Sunday, 25 March 2018

‘मन की बात’ (42वीं कड़ी) प्रसारण तिथि: 25.03.2018


  मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आज रामनवमी का पावन पर्व है | रामनवमी के इस पवित्र पर्व पर देशवासियों को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ | पूज्य बापू के जीवन में ‘राम नाम’ की शक्ति कितनी थी वो हमने उनके जीवन में हर पल देखा है | पिछले दिनों 26 जनवरी को जब ASEAN (आसियान) देशों के सभी महानुभाव यहाँ थे तो अपने साथ Cultural troop लेकर के आये थे और बड़े गर्व की बात है कि उसमें से अधितकतम देश, रामायण को ही हमारे सामने प्रस्तुत कर रहे थे |  यानी राम और रामायण, न सिर्फ़ भारत में लेकिन विश्व के इस भू-भाग में ASEAN countries में, आज भी उतने ही प्रेरणा और प्रभाव पैदा कर रहे हैं | मैं फिर एक बार आप सबको रामनवमी की शुभकामनाएँ देता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, हर बार की तरह इस बार भी मुझे आप सबके सारे पत्र, email, phone-call और comments बहुत बड़ी मात्रा में मिले हैं | कोमल ठक्कर जी ने MyGov पर - आपने संस्कृत के on-line courses शुरू करने के बारे में जो लिखा वो मैंने पढ़ा | IT professional होने के साथ-साथ, संस्कृत के प्रति आपका प्रेम देखकर बहुत अच्छा लगा | मैंने सम्बंधित विभाग से इस ओर हो रहे प्रयासों की जानकारी आप तक पहुँचाने के लिए कहा है | ‘मन की बात’ के श्रोता जो संस्कृत को लेकर कार्य करते हैं, मैं उनसे भी अनुरोध करूंगा कि इस पर विचार करें कि कोमल जी के सुझाव को कैसे आगे बढ़ाया जाए |
श्रीमान घनश्याम कुमार जी, गाँव बराकर, जिला नालन्दा, बिहार - आपके NarendraModiApp पर लिखे comments पढ़े | आपने जमीन में घटते जल-स्तर पर जो चिंता जताई है, वह निश्चित रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है |
श्रीमान शकल शास्त्री जी, कर्नाटक - आपने शब्दों के बहुत ही सुन्दर तालमेल के साथ लिखा कि ‘आयुष्मान भारत’ तभी होगा जब ‘आयुष्मान भूमि’ होगी और ‘आयुष्मान भूमि’ तभी होगी जब हम इस भूमि पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी की चिंता करेंगे | आपने गर्मियों में पशु-पक्षियों के लिए पानी रखने के लिए भी सभी से आग्रह किया है | शकल जी, आपकी भावनाओं को मैंने सभी श्रोताओं तक पहुँचा दिया है |
श्रीमान योगेश भद्रेशा जी, उनका कहना है कि मैं इस बार युवाओं से उनके स्वास्थ्य के बारे में बात करूँ | उन्हें लगता है कि Asian countries में तुलना करें तो हमारे युवा physically weak हैं | योगेश जी, मैंने सोचा है कि इस बार health को लेकर के सभी के साथ विस्तार से बात करूँ - Fit India की बात करूँ | और आप सब नौजवान मिल करके Fit India का movement भी चला सकते हैं |
  पिछले दिनों France के राष्ट्रपति काशी की यात्रा पर गए थे | वाराणसी के श्रीमान प्रशांत कुमार ने लिखा है कि उस यात्रा के सारे दृश्य, मन को छूने वाले थे, प्रभाव पैदा करने वाले थे | और, उन्होंने आग्रह किया था कि वो सारे फ़ोटो, सारे Video, social media पर प्रचारित करनी चाहिये | प्रशांत जी, भारत सरकार ने वो फ़ोटो उसी दिन social media और NarendraModiApp पर share कर दिए थे | अब आप उनको like करें और re-twit करें, अपने मित्रों को पहुँचाएँ |
