Sunday 31 July 2016


‘मन की बात’ प्रसारण तिथि – 31.07.2016

‘मन की बात’
प्रसारण तिथि – 31.07.2016

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | आज सुबह-सुबह मुझे दिल्ली के नौजवानों के साथ कुछ पल बिताने का अवसर मिला और मैं मानता हूँ कि आने वाले दिनों में पूरे देश में खेल का रंग हर नौजवान को उत्साह-उमंग के रंग से रंग देगा | हम सब जानते हैं कि कुछ ही दिनों में विश्व का सबसे बड़ा खेलों का महाकुम्भ होने जा रहा है | Rio हमारे कानों में बार-बार गूँजने वाला है | सारी दुनिया खेलती होगी, दुनिया का हर देश अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर बारीकी से नज़र रखता होगा, आप भी रखेंगे | हमारी आशा-अपेक्षायें तो बहुत होती हैं, लेकिन Rio में जो खेलने के लिये गए हैं, उन खिलाड़ियों को, उनका हौसला बुलंद करने का काम भी सवा-सौ करोड़ देशवासियों का है | आज दिल्ली में भारत सरकार ने ‘Run for Rio’,  ‘खेलो और जिओ’, ‘खेलो और खिलो’ - एक बड़ा अच्छा आयोजन किया | हम भी आने वाले दिनों में, जहाँ भी हों, हमारे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन के लिये कुछ-न-कुछ करें | यहाँ तक जो खिलाड़ी पहुँचता है, वो बड़ी कड़ी मेहनत के बाद पहुंचता है | एक प्रकार की कठोर तपस्या करता है | खाने का कितना ही शौक क्यों न हो, सब कुछ छोड़ना पड़ता है | ठण्ड में नींद लेने का इरादा हो, तब भी बिस्तर छोड़ करके मैदान में भागना पड़ता है और न सिर्फ़ खिलाड़ी, उनके माँ-बाप भी, उतने ही मनोयोग से अपने बालकों के पीछे शक्ति खपाते हैं | खिलाड़ी रातों-रात नहीं बनते | एक बहुत बड़ी तपस्या के बाद बनते हैं | जीत और हार उतने महत्वपूर्ण हैं, लेकिन साथ-साथ इस खेल तक पहुँचना, वो भी उससे भी ज़्यादा महत्वपूर्ण है और इसीलिए हम सभी देशवासी Rio Olympic के लिए गए हुए हमारे सभी खिलाड़ियों को शुभकामनायें दें | आपकी तरफ़ से ये काम मैं भी करने के लिए तैयार हूँ | इन खिलाड़ियों को आपका सन्देश पहुँचाने के लिए देश का प्रधान मंत्री postman बनने को तैयार है | आप मुझे ‘NarendraModi App’ पर खिलाड़ियों के नाम शुभकामनायें भेजिए, मैं आपकी शुभकामनायें उन तक पहुँचाऊंगा | मैं भी सवा-सौ करोड़ देशवासियों की तरह एक देशवासी, एक नागरिक के नाते हमारे इन खिलाड़ियों की हौसलाअफज़ाई के लिए आपके साथ रहूँगा | आइये, हम सब आने वाले दिनों में एक-एक खिलाड़ी को जितना गौरवान्वित कर सकते हैं, उसके प्रयासों को पुरस्कृत कर सकते हैं, करें और आज जब मैं Rio Olympic की बात कर रहा हूँ, तो एक कविता प्रेमी - पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी सूरज प्रकाश उपाध्याय - उन्होंने एक कविता भेजी है | हो सकता है, और भी बहुत कवि होंगे, जिन्होंने कवितायें लिखी होंगी, शायद कवितायें  लिखेंगे भी, कुछ लोग तो उसको स्वरबद्ध भी करेंगे, हर भाषा में करेंगे, लेकिन मुझे सूरज जी ने जो कविता भेजी है, मैं आपसे share करना चाहता हूँ: -          

          “””शुरू हुई ललकार खेलों की, 
शुरू हुई ललकार खेलों की, प्रतियोगिताओं के बहार की,
खेलों के इस महाकुम्भ में, Rio की रुम-झुम में,
खेलों के इस महाकुम्भ में, Rio की रुम-झुम में,
