानों को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूँ, नमन करता हूँ |

मेरे युवा साथियो, आप तो भली-भाँति जानते हैं कि मैं ‘मन की बात’ लगातार करता रहता हूँ | जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, ये सारे महीने हर परिवार में, कसौटी के महीने होते हैं | घर में एक-आध, दो बच्चों की exam होती हैं, लेकिन पूरा परिवार exam के बोझ में दबा हुआ होता है | तो मेरा मन कर गया कि, ये सही समय है कि मैं, विद्यार्थी दोस्तों से बातें करूँ, उनके अभिवावकों से बातें करूँ, उनके शिक्षकों से बातें करूँ | क्योंकि कई वर्षों से, मैं जहाँ गया, जिसे मिला, परीक्षा एक बहुत बड़ा परेशानी का कारण नज़र आया | परिवार परेशान, विद्यार्थी परेशान, शिक्षक परेशान, एक बड़ा विचित्र सा मनोवैज्ञानिक वातावरण, हर घर में नज़र आता है | और मुझे हमेशा ये लगा है कि इसमें से बाहर आना चाहिये और इसलिए मैं आज युवा साथियों के साथ कुछ विस्तार से बातें करना चाहता हूँ | जब ये विषय मैंने घोषित किया, तो अनेक शिक्षकों ने, अभिभावकों ने, विद्यार्थियों ने मुझे message भेजे, सवाल भेजे, सुझाव भेजे, पीड़ा भी व्यक्त की, परेशानियों का भी ज़िक्र किया, और उसको देखने के बाद जो मेरे मन में विचार आए, वो मैं आज आपके साथ साझा करना चाहता हूँ | मुझे एक टेलीफोन सन्देश मिला सृष्टि का | आप भी सुनिए  सृष्टि क्या कह रही है:

“सर मैं आपसे इतना कहना चाहती हूँ कि exam के time पे अक्सर ऐसा होता है कि हमारे घर में, आस पड़ोस में और हमारी society में खौफनाक और डरावना माहोल बन जाता है | इस वज़ह से student  inspiration तो कम लेकिन down बहुत हो जाते है | तो मैं आपसे इतना पूछना चाहती हूँ कि क्या ये माहोल खुशनुमा नहीं हो सकता ?”