Chennai से अनघा, जयेश और बहुत सारे बच्चों ने Exam Warrior पुस्तक के पीछे जो gratitude cards दिए हैं उन पर उन्होंने, अपने दिल में जो विचार आये, वो लिख कर मुझे ही भेज दिए हैं | अनघा, जयेश,  मैं आप सब बच्चों को बताना चाहता हूँ कि आपके इन पत्रों से मेरे दिनभर की थकान छू-मन्तर हो जाती है | इतने सारे पत्र, इतने सारे phone call, comments, इनमें से जो कुछ भी मैं पढ़ पाया, जो भी मैं सुन पाया और उसमें से बहुत सी चीजें हैं जो मेरे मन को छू गयी - सिर्फ़ उनके बारे में ही बात करूँ तो भी शायद महीनों तक मुझे लगातार कुछ-न-कुछ कहते ही जाना पड़ेगा |
इस बार ज्यादातर पत्र बच्चों के हैं जिन्होंने exam के बारे में लिखा है | छुट्टियों के अपने plan, share किये हैं | गर्मियों में पशु-पक्षियों के पानी की चिंता की है | किसान-मेलों और खेती को लेकर जो गतिविधियाँ देश-भर में चल रही हैं उसके बारे में किसान भाई-बहनों के पत्र आये हैं | Water conservation को लेकर के कुछ सक्रिय नागरिकों ने सुझाव भेजे हैं | जब से हम लोग आपस में ‘मन की बात’ रेडियो के माध्यम से कर रहे हैं तब से मैंने एक pattern देखा है कि गर्मियों में ज्यादातर पत्र, गर्मियों के विषय लेकर के आते हैं | परीक्षा से पहले विद्यार्थी-मित्रों की चिन्ताओं को लेकर के पत्र आते हैं | festival season में हमारे त्योहार, हमारी संस्कृति, हमारी परम्पराओं को लेकर के बातें आती हैं | यानी मन की बातें, मौसम के साथ बदलती भी हैं और शायद यह भी सच है कि हमारे मन की बातें, कहीं किसी के जीवन में मौसम भी बदल देती हैं | और क्यों न बदले ! आपकी इन बातों में, आपके इन अनुभवों में, आपके इन उदाहरणों में, इतनी प्रेरणा, इतनी ऊर्जा, इतना अपनापन, देश के लिए कुछ करने का जज़्बा रहता है | यह तो पूरे देश का ही मौसम बदलने की ताक़त रखता है | जब मुझे आपके पत्रों में पढ़ने को मिलता है कि कैसे असम के करीमगंज के एक रिक्शा-चालक अहमद अली ने अपनी इच्छाशक्ति के बल पर ग़रीब बच्चों के लिए नौ (9) स्कूल बनवाये हैं - तब इस देश की अदम्य इच्छाशक्ति के दर्शन होते हैं | जब मुझे कानपुर के डॉक्टर अजीत मोहन चौधरी की कहानी सुनने को मिली कि वो फुटपाथ पर जाकर ग़रीबों को देखते हैं और उन्हें मुफ़्त दवा भी देते हैं - तब इस देश के बन्धु-भाव को महसूस करने का अवसर मिलता है | 13 साल पहले, समय पर इलाज़ न मिलने के कारण Kolkata के Cab-चालक सैदुल लस्कर (Saidul Laskar) की बहन की मृत्यु हो गयी - उन्होंने अस्पताल बनाने की ठान ली ताकि इलाज़ के अभाव में किसी ग़रीब की मौत न हो | सैदुल ने अपने इस mission में घर के गहने बेचे, दान के ज़रिये रूपये इकट्ठे किये | उनकी Cab में सफ़र करने वाले कई यात्रियों ने दिल खोलकर दान दिया | एक engineer बेटी ने तो अपनी पहली salary ही दे दी | इस तरह से रूपये जुटाकर 12 वर्षों के बाद, आख़िरकार सैदुल लस्कर ने जो भागीरथ प्रयास किया, वो रंग लाया और आज उन्हीं की इस कड़ी मेहनत के कारण, उन्हीं के संकल्प के कारण कोलकाता के पास पुनरी (punri) गाँव में लगभग 30 bed की क्षमता वाला अस्पताल बनकर तैयार है | यह है New India की ताक़त | जब उत्तरप्रदेश की एक महिला अनेकों संघर्ष के बावजूद 125 शौचालयों का निर्माण करती है और महिलाओं को उनके हक़ के लिए प्रेरित करती है - तब मातृ-शक्ति के दर्शन होते हैं | ऐसे अनेक प्रेरणा-पुंज मेरे देश का परिचय करवाते हैं | आज पूरे विश्व में भारत