भारत की ऐसी शुरुआत हो,
भारत की ऐसी शुरुआत हो, सोने, चाँदी और काँसे की बरसात हो,
भारत की ऐसी शुरुआत हो, सोने, चाँदी और काँसे की बरसात हो,
अब हमारी भी बारी हो, ऐसी अपनी तैयारी हो,
हो निशाना सोने पे, 
हो निशाना सोने पे, न हो निराश तुम खोने पे, 
न हो निराश तुम खोने पे ||
करोड़ों दिलों की शान हो, अपने खेलों की जान हो, 
करोड़ों दिलों की शान हो, अपने खेलों की जान हो,
ऐसे कीर्तिमान बनाओ, Rio में ध्वज लहराओ,
Rio में ध्वज लहराओ ||

सूरज जी, आपके भावों को मैं इन सभी खिलाड़ियों को अर्पित करता हूँ और मेरी तरफ़ से, सवा-सौ करोड़ देशवासियों की तरफ़ से Rio में हिन्दुस्तान का झंडा फहराने के लिए बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हूँ |
एक नौजवान कोई श्रीमान अंकित करके हैं, उन्होंने मुझे राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथि का स्मरण करवाया है | गत सप्ताह अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथि पर देश और दुनिया ने श्रद्धांजलि दी, लेकिन जब भी अब्दुल कलाम जी का नाम आता है, तो science, technology, missile - एक भावी भारत के सामर्थ्य का चित्र हमारी आँखों के सामने अंकित हो जाता है और इसीलिए अंकित ने भी लिखा है कि आपकी सरकार अब्दुल कलाम जी के सपनों को साकार करने के लिए क्या कर रही है ? आपकी बात सही है | आने वाला युग technology driven है और technology सबसे ज़्यादा चंचल है | आये दिन technology बदलती है, आये दिन नया रूप धारण करती है, आये दिन नया प्रभाव पैदा करती है, वो बदलती रहती है | आप technology को पकड़ नहीं सकते, आप पकड़ने जाओगे, तब तक तो कहीं दूर नये रूप-रंग के साथ सज जाती है और उसको अगर हमने क़दम मिलाने हैं और उससे आगे निकलना है, तो हमारे लिए भी research और innovation - ये technology के प्राण हैं | अगर research और innovation नहीं होंगे, तो जैसे ठहरा हुआ पानी गंदगी फैलाता है, technology भी बोझ बन जाती है | और अगर हम research और innovation के बिना पुरानी technology के भरोसे जीते रहेंगे, तो हम दुनिया में, बदलते हुए युग में कालबाह्य हो जाएँगे और इसलिए नयी पीढ़ी में विज्ञान के प्रति आकर्षण, technology के प्रति research और innovation और इसी के लिए सरकार ने भी कई क़दम उठाए हैं | और इसलिए तो मैं कहता हूँ -  let us aim to innovate और जब मैं let us aim to innovate कहता हूँ, तो मेरा AIM का मतलब है ‘Atal Innovation Mission’ | नीति आयोग के द्वारा ‘Atal Innovation Mission’ को बढ़ावा दिया जा रहा है | एक इरादा है कि इस AIM के द्वारा, ‘Atal  Innovation Mission’ के द्वारा पूरे देश में एक eco-system तैयार हो, innovation, experiment, entrepreneurship, ये एक सिलसिला चले और उससे नये रोज़गार की सम्भावनायें भी बढ़ने वाली हैं | हमने next generation innovators अगर तैयार करने हैं, तो हमारे बालकों को उसके साथ जोड़ना पड़ेगा और इसलिए भारत सरकार ने एक ‘Atal Tinkering Labs’  का initiative लिया है | जहाँ-जहाँ भी स्कूलों में ऐसी Tinkering Lab establish होंगी, उनको 10 लाख रुपये दिए जाएँगे और पाँच