खैर, सवाल तो सृष्टि ने पूछा है लेकिन ये सवाल आप सबके मन में होगा | परीक्षा अपने आप में, एक खुशी का अवसर होना चाहिये | साल-भर मेहनत की है, अब बताने का अवसर आया है, ऐसा उमंग-उत्साह का ये पर्व होना चाहिए | बहुत कम लोग हैं जिनके लिए exam में pleasure होती है, ज़्यादातर लोगों के लिए exam एक pressure होती है | निर्णय आपको करना है कि इसे आप pleasure मानेगें कि pressure मानेंगे जो pleasure मानेगा वो पायेगा | जो pressure मानेगा वो पछताएगा | और इसलिए मेरा मत है कि परीक्षा एक उत्सव है, परीक्षा को ऐसे लीजिए जैसे मानों त्योहार है | और जब त्योहार होता है, जब उत्सव है, तो हमारे भीतर जो सबसे best होता है वही बाहर निकल कर के आता है | समाज की ताक़त की भी अनुभूति उत्सव के समय होती है | जो उत्तम से उत्तम है वो प्रकट होता है | सामान्य रूप से हमको लगता है कि हम लोग कितने indiscipline हैं, लेकिन जब 40-45 दिन चलने वाले कुम्भ के मेलों की व्यवस्था देखें तो पता चलता है कि ये mix-up arrangement और क्या discipline है लोगों में | ये उत्सव की ताकत है | exam में भी पूरे परिवार में, मित्रों के बीच, आस-पड़ोस के बीच एक उत्सव का माहौल बनना चाहिये | आप देखिए, ये pressure, pleasure में convert हो जाएगा | उत्सवपूर्ण वातावरण बोझ-मुक्त बना देगा | और मैं इसमें माता-पिता को ज्यादा आग्रह से कहता हूँ कि आप इन तीन-चार महीनें एक उत्सव का वातावरण बनाइए | पूरा परिवार एक टीम के रूप में, इस उत्सव को सफल करने के लिए अपनी-अपनी भूमिका उत्साह से निभाए | देखिये, देखते ही देखते बदलाव आ जाएगा | हक़ीकत तो ये है कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक और कच्छ से ले करके कामरूप तक, अमरेली से ले करके अरुणाचल प्रदेश तक, ये तीन-चार महीने परीक्षा ही परीक्षा होती है | ये हम सब का दायित्व है कि हम हर वर्ष इन तीन-चार महीनों को अपने-अपने तरीक़े से, अपनी-अपनी परंपरा को लेते हुए, अपने-अपने परिवार के वातावरण को लेते हुए, उत्सव में परिवर्तित करें | और इसलिए मैं तो आपसे कहूँगा ‘smile more score more’ | जितनी ज़्यादा ख़ुशी से इस समय को बिताओगे, उतने ही ज़्यादा नंबर पाओगे , करके देखिए | और आपने देखा होगा कि जब आप खुश होते हैं, मुस्कुराते हैं तो आप relax अपने आप को पाते हैं | आप सहज रूप से relax हो जाते हैं और जब आप relax होते हैं तो आपकी वर्षों पुरानी बातें भी सहज रूप से आपको याद आ जाती हैं | एक साल पहले classroom में teacher ने क्या कहा पूरा दृश्य याद आ जाता है | और आपको ये पता होना चाहिए memory को recall करने का जो power है वो relaxation में सबसे ज़्यादा होता है | अगर आप तनाव में है तो सारे दरवाज़े बंद हो जाते हैं, बाहर का अंदर नहीं जाता, अन्दर का बाहर नहीं आता है | विचार प्रक्रिया में ठहराव आ जाता है वो अपने आप में एक बोझ बन जाता है | एग्जाम में भी आपने देखा होगा आपको सब याद आता है | किताब याद आती है, chapter याद आता है, page number याद आता है, page में ऊपर की तरफ़ लिखा है कि नीचे की तरफ़, वो भी याद आता है, लेकिन वो particular शब्द याद नहीं आता है | लेकिन जैसे ही exam दे करके बाहर निकलते हो और थोड़ा सा कमरे के बाहर आए अचानक आपको याद आ जाता है, हाँ यार... ये शब्द था | अन्दर क्यों याद नहीं आया, pressure था | बाहर कैसे याद आया | आप ही तो थे, किसी ने बताया तो नहीं था | लेकिन जो अन्दर था, तुरंत बाहर आ गया और बाहर इसलिए आया क्योंकि आप relax हो गए | और इसलिए memory recall करने की सबसे बड़ी अगर कोई औषधी है, तो वो relaxation है | और ये मैं अपने स्वानुभव से कहता हूँ कि अगर pressure है तो अपनी चीज़ें हम भूल जाते हैं और relax हैं  तो कभी हम कल्पना नहीं कर सकते अचानक ऐसी-ऐसी चीज़े याद आ जाती हैं, बहुत काम आ जाती हैं | और ऐसा नहीं है कि आप के पास knowledge नहीं है, ऐसा नहीं है कि आप के पास information नहीं है, ऐसा नहीं है कि आपने मेहनत नहीं की है | लेकिन जब tension होता है तब आपका knowledge, आपका ज्ञान, आपकी जानकारी नीचे दब जाती हैं और आपका tension उस पर सवार हो जाता है | और इसलिए आवश्यक है, ‘A happy mind is the secret for a good mark sheet’| कभी-कभी ये भी लगता है कि हम proper prospective में परीक्षा को देख नहीं पाते हैं | ऐसा लगता है कि वो जीवन-मरण का जैसे सवाल है | आप जो exam देने जा रहे हैं वो सालभर में आपने जो पढाई की है उसकी exam है | ये आपके जीवन की कसौटी नहीं है | आपने कैसा जीवन जिया, कैसा जीवन जी रहे हो, कैसा जीवन जीना चाहते हो, उसकी exam नहीं है | आपके जीवन में, classroom में, notebook ले करके दी गई परीक्षा के सिवाय भी कई कसौटियों से गुजरने के अवसर आए होंगे | और इसलिए, परीक्षा को जीवन की सफलता-विफलता से कोई लेना-देना है, ऐसे बोझ से मुक्त हो जाइए | हमारे सबके सामने, हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का बड़ा प्रेरक उदाहरण है | वे वायुसेना में भर्ती होने गए, fail हो गए | मान लीजिए, उस विफलता के कारण अगर वो मायूस हो जाते, ज़िंदगी से हार जाते तो क्या भारत को इतना बड़ा वैज्ञानिक मिलता, इतने बड़े राष्ट्रपति मिलते ! नहीं मिलते | कोई ऋचा आनंद जी ने मुझे एक सवाल भेजा है:

आज के इस दौर में शिक्षा के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती देख पाती हूँ वो यह कि शिक्षा परीक्षा केन्द्रित हो कर रह गयी है | अंक सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं | इसकी वजह से प्रतिस्पर्धा तो बहुत बढ़ी ही है साथ में विद्यार्थियों में तनाव भी बहुत बढ़ गया है | तो शिक्षा की इस वर्तमान दिशा और इसके भविष्य को ले करके आपके विचारों से अवगत होना चाहूँगी |   