की ओर देखने का नज़रिया बदला है | आज जब, भारत का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है तो इसके पीछे माँ-भारती के इन बेटे-बेटियों का पुरुषार्थ छुपा हुआ है | आज देश भर में, युवाओं में, महिलाओं में, पिछड़ों में, ग़रीबो में, मध्यम-वर्ग में, हर वर्ग में यह विश्वास जगा है कि हाँ! हम आगे बढ़ सकते हैं, हमारा देश आगे बढ़ सकता है | आशा-उम्मीदों से भरा एक आत्मविश्वास का सकारात्मक माहौल बना है | यही आत्मविश्वास, यही positivity, New India का हमारा संकल्प साकार करेगी, सपना सिद्ध करेगी |   
    
मेरे प्यारे देशवासियो, आने वाले कुछ महीने किसान भाइयों और बहनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं | इसी कारण ढ़ेर सारे पत्र, कृषि को लेकर के आए हैं | इस बार मैंने दूरदर्शन का DD Kisan Channel पर जो किसानों के साथ चर्चाएं होती हैं, उनके video भी मंगवा कर देखे और मुझे लगता है कि हर किसान को दूरदर्शन की ये DD Kisan Channel से जुड़ना चाहिए, उसे देखना चाहिए और उन प्रयोगों को अपने खेत में लागू करना चाहिए | महात्मा गाँधी से लेकर के शास्त्री जी हों, लोहिया जी हों, चौधरी चरण सिंह जी हों, चौधरी देवीलाल जी हों- सभी ने कृषि और किसान को देश की अर्थव्यवस्था और आम जन-जीवन का एक अहम् अंग माना | मिट्टी, खेत-खलिहान और किसान से महात्मा गाँधी को कितना लगाव था,ये भाव उनकी इस पंक्ति में झलकता है, जब उन्होंने कहा था-


‘To forget how to dig the earth and to tend the soil, is to forget ourselves.’
यानी, धरती को खोदना और मिट्टी का ख्याल रखना अगर हम भूल जाते हैं, तो ये स्वयं को भूलने जैसा है | इसी तरह, लाल बहादुर शास्त्री जी पेड़, पौधे और वनस्पति के संरक्षण और बेहतर कृषि-ढांचे की आवश्यकता पर अक्सर ज़ोर दिया करते थे | डॉ० राम मनोहर लोहिया ने तो हमारे किसानों के लिए बेहतर आय, बेहतर सिंचाई-सुविधाएँ और उन सब को सुनिश्चित करने के लिए और खाद्य एवं दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर जन-जागृति की बात कही थी | 1979 में अपने भाषण में चौधरी चरण सिंह जी ने किसानों से नई technology का उपयोग करने, नए innovation करने का आग्रह किया, इसकी आवश्यकता पर बल दिया | मैं पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित कृषि-उन्नति-मेले में गया था | वहाँ किसान भाई-बहनों और वैज्ञानिकों के साथ मेरी बातचीत, कृषि से जुड़े अनेक अनुभवों को जानना, समझना, कृषि से जुड़े innovations के बारे में जानना - ये सब मेरे लिए एक सुखद अनुभव तो था ही लेकिन जिस बात ने मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो था मेघालय और वहाँ के किसानों की मेहनत | कम क्षेत्रफल वाले इस राज्य ने बड़ा काम करके दिखाया है | मेघालय के हमारे किसानों ने वर्ष 2015-16 के दौरान, पिछले पाँच साल की तुलना में record पैदावार की है | उन्होंने दिखाया है कि जब लक्ष्य निर्धारित हो, हौसला बुलंद हो और मन में संकल्प हो तो उसे सिद्ध कर सकते हैं, करके दिखाया जा सकता है | आज किसानों की मेहनत को technology का साथ मिल रहा है, जिससे कृषि-उत्पादक को काफी बल मिला है | मेरे पास जो पत्र आये हैं, उसमें मैं देख रहा था कि बहुत सारे किसानों ने MSP के बारे में लिखा हुआ था और वो चाहते थे कि मैं इस पर उनके साथ विस्तार से बात करूँ |
