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Thursday, 9 June 2016

Thank You Listeners!



All India Radio, AIR News Service Division and all our other channels and stations, join hands in extending our gratitude to our listeners and followers for making the past 80 years of our existence beyond memorable. 
With this, our responsibility towards our listeners increases and All India Radio promises to strive towards achieving excellence by keeping its motto 'Bahujan Hitaya: Bahujan Sukhaya' central. We forever remain indebted to our patrons from India and around the world. Thank you for making All India Radio an integral part of your childhood and for passing down the same heritage to your future generations.

Wednesday, 8 June 2016

ऑल इंडिया रेडियो: नामकरण के 80 वर्ष





  8 जून, 1936। तत्‍कालीन इंडियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस  को तत्‍कालीन हुकूमत ने एक नाम दिया- आल इंडिया रेडियो। तब से अब तक 80 वर्ष बीत गए। अपने नाम के अनुरूप संस्‍था ने अपनी लोकोन्‍मुखता को बनाए रखा है। आज यह समूचे भारत और भारतीयता की पहचान है।
   समय बदलता है तो समाज की ज़रूरतें भी बदलती हैं। संस्‍था अगर ऑल इंडिया रेडियो जैसी हो तो समय की ज़रूरत के मुताबिक तकनीक भी बदलती है। तकनीक कार्यक्रमों को जन-जन तक पहुंचाती है। इसके कार्यक्रमों का तथ्‍य किसानों को किसानी के नए तरीकों से जोड़ता है।  युवाओं को नई आशाओं और संभावनाओं से जोड़ता है। मज़दूरों को उनके श्रम की महत्‍ता बताता है तो महिलाओं को उनके भीतर छिपी शक्तियों से परिचित कराता है। बच्‍चों को नए बदलते संसार से परिचित कराते हुए उन्‍हें परिंदों की तरह उड़ने के लिए बेहद्दी आकाश प्रदान करता है।
   ऑल इंडिया रेडियो सामाजिक बदलाव का प्रभावी माध्‍यम रहा है। इस संस्‍था ने देश में हरित क्रांति और श्‍वेत क्रांति के लिए एक उत्‍प्रेरक का काम किया है। ऑल इंडिया रेडियो ने लोकतांत्रिक मूल्‍यों को बनाए रखने के लिए लगातार काम किया है, क्‍योंकि इसने भारत की चुनाव प्रक्रिया में भाग लेकर जनता के प्रति जवाबदेही को सुनिश्चित करने का काम किया है।   
   बात अधूरी ही रहेगी यदि रेडियो के साथ संगीत की बात न की जाए। ऑल इंडिया रेडियो के अस्तित्‍व में आने से पहले संगीत की तमाम विधाएं राजे-रजवाड़ों के आश्रय की मोहताज हुआ करती थी। ऑल इंडिया रेडियो ने उन्‍हें बंधन से मुक्‍त कराया। बदनाम कोठेवालियों को सुर-साम्राज्ञी के स्‍थान पर प्रतिष्ठित किया। लोकसंगीत को समुदाय विशेष और स्‍थान विशेष से निकालकर अखिल भारतीय प्रतिष्‍ठा प्रदान की। आज यह संस्‍था भारतीय संगीत और संस्‍कृति का दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय बन चुकी है।
   इन 80 वर्षों से इतिहास में ऑल इंडिया रेडियो ने व्‍यवस्‍था और जनता के बीच एक संजीदा पुल की तरह काम किया। जिस पर जनभावनाएं जब चाहें टहलती हुई जाती है और सुप्‍त हुई सी व्‍यवस्‍था को जाग्रत कर जाती है।
   एक अद्भुत संस्‍था है ऑल इंडिया रेडियो जिसे बाद में चलकर आकाशवाणी नाम दिया गया।  बाढ़ हो या सूखा या फिर कोई अन्‍य प्राकृतिक आपदा; इस भारतीय प्रसारण माध्‍यम ने हमेशा सब के घावों पर मरहम लगाने का काम किया है और आज भी कर रही है। अपनी विश्‍वसनीयता, अखिल भारतीयता और संवदेनशीलता की इस बेमिसाल संस्‍था ने विश्‍व में अप्रतिम स्‍थान बनाया है। इसका ध्‍येय वाक्‍य भले ही बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय रहा हो, लेकिन इसका असल उद्देश्‍य तो राष्‍ट्र सर्वोपरि ही रहा है।
   इस अवसर पर हम अपने सभी श्रोताओं को बधाई देते हैं जिन्‍होंने बाज़ारीकरण के इस भयानक दौर में ऑल इंडिया रेडियो के प्रति अपना प्‍यार और विश्‍वास बनाए रखा है।

एफ़. शहरयार
महानिदेशक

आकाशवाणी