वैसे उन्होंने खुद ने ही जवाब दे ही दिया है, लेकिन ऋचा जी चाहती हैं कि मैं भी इसमें अपनी कुछ बात रखूँ | marks और mark sheet इसका एक सीमित उपयोग है | ज़िंदगी में वही सब कुछ नहीं होता है | ज़िंदगी तो चलती है कि आपने कितना ज्ञान अर्जित किया है | ज़िंदगी तो चलती है कि आपने जो जाना है, उसको जीने का प्रयास किया है क्या? ज़िंदगी तो चलती है कि आपको जो एक sense of mission मिला है, और जो आपका sense of ambition है, ये आपके mission और ambition के बीच में कोई तालमेल हो रहा है क्या? अगर आप इन चीज़ों में भरोसा करोगे तो marks पूँछ दबाते हुए आपके पीछे आ जाएँगे | आपको marks के पीछे भागने की कभी जरुरत नहीं पड़ेगी | जीवन में आपको knowledge काम आने वाला है, skill काम आने वाली है, आत्मविश्वास काम आने वाला है, संकल्पशक्ति काम आने वाली है | आप ही मुझे बताइए, आपके परिवार के कोई डॉक्टर होंगे और परिवार के सब लोग उन्हीं के पास जाते होंगे, family doctor होते हैं | आप में से कोई ऐसा नहीं होगा जिसने अपने family doctor को, कभी वो कितने नंबर से पास हुआ था, पूछा होगा | किसी ने नहीं पूछा होगा बस आपको लगा कि भई एक डॉक्टर के नाते अच्छे हैं, आप लोगो को लाभ हो रहा है, आप उसकी सेवाएँ लेना शुरू की | आप कोई बड़ा से बड़ा case लड़ने के लिए किसी वकील के पास जाते हैं तो क्या उस वकील की mark sheet देखते हैं क्या?  आप उसके अनुभव को, उसके ज्ञान को, उसकी सफलता की यात्रा को देखते हैं | और इसलिए ये जो अंक का बोझ है, वो भी कभी-कभी हमें सही दिशा में जाने से रोक देता है | लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं ये कहूँ कि बस पढ़ना ही नहीं है | अपनी कसौटी के लिए उसका उपयोग जरुर है | मैं कल था, आज कहाँ हूँ, वो जानने के लिए जरुरी है | कभी-कभार ये भी होता है और अगर बारीकी से आप अपने स्वयं के जीवन को देखोगे तो ध्यान में आएगा कि अगर अंक के पीछे पड़ गए, तो आप shortest रास्ते खोजोगे, Selected चीजों को ही पकड़ोगे और उसी पर focus करोगे | लेकिन आपने जिन चीज़ों पर हाथ लगाया था उसके बाहर की कोई चीज़ आ गई, आपने जो सवाल तैयार किये था उससे बाहर का सवाल आ गया तो आप एकदम से नीचे आ जाएँगे | अगर आप ज्ञान को केंद्र में रखते हैं तो बहुत चीजों को अपने में समेटने का प्रयास करते हो | लेकिन अंक पर focus करते हो, marks पर focus करते हो, तो आप धीरे-धीरे अपने आप को सिकुड़ते जाते हो और एक निश्चित area तक अपने आपको सीमित करके सिर्फ marks पाने के लिए | तो हो सकता है कि exam में होनहार बनने के बावजूद भी जीवन में कभी-कभी विफल हो जाते हैं |

ऋचा जी ने एक बात ये भी कही है ‘प्रतिस्पर्धा’ I ये एक बहुत बड़ी मनोवैज्ञानिक लड़ाई है I सचमुच में, जीवन को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धा काम नहीं आती है I जीवन को आगे बढ़ाने के लिए अनुस्पर्धा काम आती है और जब हम अनुस्पर्धा में कहता हूँ तो उसका मतलब है, स्वयं से स्पर्धा करना I बीते हुए कल से आने वाले कल तक बेहतर कैसे हो? बीते हुए परिणाम से आने वाला अवसर अधिक बेहतर कैसे हो? अक्सर आपने खेल जगत में देखा होगा क्योंकि उसमें तुरंत समझ आता है इसलिए मैं खेल जगत का उदहारण देता हूँ I ज़्यादातर सफल खिलाड़ियों के जीवन की एक विशेषता है कि वो अनुस्पर्धा करते हैं I अगर हम श्रीमान सचिन तेंदुलकर जी का ही उदहारण ले लें I बीस साल लगातार अपने ही Record तोड़ते जाना, खुद को ही हर बार पराजित करना और आगे बढ़ना I बड़ी अदभुत जीवन यात्रा है उनकी I क्योंकि उन्होंने प्रतिस्पर्धा से ज्यादा अनुस्पर्धा का रास्ता अपनाया I