भाइयो और बहनो, इस साल के बजट में किसानों को फसलों की उचित क़ीमत दिलाने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया गया है | यह तय किया गया है कि अधिसूचित फसलों के लिए MSP, उनकी लागत का कम-से-कम डेढ़ गुणा घोषित किया जाएगा | अगर मैं विस्तार से बताऊँ तो MSP के लिए जो लागत जोड़ी जायेगी उसमें दूसरे श्रमिक जो मेहनत और परिश्रम करते हैं- उनका मेहनताना, अपने मवेशी, मशीन या क़िराए पर लिए गए मवेशी या मशीन का ख़र्च, बीज का मूल्य, उपयोग की गयी हर तरह की खाद का मूल्य, सिंचाई का ख़र्च, राज्य सरकार को दिया गया Land Revenue, Working Capital के ऊपर दिया गया ब्याज़, अगर ज़मीन lease पर ली है तो उसका किराया और इतना ही नहीं, किसान जो ख़ुद मेहनत करता है या उसके परिवार में से कोई कृषि -कार्य में श्रम योगदान करता है, उसका मूल्य भी उत्पादन लागत में जोड़ा जाएगा | इसके अलावा, किसानों को फसल की उचित क़ीमत मिले इसके लिए देश में Agriculture Marketing Reform पर भी बहुत व्यापक स्तर पर काम हो रहा है | गाँव की स्थानीय मंडियां, Wholesale Market और फिर Global Market से जुड़े - इसका प्रयास हो रहा है | किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बहुत दूर नहीं जाना पड़े - इसके लिए देश के 22 हज़ार ग्रामीण हाटों को ज़रुरी infrastructure के साथ upgrade करते हुए APMC और e-NAM platform के साथ integrate किया जाएगा | यानी एक तरह से खेत से देश के किसी भी market के साथ connect -ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है |
  मेरे प्यारे देशवासियो, इस वर्ष महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती-वर्ष के महोत्सव की शुरुआत होगी | यह एक ऐतिहासिक अवसर है | देश कैसे यह उत्सव मनाये? स्वच्छ भारत तो हमारा संकल्प है ही, इसके अलावा सवा-सौ करोड़ देशवासी कंधे-से-कंधा मिलाकर कैसे गाँधी जी को उत्तम-से-उत्तम श्रद्धांजलि दे सकते हैं? क्या नये-नये कार्यक्रम किये जा सकते हैं? क्या नये-नये तौर-तरीक़े अपनाए जा सकते हैं? आप सबसे मेरा आग्रह है, आप MyGov के माध्यम से इस पर अपने विचार सबके साथ share करें | ‘गाँधी 150’ का logo क्या हो? slogan या मंत्र या घोष-वाक्य क्या हो? इस बारे में आप अपने सुझाव दें | हम सबको मिलकर बापू को एक यादगार श्रद्धांजलि देनी है और बापू को स्मरण करके उनसे प्रेरणा लेकर के हमारे देश को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाना है |
####( फ़ोन) ‘’नमस्ते आदरणीय प्रधानमंत्री जी ... मैं प्रीति चतुर्वेदी गुडगाँव से बोल रही हूँ ...प्रधानमंत्री जी , जिस तरह से आपने ‘स्वच्छ-भारत अभियान’ को एक सफलतापूर्ण अभियान बनाया है , अब समय आ गया है कि हम स्वस्थ-भारत अभियान को भी उसी तरह से सफल बनाएँ ...इस अभियान के लिए आप लोगों को,सरकारों को ,Institutions को किस तरह से Mobilise कर रहे हैं , इस पर हमें कुछ बताएं ..धन्यवाद ..  ‘’   