वर्ष दौरान रख-रखाव के लिये भी 10 लाख रुपये दिए जाएँगे | उसी प्रकार से, innovation के साथ सीधा-सीधा संबंध आता है Incubation Centre का | हमारे पास सशक्त और समृद्ध अगर Incubation Centre हैं, तो innovation के लिये, start ups के लिये, प्रयोग करने के लिये, उसको एक स्थिति पर लाने तक के लिये एक व्यवस्था मिलती है | नये Incubation Centre का निर्माण भी आवश्यक है और पुराने Incubation Centre को ताक़त देने की भी आवश्यकता है | और जो मैं Atal Incubation Centre की बात करता हूँ, उसके लिये भी 10 करोड़ रुपये जैसी बहुत बड़ी रकम देने की दिशा में सरकार ने सोचा है | उसी प्रकार से भारत अनेक समस्याओं से जूझ रहा है | रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हमें समस्याएँ नज़र आती हैं | अब हमें technological solution ढूँढ़ने पड़ेंगे | हमने एक ‘Atal Grand Challenges’ देश की युवा पीढ़ी को आह्वान किया है कि आपको समस्या नज़र आती है, समाधान के लिए  technology के रास्ते खोजिए, research कीजिये, innovation कीजिये और ले आइए | भारत सरकार हमारी समस्याओं के समाधान के लिये खोजी गयी technology को विशेष पुरस्कार देकर के बढ़ावा देना चाहती है | और मुझे खुशी है कि इन बातों में लोगों की रूचि है कि जब हमने Tinkering Lab की बात कही, क़रीब तेरह हज़ार से अधिक स्कूलों ने आवेदन किया और जब हमने Incubation Centre की बात की, academic और non-academic 4 हज़ार से ज़्यादा institutions Incubation Centre के लिए आगे आए | मुझे विश्वास है कि अब्दुल कलाम जी को सच्ची श्रद्धांजलि - research, innovation, हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी की समस्याओं के समाधान के लिए technology, हमारी कठिनाइयों से मुक्ति के लिए सरलीकरण - उस पर हमारी नयी पीढ़ी जितना काम करेगी, उनका योगदान 21वीं सदी के आधुनिक भारत के लिए अहम होगा और वही अब्दुल कलाम जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी|
मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ समय पहले हम लोग अकाल की चिंता कर रहे थे और इन दिनों वर्षा का आनंद भी आ रहा है, तो बाढ़ की ख़बरें भी आ रही हैं | राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिल कर के बाढ़-पीड़ितों की सहायता करने के लिये कंधे से कंधा मिला कर के भरपूर प्रयास कर रही हैं | वर्षा के कारण कुछ कठिनाइयाँ होने के बावज़ूद भी हर मन, हर मानवीय मन पुलकित हो जाता है, क्योंकि हमारी पूरी आर्थिक गतिविधि के केंद्र-बिंदु में वर्षा होती है, खेती होती है |
कभी-कभी ऐसी बीमारी आ जाती है कि हमें जीवन भर पछतावा रहता है | लेकिन अगर हम जागरूक रहें, सतर्क रहें, प्रयत्नरत रहें, तो इससे बचने के रास्ते भी बड़े आसान हैं | Dengue ही ले लीजिए | Dengue से बचा जा सकता है | थोड़ा स्वच्छता पर ध्यान रहे, थोड़े सतर्क रहें और सुरक्षित रहने का प्रयास करें, बच्चों पर विशेष ध्यान दें और ये जो सोच है न कि ग़रीब बस्ती में ही ऐसी बीमारी आती है, Dengue का case ऐसा नहीं है | Dengue सुखी-समृद्ध इलाके में सबसे पहले आता है और इसलिए इसे हम समझें | आप TV पर advertisement देखते ही होंगे,  लेकिन कभी-कभी हम उस पर जागरूक action के संबंध में थोड़े उदासीन रहते हैं | सरकार, अस्पतालें, डॉक्टर - वो तो अपना काम करेंगे ही, लेकिन हम भी, अपने घर में, अपने इलाक़े में, अपने परिवार में Dengue न प्रवेश करे और पानी के कारण होने वाली कोई बीमारी न आए, इसके लिए सतर्क रहें, यही मैं आपसे प्रार्थना करूँगा |