  जीवन के हर क्षेत्र में दोस्तो और जब आप Exam देने जा रहे तब, पहले अगर दो घंटे पढ़ पाते थे शान्ति से वो तीन घंटे कर पाते हो क्या? पहले जितने बजे सुबह उठना तय करते थे, देर हो जाती थी, क्या अब समय पर उठ पाते हो क्या? पहले परीक्षा की Tension में नींद नहीं आती थी अब नींद आती है क्या? खुद को ही आप कसौटी पर कस लीजिए और आपको ध्यान में आएगा प्रतिस्पर्धा में पराजय, हताशा, निराशा और ईर्ष्या को जन्म देता है, लेकिन अनुस्पर्धा आत्मंथन, आत्मचिंतन का कारण बनती है I संकल्प शक्ति को दृढ बनाती है और जब खुद को पराजित करते हैं तो और अधिक आगे बढ़ने का उत्साह अपने आप पैदा होता है, बाहर से कोई Extra Energy की ज़रूरत नहीं पड़ती है I भीतर से ही वो ऊर्जा अपने आप पैदा होती है | अगर सरल भाषा में मुझे कहना है तो मैं कहूँगा जब आप किसी से प्रतिस्पर्धा करते हैं तो तीन संभावनाएँ मोटी-मोटी नजर आती हैं I एक, आप उससे बहुत बेहतर हैं | दूसरा, आप उससे बहुत खराब हैं या आप उसके बराबर के हैं I अगर आप बेहतर हैं तो बेपरवाह हो जाएँगे, अति विश्वास से भर जाएँगे I अगर आप उसके मुकाबले खराब करते हैं तब दुखी और निराश हो जाएँगे, ईर्ष्या से भर जाएँगे I जो ईर्ष्या आपको, अपने आपको, खाती जाएगी और अगर बराबरी के हैं तो सुधार की आवश्कता आप कभी महसूस ही नहीं करोगे I जैसी गाड़ी चलती है चलते रहोगे I तो मेरा आपसे आग्रह है - अनुस्पर्धा का, खुद से स्पर्धा करने का I पहले क्या किया था उससे आगे कैसे करूँगा, अच्छा कैसे करूँगा I बस इसी पर ध्यान केंद्रित कीजिए I आप देखिए आपको बहुत परिवर्तन महसूस होगाI

श्रीमान एस. सुन्दर जी ने अभिभावकों की भूमिका के संबंध में अपनी भावना व्यक्त की है I उनका कहना है कि परीक्षा में अभिभावकों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है I उन्होंने आगे लिखा है, मेरी माँ पढ़ी-लिखी नहीं थी फिर भी वह मेरे पास बैठा करती थी और मुझसे गणित के सवाल हल करने के लिए कहती थी I वह उत्तर मिलाती और इस तरह से वो मेरी मदद करती थी I गलतियाँ ठीक करती थी I मेरी माँ ने दसवीं की परीक्षा पास नहीं की, लेकिन बिना उनके सहयोग के मेरे लिए C.B.S.E. के Exam पास करणा नामुमकिन था I सुन्दर जी आपकी बात सही है और आज भी देखा होगा आपने, मुझे सवाल पूछने वाले सुझाव देने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है क्योंकि घर में बालकों के भविष्य के संबंध में माताएँ जो सजग होती हैं, सक्रिय होती हैं, वे बहुत चीजें सरल कर देती हैं I मैं अभिभावकों से इतना ही कहना चाहूँगा I तीन बातों पर हम बल दें I स्वीकारना, सिखाना, समय देना I जो है उसे accept कीजिए I आपके पास जितने क्षमता है आप mentor कीजिए, आप कितने ही व्यस्त क्यों न हो, समय निकालिए, time दीजिए I एक बार आप accept करना सीख लेंगे, अधिकतम समस्या तो वही समाप्त हो जाएगी I हर अभिभावक इस बात को अनुभव करता होगा, अभिभावकों का टीचरों का expectation समस्या की जड़ में होता है I acceptance समस्याओं के समाधान का रास्ता खोलता है I अपेक्षाएँ राह कठिन कर देती हैं I अवस्था को स्वीकार करना, नए रास्ते खोलने का अवसर देती हैं और इसलिए जो है उसे accept कीजिए I आप भी बोझमुक्त हो जाएँगे I हम लोग, छोटे बच्चों के school bag के वजन की चर्चा करते रहते हैं लेकिन कभी-कभी तो मुझे लगता है कि अभिभावकों की जो अपेक्षाएँ होती हैं उम्मीदे होती हैं, वो बच्चे के school bag से भी जरा ज्यादा भारी हो जाती हैं I

बहुत साल पहले कि बात है हमारे एक परिचित व्यक्ति heart attack के कारण अस्पताल में थे तो हमारे भारत के लोकसभा के पहले speaker गणेश दादा मावलंकर, उनके पुत्र पुरुषोत्तम मावलंकर वो कभी M.P. भी रहे थे वो उनकी तबीयत देखने आए I मैं उस समय मौजूद था और मैंने देखा कि उन्होंने आ करके उनकी तबीयत के संबंध में एक भी सवाल नहीं पूछा, बैठे और आते ही उन्होंने वहाँ क्या स्थिति है? बीमारी कैसी है? कोई बातें नहीं, चुटकुले सुनना शुरू कर दिया और पहले दो-चार मिनट में ही ऐसा माहौल उन्होंने हल्का-फुल्का कर दिया I एक प्रकार से बीमार व्यक्ति को जाकर कर के हम बीमारी से डरा देते हैं I अभिभावकों से मैं कहना चाहूँगा कभी-कभी हम भी बच्चों के साथ ऐसा ही करते हैं I क्या आपको कभी लगा कि Exam के दिनों में बच्चों को हँसी-खुशी का भी कोई माहोल दें I आप देखिए वातावरण बदल जायेगाI

एक बड़ा कमाल का मुझे Phone Call आया है I वे सज्जन अपना नाम बताना नहीं चाहते हैं I Phone सुन कर के आपको पता चलेगा कि वो अपना नाम क्यों नहीं बताना चाहते हैं ?