धन्यवाद, आपने सही कहा है और मैं मानता हूँ कि स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं | स्वास्थ्य के क्षेत्र में आज देश conventional approach से आगे बढ़ चुका है | देश में स्वास्थ्य से जुड़ा हर काम जहाँ पहले सिर्फ Health Ministry की ज़िम्मेदारी होती थी, वहीं अब सारे विभाग और मंत्रालय चाहे वो स्वच्छता-मंत्रालय हो, आयुष-मंत्रालय हो, Ministry of Chemicals and Fertilizers हो, उपभोक्ता -मंत्रालय हो या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय हो या तो राज्य सरकारें हों - साथ मिलकर स्वस्थ-भारत के लिए काम कर रहे हैं और preventive health के साथ-साथ affordable health के ऊपर ज़ोर दिया जा रहा है | Preventive health-care सबसे सस्ता भी है और सबसे आसान भी है | और हम लोग, preventive health-care के लिए जितना जागरूक होंगें उतना व्यक्ति को भी, परिवार को भी और समाज को भी लाभ होगा | जीवन स्वस्थ हो इसके लिए पहली आवश्यकता है - स्वच्छता | हम सबने एक देश के रूप में बीड़ा उठाया और इसका परिणाम यह आया कि पिछले लगभग 4 सालों में sanitation coverage दोगुना होकर करीब-करीब 80 प्रतिशत (80%) हो चुका है | इसके अलावा, देश-भर में Health Wellness Centres बनाने की दिशा में व्यापक स्तर पर काम हो रहा है | Preventive health-care के रूप में योग ने, नये सिरे से दुनिया-भर में अपनी पहचान बनाई है | योग, fitness और wellness दोनों की गारंटी देता है | यह हम सबके commitment का ही परिणाम है कि योग आज एक mass movement बन चुका है, घर-घर पहुँच चुका है | इस बार के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून - इसके बीच 100 दिन से भी कम दिन बचे हैं | पिछले तीन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवसों पर देश और दुनिया के हर जगह, लोगों ने काफी उत्साह से इसमें भाग लिया | इस बार भी हमें सुनिश्चित करना है कि हम स्वयं योग करें और पूरे परिवार, मित्रों, सभी को, योग के लिए अभी से प्रेरित करें | नए रोचक तरीक़ों से योग को बच्चों में, युवाओं में, senior citizens में - सभी आयु-वर्ग में, पुरुष हो या महिला, हर किसी में popular करना है | वैसे तो देश का TV और electronic media साल-भर योग को लेकर अलग-अलग कार्यक्रम करता ही है, पर क्या अभी से लेकर योग दिवस तक - एक अभियान के रूप में योग के प्रति जागरूकता पैदा कर सकते हैं ?
मेरे प्यारे देशवासियो, मैं योग teacher तो नहीं हूँ | हाँ, मैं योग practitioner जरुर हूँ, लेकिन कुछ लोगों ने अपनी creativity के माध्यम से मुझे योग teacher भी बना दिया है | और मेरे योग करते हुए 3D animated videos बनाए हैं | मैं आप सबके साथ यह video, share करूँगा ताकि हम साथ-साथ आसन, प्राणायाम का अभ्यास कर सकें | Health care accessible हो और affordable भी हो ,जन सामान्य के लिए सस्ता और सुलभ हो - इसके लिए भी व्यापक स्तर पर प्रयास हो रहे हैं | आज देश-भर में 3 हज़ार से अधिक जन-औषधि केंद्र खोले गए हैं जहाँ 800 से ज्यादा दवाइयाँ कम क़ीमत पर उपलब्ध करायी जा रही हैं | और भी नए केंद्र खोले जा रहे हैं | ‘मन की बात’ के श्रोताओं से मेरी अपील है कि ज़रुरतमंदों को इन जन-औषधि केंद्रों की जानकारी पहुचाएँ - उनका बहुत दवाइयों का ख़र्च कम हो जाएगा | उनकी बहुत बड़ी सेवा होगी | हृदय-रोगियों के लिए heart stent की कीमत 85% तक कम कर दी गई है | Knee Implants की क़ीमतों को भी नियंत्रित कर 50 से 70% तक कम कर दिया गया है | ‘आयुष्मान भारत योजना’ के तहत लगभग 10 करोड़ परिवार यानी क़रीब 50 करोड़ नागरिकों को इलाज के लिए 1 साल में 5 लाख रूपए का ख़र्च, भारत सरकार और Insurance company मिलकर के देंगी | देश के मौजूदा 479 medical कॉलेजों में MBBS की सीटों की संख्या बढ़ाकर लगभग 68 हज़ार कर दी गई हैं | देश-भर के लोगों को बेहतर इलाज और स्वास्थ्य-सुविधा मिले इसके लिए विभिन्न राज्यों में नए AIIMS खोले जा रहे हैं | हर 3 ज़िलों के बीच एक नया medical college खोला जाएगा | देश को 2025 तक टी.