एक और मुसीबत की ओर मैं, प्यारे देशवासियो, आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ | ज़िंदगी इतनी आपा-धापी वाली बन गई है, इतनी दौड़-धूप वाली बन गई है कि कभी-कभी हमें अपने लिये सोचने का समय नहीं होता है | बीमार हो गए, तो मन करता है, जल्दी से ठीक हो जाओ और इसलिए कोई भी antibiotic लेकर के डाल देते हैं शरीर में | तत्काल तो बीमारी से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन मेरे प्यारे देशवासियो, ये रास्ते चलते-फिरते antibiotic लेने की आदतें बहुत गंभीर संकट पैदा कर सकती हैं | हो सकता है, आपको तो कुछ पल के लिए राहत मिल जाए, लेकिन डॉक्टरों की सलाह के बिना हम antibiotic लेना बंद करें | डॉक्टर जब तक लिख करके नहीं देते हैं, हम उससे बचें, हम ये short-cut के माध्यम से न चलें, क्योंकि इससे एक नई कठिनाइयाँ पैदा हो रही हैं, क्योंकि अनाप-शनाप antibiotic उपयोग करने के कारण patient को तो तत्कालीन लाभ हो जाता है, लेकिन इसके जो जीवाणु हैं, वे इन दवाइयों के आदी बन जाते हैं और फिर दवाइयाँ इन जीवाणुओं के लिए बेकार साबित हो जाती हैं और फिर इस लड़ाई को लड़ना, नई दवाइयाँ बनाना, वैज्ञानिक शोध करना, सालों बीत जाते हैं और तब तक ये बीमारियाँ नई मुसीबतें पैदा कर देती हैं और इसलिये इस पर जागरूक रहने की ज़रूरत है | एक और मुसीबत आई है कि डॉक्टर ने कहा हो कि भाई, ये antibiotic लीजिए और उसने कहा कि भाई, 15 गोली लेनी है, पाँच दिन में लेनी है; मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि डॉक्टर ने जितने दिन लेने के लिये कहा है, course पूरा कीजिए; आधा-अधूरा छोड़ दिया, तो भी वो जीवाणु के फ़ायदे में जाएगा, आवश्यकता से अधिक ले लिया, तो भी जीवाणु के फ़ायदे में जाएगा और इसलिये जितने दिन का, जितनी गोली का course तय हुआ हो, उसको पूरा करना भी उतना ही ज़रूरी है; तबीयत ठीक हो गई, इसलिये अब ज़रूरत नहीं है, ये अगर हमने किया, तो वो  जीवाणु के फ़ायदे में चला जाता है और जीवाणु ताक़तवर बन जाता है|                जो जीवाणु TB और Malaria  फैलाते हैं, वो तेज़ गति से अपने अन्दर ऐसे बदलाव ला रहे हैं कि दवाइयों का कोई असर ही नहीं होता है | medical भाषा में इसे antibiotic resistance कहते हैं और इसलिए antibiotic का कैसे उपयोग हो, इसके नियमों का पालन भी उतना ही ज़रूरी है | सरकार antibiotic resistance को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है और आपने देखा होगा, इन दिनों antibiotic की जो दवाइयाँ बिकती हैं, उसका जो पत्ता रहता है, उसके ऊपर एक लाल लकीर से आपको सचेत किया जाता है, आप उस पर ज़रूर ध्यान दीजिए |