नमस्कार प्रधानमंत्री जी, मैं अपना नाम तो नहीं बता सकता, क्योंकि मैंने काम ही कुछ ऐसा किया था अपने बचपन में | मैंने बचपन में एक बार नक़ल करने की कोशिश की थी उसके लिये मैंने बहुत तैयारी करना शुरू किया कि मैं कैसे नक़ल कर सकता हूँ, उसके तरीकों को ढूँढने की कोशिश की जिसकी वजह से मेरा बहुत सारा टाइम बर्बाद हो गया | उस टाइम में मैं पढ़ करके भी उतने ही नंबर ला सकता था जितना मैंने नक़ल करने के लिए दिमाग लगाने में खर्च किया | और जब मैंने नक़ल करके पास होने की कोशिश की तो मैं उसमें पकड़ा भी गया और मेरी वजह से मेरे आस-पास के कई दोस्तों को काफी परेशानी हुई |        

आपकी बात सही है I ये जो Shortcut वाले रास्ते होते हैं, वो नकल करने के लिए कारण बन जाते हैं I कभी-कभार खुद पर विश्वास नहीं होने के कारण मन करता है कि बगल वाले से जरा देख लूँ, Confirm कर लूँ मैंने जो लिखा है सही है कि नहीं है और कभी-कभी तो हमने सही लिखा होता है लेकिन बगल वाले ने झूठा लिखा होता है तो उसी झूठ को हम कभी स्वीकार कर लेते हैं और हम भी मर जाते हैं तो नकल कभी फायदा नहीं करती है “To Cheat is to be Cheap, So Please Do not Cheat” I नकल आपको बुरा बनाती है, इसलिए नकल न करें I आपने कई बार और बार-बार ये सुना होगा कि नकल मत करना, नकल मत करना I मैं भी आपको वही बात दोबारा कह रहा हूँ I नकल को आप हर रूप में देख लीजिए, वो जीवन को विफल बनाने के रास्ते की ओर आपको घसीट के ले जा रही है और Exam में ही अगर निरीक्षक ने पकड़ लिया तो आपका तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा और मान लीजिए किसी ने नहीं पकड़ा तो जीवन पर आपके मन पर एक बोझ तो रहेगा कि आपने ऐसा किया था और जब कभी आपको अपने बच्चों को समझाना होगा तो आप आँख में आँख मिला कर के नहीं समझा पाओगे I और एक बार नकल की आदत लग गई तो जीवन में कभी कुछ सीखने की इच्छा ही नहीं रहेगी फिर तो आप कहाँ पहुँच पाओगे ?

मान लीजिए आप भी अपने रास्तों को गड्ढे में परिवर्तित कर रहे हो और मैंने तो देखा है कुछ लोग ऐसे होते हैं कि नकल के तौर-तरीके ढूंढने में इतनी talent का उपयोग कर देते हैं इतना investment कर देते हैं अपनी पूरी creativity जो है वो नकल करने के तौर-तरीकों में खपा देते हैं I अगर वही creativity यही time आप अपने exam के मुद्दों पर देते तो शायद नकल की ही जरुरत नहीं पड़ती I अपनी खुद की मेहनत से जो परिणाम प्राप्त होगा उससे जो आत्मविश्वास बढ़ेगा वो अदभुत होगा I

एक Phone Call आया है:

 नमस्कार प्रधानमंत्री जी my name is Monika and since I am a  class  12th student, I wanted to ask you a couple of questions regarding the Board Exams. My 1st question is what can we do to reduce the stress that build up during our exams and my 2nd question is while exams all about work and no play. Thank you.”