बी. मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है | यह बहुत बड़ा काम है | जन-जन तक जागृति पहुँचाने में आपकी मदद चाहिए | टी.बी. से मुक्ति पाने के लिए हम सबको सामूहिक प्रयास करना होगा |
   मेरे प्यारे देशवासियो, 14 अप्रैल डॉ० बाबा साहब आम्बेडकर की जन्म-जयंती है | वर्षों पहले डॉ० बाबा साहब आम्बेडकर ने भारत के औद्योगिकीकरण की बात कही थी | उनके लिए उद्योग एक ऐसा प्रभावी-माध्यम था जिसमें ग़रीब-से-ग़रीब व्यक्ति को रोज़गार उपलब्ध कराया जा सकता था | आज जब देश में Make in India का अभियान सफलतापूर्वक चल रहा है तो डॉ० आम्बेडकर जी ने industrial super power के रूप में भारत का जो एक सपना देखा था-उनका ही vision आज हमारे लिए प्रेरणा है | आज भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक bright spot के रूप में उभरा है और आज पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा Foreign Direct Investment, FDI भारत में आ रहा है | पूरा विश्व भारत को निवेश innovation और विकास के लिए HUB के रूप में देख रहा है | उद्योगों का विकास शहरों में ही संभव होगा यही सोच थी जिसके कारण डॉ० बाबा साहब आम्बेडकर ने भारत के शहरीकरण, urbanization पर भरोसा किया | उनके इस vision को आगे बढ़ाते हुए आज देश में smart cities mission और urban mission की शुरुआत की गई ताकि देश के बड़े नगरों और छोटे शहरों में हर तरह की सुविधा - चाहे वो अच्छी सड़के हों, पानी की व्यवस्था हो, स्वास्थ्य की सुविधाएँ हो, शिक्षा हो या digital connectivity उपलब्ध कराई जा सके | बाबा साहब का self-reliance, आत्मनिर्भरता में दृढ़ विश्वास था | वे नहीं चाहते थे कि कोई व्यक्ति हमेशा ग़रीबी में अपना जीवन जीता रहे | इसके साथ-साथ वे यह भी मानते थे कि ग़रीबों में सिर्फ़ कुछ बाँट देने से उनकी ग़रीबी दूर नहीं की जा सकती | आज मुद्रा योजना, Start Up India, Stand Up India initiatives हमारे युवा innovators, युवा entrepreneurs को जन्म दे रही है | 1930 और 1940 के दशक में जब भारत में सिर्फ सड़कों और रेलवे की बात होती थी उस समय, बाबा साहब आम्बेडकर ने बंदरगाहों और जलमार्गों के बारे में बात की थी | ये डॉ० बाबा साहब ही थे जिन्होंने जल-शक्ति को राष्ट्र-शक्ति के रूप में देखा | देश के विकास के लिए पानी के उपयोग पर बल दिया | विभिन्न river valley authorities,जल से संबंधित अलग-अलग commissions- ये सब बाबा साहब आम्बेडकर का ही तो vision था | आज देश में जलमार्ग और बंदरगाहों के लिए ऐतिहासिक प्रयास हो रहे हैं | भारत के अलग-अलग समुद्र-तटों पर नए बंदरगाह बन रहे हैं और पुराने बंदरगाहों पर infrastructure को मज़बूत किया जा रहा है | 40 के दशक के कालखंड में ज़्यादातर चर्चा 2nd World War, emerging Cold-War और विभाजन को लेकर के हुआ करती थी - उस समय डॉ० आम्बेडकर ने एक तरह से team India की spirit की नींव रख दी थी | उन्होंने federalism, संघीय-व्यवस्था के महत्व पर बात की और देश के उत्थान के लिए केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर काम करने पर बल दिया | आज हम ने शासन के हर पहलू में सहकारी संघवाद, co-operative federalism और उससे आगे बढ़ करके competitive cooperative federalism के मन्त्र को अपनाया है और सबसे महत्वपूर्ण बात कि डॉ० बाबा साहब आम्बेडकर  पिछड़े वर्ग से जुड़े मुझ जैसे करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं | उन्होंने हमें दिखाया है कि आगे बढ़ने के लिए यह ज़रुरी नहीं है कि बड़े या किसी अमीर परिवार में ही जन्म हो बल्कि भारत में ग़रीब परिवारों में जन्म लेने वाले लोग भी अपने सपने देख सकते हैं, उन सपनों को पूरा करने का प्रयास कर सकते हैं और सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं | हाँ, ऐसा भी हुआ जब बहुत से लोगों ने डॉ० बाबा साहब आम्बेडकर का मज़ाक उड़ाया | उन्हें पीछे करने की कोशिश की | हर संभव-प्रयास किया कि ग़रीब और पिछड़े परिवार का बेटा आगे न बढ़ पाए, कुछ बन न पाए, जीवन में कुछ हासिल न कर पाए | लेकिन, New India की तस्वीर बिलकुल अलग है | एक ऐसा India जो आम्बेडकर का है, ग़रीबों का है, पिछड़ों का है | डॉ० आम्बेडकर की जन्म जयंती के अवसर पर 14 अप्रैल से 5 मई तक ‘ग्राम-स्वराज अभियान’ आयोजित किया जा रहा है | इसके तहत पूरे भारत में ग्राम-विकास, ग़रीब-कल्याण और सामाजिक-न्याय पर अलग-अलग कार्यक्रम होंगे | मेरा, आप सभी से आग्रह है कि इस अभियान में बढ़-चढ़ करके हिस्सा लें |
    मेरे प्यारे देशवासियो, अगले कुछ दिनों में कई त्योहार आने वाले हैं | भगवान महावीर जयंती, हनुमान जयंती, ईस्टर, वैसाखी | भगवान महावीर की जयंती का दिन उनके त्याग और तपस्या को याद करने का दिन है | अहिंसा के संदेशवाहक भगवान महावीर जी का जीवन,दर्शन हम सभी के लिए प्रेरणा देगी | समस्त देशवासियों को महावीर जयंती की शुभकामनाएँ | ईस्टर की चर्चा आते ही प्रभु ईसा मसीह के प्रेरणादायक उपदेश याद आते हैं जिन्होंने सदा ही मानवता को शांति, सद्भाव, न्याय, दया और करुणा का सन्देश दिया है | अप्रैल में पंजाब और पश्चिम भारत में वैसाखी का उत्सव मनाया जाएगा, तो उन्हीं दिनों, बिहार में जुड़शीतल एवं सतुवाईन , असम में बिहू तो पश्चिम बंगाल में पोइला वैसाख का हर्ष और उल्लास छाया रहेगा | ये सारे पर्व किसी-न-किसी रूप में हमारे खेत-खलिहानों और अन्नदाताओं से जुड़े हुए हैं | इन त्योहारों के माध्यम से हम उपज के रूप में मिलने वाले अनमोल उपहारों के लिए प्रकृति का धन्यवाद करते हैं | एक बार फिर आप सब को आने वाले सभी त्योहारों की ढ़ेरों शुभकामनाएँ | बहुत-बहुत धन्यवाद |                      
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Tuesday, 20 March 2018

प्रकृति पर्व - सरहुल



झारखंड प्रदेश हमारे देश का एक अहम  राज्य है जो दुनिया भर में अपनी  खानों और अपने खनिजों के लिए प्रसिद्ध है. झारखंड राज्य अपने नाम के ही अनुरूप  झाड़, जंगल और हरियाली से भरपूर है . इसकी पहचान सिर्फ यहाँ  के खनिज  पदार्थों से ही नहीं बल्कि अपने जनजातीय समूह की वजह से भी है. यहाँ का जनजातीय यानि आदिवासी समाज बेहद शांति प्रिय और ज़मीन से जुड़ा हुआ है. झारखंड के आदिवासी अपने रहन सहन में जितने सरल हैं, उनकी धरोहर  उतनी ही धनी है.




सरहुल इसी अनकही और अनसुनी सभ्यता का महापर्व हैं. सरहुल का शाब्दिक अर्थ होता है, साल के पेड़ की पूजा.