अगर परीक्षा के दिनों में, मैं आपको खेल-कूद की बात करूँगा तो आपके teacher आपके parents ये मुझ पर गुस्सा करेंगे वो नाराज़ हो जाएँगे कि ये कैसा प्रधानमंत्री है बच्चों को exam के समय में कह रहा है खेलो  I क्योंकि आमतौर पर धारणा ऐसी है कि अगर विद्यार्थी खेल-कूद में ध्यान देते हैं तो शिक्षा से बे-ध्यान हो जाते हैं I ये मूलभूत धारणा ही ग़लत है समस्या की जड़ वो ही है I सर्वांगीण विकास करना है तो किताबों के बाहर भी एक ज़िन्दगी होती है और वो बहुत बड़ी विशाल होती है I उसको भी जीने का सीखने का यही समय होता है I कोई ये कहे कि मैं पहले सारी परीक्षाएँ पूर्ण कर लूँ I बाद में खेलूँगा बाद में ये करूँगा तो असंभव है I जीवन का यही तो molding का time होता है I इसी को तो परवरिश कहते हैं I दरअसल परीक्षा में मेरी दृष्टि से तीन बातें बहुत जरुरी हैं – proper rest आराम, दूसरा जितनी आवश्यक है शरीर के लिए उतनी नींद और तीसरा दिमागी activity के सिवाय भी शरीर एक बहुत बड़ा हिस्सा है I तो शरीर के बाकी हिस्सों को भी physical activity मिलनी चाहिए I क्या कभी सोचा है कि जब इतना सारा सामने हो, तो दो पल बाहर निकल कर जरा आसमान में देखें, जरा पेड़ पौधों की तरफ देखें, थोड़ा-सा मन को हल्का करें आप देखिए एक ताज़गी के साथ फिर से आप अपने कमरे में अपनी किताबों के पीछे आएँगे I आप जो भी कर रहे हो, थोड़ा break लीजिए, उठ करके बाहर जाइए, kitchen में जाइए, अपनी पसंद की कोई चीज़ है जरा खोजिए, अपनी पसंद का biscuit मिल जाए तो खाइए, थोड़ी हँसी-मज़ाक कर लीजिए भले पांच मिनट क्यों न हो लेकिन आप break दीजिए I आपको महसूस होगा कि आपका काम सरल होता जा रहा है I सबको ये पसंद है कि नहीं मुझे मालूम नहीं लेकिन मेरा तो अनुभव है I ऐसे समय deep breathing करते हैं तो बहुत फ़ायदा होता है I गहरी साँस आप देखिए बहुत relax हो जाता है | गहरी साँस भी लेने के लिए कोई कमरे में फिट रहने की जरुरत नहीं है I जरा खुले आसमान के नीचे आएँ, छत पर चले जाएँ, पांच मिनट गहरी साँस ले करके फिर अपने पढ़ने के लिए बैठ जाएँ, आप देखिए, शरीर एक दम से relax हो जाएगा और शरीर का जो  relaxation आप अनुभव करते हैं न, वो दिमागी अंगों का भी उतना ही relaxation कर देता है I कुछ लोगों को लगता है रात को देर-देर जागेंगे ज्यादा-ज्यादा पढ़ेंगे - जी नहीं शरीर को जितनी नींद की आवश्यकता है वो आवश्य लीजिए उससे आपका पढ़ने का समय बर्बाद नहीं होगा पढ़ने कि ताकत में इजाफ़ा करेगा I आपका concentration बढ़ेगा आप कि ताज़गी आएगी freshness होगा I आपकी efficiency में overall बहुत बड़ी बढ़ोतरी होगी I मैं जब चुनाव में सभाएँ करता हूँ तो कभी-कभी मेरी आवाज़ बैठ जाती है I तो मुझे एक लोक गायक मिलने आए I उन्होंने मुझसे आ करके पूछा - आप कितने घंटे सोते हैं I मैंने कहा क्यों भई आप डॉक्टर हैं क्या ? नहीं-नहीं बोले ये आपका आवाज़ जो चुनाव के समय भाषण करते-करते ख़राब हो जाता है, उसका इसके साथ संबंध है I आप पूरी नींद लेंगे तो तभी आपके vocal cord को पूरा rest मिलेगा I अब मैंने नींद को और मेरे भाषण को और मेरी आवाज़ को कभी सोच नहीं था, उन्होंने मुझे एक जड़ी-बूटी दे दी I तो सचमुच में हम इन चीज़ों का महत्व समझें, आप देखिए आपको फ़ायदा होगा I लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि बस सोते ही रहें, लेकिन कुछ कहेंगे कि प्रधानमंत्री जी ने कह दिया अब बस जागने की जरुरत नहीं है, सोते ही रहना है I तो ऐसा मत करना वरना आपके परिवार के लोग मेरे से नाराज़ हो जाएँगे I और आपकी अगर mark-sheet जिस दिन आएगी तो उनको आप नहीं दिखाई दोगे मैं ही दिखाई दूँगा I तो ऐसा मत करना I और इसलिए मैं तो कहूँगा ‘P for prepare and P for play’ जो खेले वो खिले ‘the person who plays - shines’ मन, बुद्धि, शरीर उसको सचेत रखने के लिए ये बहुत बड़ी औषध है I खैर युवा दोस्तो, आप परीक्षा की तैयारी में हैं और मैं आपको मन की बातों में जकड़ कर बैठा हूँ I हो सकता है ये आज कि मेरी बातें भी तो आपके लिए relaxation का काम करेंगी ही करेंगी I लेकिन मैं साथ-साथ ये भी कहूँगा कि मैंने जो बातें बताई हैं उसको भी बोझ मत बनने दीजिए I हो सकता है तो करिए, नहीं हो सकता तो मत कीजिए वरना ये भी एक बोझ बन जाएगा I तो जैसे मैं आपके परिवार के माता-पिता को बोझ न बनने की सलाह देता हूँ वो मुझ पर भी लागू होती हैं I अपने संकल्प को याद करते हुए अपने पर विश्वास रखते हुए, परीक्षा के लिए जाइए मेरी बहुत शुभकामनाएँ हैं  I हर कसौटी से पार उतरने के लिए कसौटी को उत्सव बना दीजिए I फिर कभी कसौटी, कसौटी ही नहीं रहेगी I इस मन्त्र को ले करके आगे बढें I

        प्यारे देशवासियो, 1 फरवरी 2017 “Indian Coast Guard” के 40 वर्ष पूरे हो रहे हैं I इस अवसर पर मैं Coast Guard के सभी आधिकारियों एवं जवानों को राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा के लिए धन्यवाद देता हूँ I ये गर्व की बात है कि Coast Guard देश में निर्मित अपने सभी 126 Ships और 62  Aircrafts के साथ विश्व के 4 सबसे बड़े Coast Guard के बीच अपना स्थान बनाए हुए है I Coast Guard का मंत्र है ‘वयम् रक्षामः’ अपने इस आदर्श वाक्य को चरितार्थ करते हुए, देश की समुद्री सीमाओं और समुद्री परिवेश को सुरक्षित करने के लिए Coast Guard के जवान प्रतिकूल परिस्थितियों में भी दिन-रात तत्पर रहते हैं I पिछले वर्ष Coast Guard के लोगों ने अपनी जिम्मेवारियों के साथ-साथ हमारे देश के समुद्र तट को स्वच्छ बनाने का बड़ा अभियान उठाया था और हज़ारों लोग इसमें शरीक हुए थे Coastal Security के साथ-साथ Coastal Cleanness इसकी भी चिंता की उन्होंने ये सचमुच में बधाई के पात्र हैं I और बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि हमारे देश में Coast Guard में सिर्फ़ पुरुष नहीं है, महिलाएँ भी कन्धे से कन्धा मिलाकर समान रूप से अपनी जिम्मेवारियाँ निभा रहीं है और सफलतापूर्वक निभा रहीं हैं I Coast Guard की हमारी महिला अफसर Pilot हो, Observers के रूप में काम हो, इतना ही नहीं Hovercraft की कमान भी संभालती है I भारत के तटीय सुरक्षा में लगे हुए और सामुद्रिक सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय आज विश्व का बना हुआ है तब मैं ‘Indian Coast Guard’ के 40वीं वर्षगांठ पर उनको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ I

1 फरवरी को बसन्त पंचमी का त्यौहार है, बसन्त - ये सर्वश्रेष्ठ ऋतु के रूप में, उसको स्वीकृति मिली हुई है I बसन्त ये ऋतुओं का राजा है I हमारे देश में बसन्त पंचमी सरस्वती पूजा का एक बहुत बड़ा त्योहार होता है I विद्या की आराधना का अवसर माना जाता है I इतना ही नहीं, वीरों के लिए प्रेरणा का भी पर्व होता है I ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ ये वही तो प्रेरणा है I इस बसन्त पंचमी के पावन त्योहार पर मेरी देशवासियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं I

        मेरे प्यारे देशवासियो ‘मन की बात’ में आकाशवाणी भी अपनी कल्पकता के साथ हमेशा नये रंग-रूप भरता रहता है पिछले महीने से उन्होंने मेरी ‘मन की बात’ पूर्ण होने के तुरंत बाद प्रादेशिक भाषाओं में ‘मन की बात’ सुनाना शुरू किया है इसको व्यापक स्वीकृति मिली है I दूर-दूर से लोग चिट्ठियाँ लिख रहे हैं I मैं आकाशवाणी को उनके इस स्वयं प्रेरणा से किये गए काम के लिए बहुत-बहुत अभिनन्दन करता हूँ I देशवासियो, में आपका भी बहुत अभिनन्दन करता हूँ I ‘मन की बात’ मुझे आपसे जुड़ने का एक बहुत बड़ा अवसर देती है I बहुत-बहुत शुभकामनाएँ I धन्यवाद I  

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Complete audio of Mann Ki Baat is available here
Click on the link
https://www.youtube.com/watch?v=F0lTlZFBzks
       


Friday, 20 January 2017

FOUR reasons that made the 2nd India vs England ODI special

If you like me were glued to your TV sets for most part of the day yesterday,  Team India's win against England in the 3 match One Day International (ODI) series won't come as a surprise. However, apart from the fact that India won the match that saw a nail-biting finish, there are four reasons that made this match all the more special 



1.    Yuvi-Dhoni Partnership: India was reeling at 25-3 after a three wicket haul by Chris Woakes .But, the two legends Yuvraj Singh and Mahendra Singh Dhoni walked out and steadied the game with their massive run onslaught. Yuvraj smashed a total of 150 runs in 127 balls and Dhoni a total of 134 runs in 122 balls. It rained sixes and fours at the Barabati Stadium in Cuttuck, Odisha.The two “anchors of the ship” established a partnership of a total of 256 runs, breaking all records in the process With this partnership, Yuvraj and Dhoni completed 3,000 runs between them. This stellar performance by the two helped every die-hard Indian cricket fan relive the past.




2.    Yuvraj Singh’s Century Yuvraj’s outstanding performance came at a time when India needed it the most. He hammered 21 fours and three sixes in what he calls one of his career-best knock in ODIs. With a total of 150 runs, Yuvraj broke his personal record by scoring his highest ever ODI Score and became the highest Indian scorer against England . This was also his FIRST century after SIX years; one that won him the title of “Man of the Match”. He attributed his win to the faith current Indian Captain Virat Kohli showed in him and the blessings of his Guruji and his mother.