झारखंड साल की लकड़ी और पत्तों का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है और इसके पत्ते कटोरे बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं जिनमें  त्यौहारों के दौरान प्रसाद वितरित किया जाता  है. साल की  पत्तियों का  पान बनाने के लिए भी उपयोग किया जाता है. साल का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में एक कसैले पदार्थ के रूप में भी किया जाता है और इसके बीजों का उपयोग दीयों का  तेल बनाने के लिए किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि सरहुल की प्रथा महाभारत के युग से चली आ रही है . कहानियों के अनुसार महाभारत के युद्ध में कई आदिवासियों ने कौरवों की तरफ से पांडवों के विरुद्ध लड़ाई में भाग लिया था . इनके मृत सैनिकों के शरीर की पहचान करने के लिए  उनके समुदाय के लोग उनके मृत शरीर को साल के पत्तों से ढक देते थे . जहाँ दूसरी लाशें सड़ने लगती थी वहीं पर  साल के पत्तों से ढके मृत शरीर लम्बे समय तक भी ख़राब नहीं होते थे . झारखंड का आदिवासी समुदाय प्रकृति की पूजा करता है अपने त्यौहारों  में  प्रकृति के हर रूप  पानी, धरती पहाड़ , जंगल को अपनी प्रार्थनाएं अर्पित करते हुए  अच्छी फसल, अच्छी बारिश और खुशहाली की कामना करता है.

सरहुल यूँ तो उरांव या कुड़ुख समुदाय का मुख्य रूप से मनाया जाने वाला पर्व है लेकिन झारखंड , छत्तीसगढ़ , अंडमान और जहाँ कहीं  भी झारखंड जनजातीय बस्ती है वहीं इसे धूमधाम से मनाया जाता है . क्या आप जानते हैं सरहुल के त्यौहार के पहले जितने भी नए खाने वाले फल या फूल जैसे  कोंहड़ा फूल, बड़ी , फुटकल, जोकी(सहजन), खुखरी और संधना, कटहल , सेम इत्यादि उनका सेवन नहीं किया जाता और  सरहुल की पूजा हो जाने के बाद ही इन्हें  खाया जाता है. सरहुल तीन दिन तक पूरे हर्षोल्लास और आस्था के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है. सरहुल के पहले दिन  घरों ,पूजा स्थलों ,साल के पेड़ों की साफ सफाई और सजावट  की जाती हैं .  त्यौहार में बनने वाले खास व्यंजनों के लिए सामग्री खरीदी जाती है और परिवार के मुखिया व्रत भी रखते हैं . घर के कुओं को भी साफ़ किया जाता है  और यह एक ख़ास उद्देश्य से किया जाता हैं . साफ़ करने के बाद रात भर  इस साफ़ कुएं  में  जितना पानी जमा हो जाता है उसे घड़ों में भर का पूजा स्थलों पर ले जाया जाता है और पानी से भरे ये घड़े वही पर  छोड़ दिए जाते हैं. अगले दिन फिर उन घड़ों को देखा जाता हैं और माना जाता हैकि  यदि उन घड़ों में से पानी घट गया तो इसका मतलब है कि आने वाले साल में बारिश कम होगी लेकिन यदि घड़े में पानी लबालब भरा रहा तो आने वाले साल में बारिश बहुत अच्छी होगी.  उस समुदाय के बड़े बुजुर्गों का मानना है  कि  इस परंपरा की भविष्यवाणी  कभी गलत नहीं होती .

खैर बात आस्था और विश्वास की है. पाहन (पुजारी) के पूजा के बाद प्रसाद के रूप में हड़ियाँ (चावल से बानी पेय) दी जाती है.  सरहुल के तीसरे दिन , लाल पड़िया साड़ी , धोती और ख़ूबसूरत वेशभूषा में सज कर लोग मांदर , ढोल , नगाड़ों और तुरही के साथ भव्य शोभा यात्रा निकालते हैं , इस शोभा यात्रा में झांकियां भी निकाली जाती हैं जो झारखंड की विभिन्न्न  परंपराओं  और स्वरुप को दिखाती हैं . फिर एक दूसरे को गुलाल लगते हुए  और कतारों में 'जोड़ा के नाच नाच कर' सरहुल का त्यौहार अपने अंतिम  पड़ाव पर पहुँचता है.



शोभा यात्रा ख़त्म होने के बाद भी सरहुल का महोत्सव का अंत नहीं होता . रात भर स्वादिष्ट व्यंजनों और नाच गाने के साथ सरहुल के पर्व की विदाई इस आशा के साथ की जाती है कि आने वाला नया वर्ष  सभी के लिए मंगलमय हो, फसल अच्छी हो और हर तरफ खुशहाली छाई रहे .