3.    Mahendra Singh Dhoni’s Century:  In typical Dhoni style, his innings began slowly before he played a crucial role in steering India to victory, like he has on numerous occasions in the past. Dhoni crossed the three-figure mark with a total of 134 runs. His last ODI century was in the year 2013, thereby making this century a little more special. With this century he also joined the “very exclusive club” as he became only the 5th batsmen to hit 200+ sixes in ODI’s. With a total of 203 sixes, he is the FIRST Indian and the FOURTH International batsman to achieve this feat. He hit a total of 10 fours and 12 sixes, scoring his 10th ODI hundred, his first since handing over captaincy to Virat Kohli.

4.    India clinches ODI Series: After defeating England by 15 runs in yesterday’s match , India clinched the 3 match series, bringing the total score to 2-0.


This match had everything that a die-hard cricket fan wanted. A giant total by the home team, a 256 run partnership by two legends, thrill intact even throughout England’s chase and most importantly an Indian win.







Friday, 13 January 2017

Winter Harvest Festivals are here!

New year, new vigor and new hopes, season of festivities begins in the country with myriad colors of harvest festival on Thursday. Season of new harvest is celebrated across the country with great fervor and enthusiasm and it officially marks the end of winter by the Indian calendar. Each state welcomes the season with its unique culture and love. We wish all of you enjoy the festival that begins today in the same flavor as we enjoyed sharing its uniqueness below—

Lohri
Lohri is celebrated to mark the end of the winters, and is traditionally associated with harvest of the Rabi crops. Lohri is seen as a harvest festival, and thus Punjabi farmers see the day after Lohri (Maghi) as the financial New Year.


Lohri is a festival dedicated to fire and the sun god. It is the time when the sun transits the zodiac sign Makar (Capricorn), and moves towards the north. Rewri, peanuts and pop corns are the three munchies associated with this festival. It is also traditional to eat 'til rice'--sweet rice made with jaggery (gur) and sesame seeds.

Makar Sankranti
The country will also be celebrating Makar Sankranti which is tomorrow, January 14.


Also known as Makara Sankranti, it is celebrated in various parts of the country. This festival marks the shift of the sun into longer days. This is celebrated as the harvest festival in North and west India, down south, the festival is known as Pongal and in the north also celebrated as Lohri. Uttarayan, Maghi, Khichdi are some other names of the same festival.
Makar Sankranti is believed to be a time for peace and wellness. The day is regarded as important and has spiritual values because of which people take a holy dip in rivers.

Magh Bihu or Bhogali Bihu


Magh Bihu or Bhogali Bihu, is the harvest festival of the state of Assam and is observed in the Assamese month of Magh (January). It is a two-day festival dedicated to Lord Agni, the Hindu fire god.

Pongal
Thai Pongal is a Tamil harvest festival. Thai is the first month of the Tamil Almanac, and Pongal is a dish of sweet concoction of rice, moong dal, jaggery and milk. Thai Pongal is a four-day festival which according to the Gregorian calendar is normally celebrated from January 14 to January 16. This corresponds to the last day of the Tamil month Maargazhi to the third day of the Tamil month Thai.


The day marks the start of the sun’s six-month-long journey northwards (the Uttaraayanam). This also corresponds to the Indic solstice when the sun purportedly enters the 10th house of the Indian zodiac Makara or Capricorn. Thai Pongal is mainly celebrated to convey appreciation to the Sun God for providing the energy for agriculture. Part of the celebration is the boiling of the first rice of the season consecrated to the Sun - the Surya Maangalyam.

All India Radio- Akashvani wishes all its listeners peace and prosperity in this festive season.

Payal Choudhary


Thursday, 12 January 2017

Delhi shivers as the cold wave intensifies!

As cold wave continues to grip parts of North India, Delhi witnessed its coldest day of the season on Wednesday. Delhiites woke up to a chilly morning with a minimum temperature of 4 degree Celsius, which was three notches below the season’s average.


According to the India Meteorological Department (IMD), the minimum temperature was expected to be four degrees Celsius on Thursday, while the maximum temperature on Wednesday was likely to hover around 17 degrees.

 In the coming week, Delhi along with other parts of northern India, including Haryana, Punjab, and north Rajasthan are likely to come under a cold wave condition.
The minimum temperature in Delhi is expected to dip to four degrees Celsius from January 10-13, making it the season’s coldest week, according to the India Meteorological Department (IMD) officials.

"The sky will remain clear with shallow to moderate fog in the morning," an IMD official told IANS.
The capital has been witnessing warmer winters for the past 5 years, but now this season the temperatures for both day and night are tend to fall by 2-4 degree Celsius.

Railways are the most affected by this cold wave. So far 26 trains have been delayed, 8 rescheduled and 7 cancelled due to fog and other operational reasons as reported by ANI.


The humidity level in the national capital on Wednesday recorded at 8.30 am was 85 per cent. As per India Meteorological Department (IMD), the sky will remain clear with shallow to moderate fog in the morning while skies will remain clear and maximum temperature is expected to settle at 17 degrees Celsius. Even in this cold wave, the afternoons are basking and helping people to stay warm in the sun.
As per IMD forecast, the cold wave conditions are likely to mellow down from January 13, onwards.