जब health की ही बात निकली है, तो मैं एक बात और भी जोड़ना चाहता हूँ | हमारे देश में गर्भावस्था में जो मातायें हैं, उनके जीवन की चिंता कभी-कभी बहुत सताती है | हमारे देश में हर वर्ष लगभग 3 करोड़ महिलायें गर्भावस्था धारण करती हैं, लेकिन कुछ मातायें प्रसूति के समय मरती हैं, कभी माँ मरती है, कभी बालक मरता है, कभी बालक और माँ दोनों मरते हैं | ये ठीक है कि पिछले एक दशक में माता की असमय मृत्यु की दर में कमी तो आई है, लेकिन फिर भी आज भी बहुत बड़ी मात्रा में गर्भवती माताओं का जीवन नहीं बचा पाते हैं | गर्भावस्था के दौरान या बाद में खून की कमी, प्रसव संबंधी संक्रमण, high BP  - न जाने कौन सी तकलीफ़ कब उसकी ज़िंदगी को तबाह कर दे | इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने पिछले कुछ महीनों से एक नया अभियान शुरू किया है - ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान’ | इस अभियान के तहत हर महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं की सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में निशुल्क जाँच की जायेगी | एक भी पैसे के ख़र्च के बिना सरकारी अस्पतालों में हर महीने की 9 तारीख़ को काम किया जाएगा | मैं हर ग़रीब परिवारों से आग्रह करूँगा कि सभी गर्भवती मातायें 9 तारीख़ को इस सेवा का लाभ उठाएँ, ताकि 9वें महीने तक पहुँचते-पहुँचते अगर कोई तकलीफ़ हो, तो पहले से ही उसका उपाय किया जा सके | माँ और बालक - दोनों की ज़िन्दगी बचाई जा सके और मैंने तो Gynecologist को ख़ास कि क्या आप महीने में एक दिन 9 तारीख़ को ग़रीब माताओं के लिए मुफ़्त में ये सेवा नहीं दे सकते हैं | क्या मेरे डॉक्टर भाई-बहन एक साल में बारह दिन गरीबों के लिये इस काम के लिये नहीं लगा सकते हैं ? पिछले दिनों मुझे कइयों ने चिठ्ठियाँ लिखी हैं | हज़ारों ऐसे डॉक्टर हैं, जिन्होंने मेरी बात को मान कर के आगे बढ़ाया है, लेकिन भारत इतना बड़ा देश है, लाखों डॉक्टरों ने इस अभियान में जुड़ना चाहिये | मुझे विश्वास है, आप ज़रूर जुड़ेंगे |I
मेरे प्यारे देशवासियो, आज पूरा विश्व - climate change, global warming, पर्यावरण - इसकी बड़ी चिंता करता है | देश और दुनिया में सामूहिक रूप से इसकी चर्चा होती है, Iभारत में सदियों से इन बातों पर बल दिया गया है I| कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में भी भगवान कृष्ण वृक्ष की चर्चा करते हैं, युद्ध के मैदान में भी वृक्ष की चर्चा चिंता करना मतलब कि इसका माहात्म्य कितना होगा, हम अंदाज़ कर सकते हैं I| गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं - ‘अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां’ अर्थात् सभी वृक्षों में मैं पीपल हूँ I| शुक्राचार्य नीति में कहा गया है - ‘नास्ति मूलं अनौषधं’ - ऐसी कोई वनस्पति नहीं है, जिसमें कोई औषधीय गुण न हो I| महाभारत का अनुशासन पर्व - उसमें तो बड़ी विस्तार से चर्चा की है और महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है - ‘जो वृक्ष लगाता है, उसके लिए ये वृक्ष संतान रूप होता है, इसमें संशय नहीं है | जो वृक्ष का दान करता है, उसको वह वृक्ष संतान की भाँति परलोक में भी तार देते हैंI’ | इसलिये अपने कल्याण की इच्छा रखने वाले माता-पिता अच्छे वृक्ष लगाएँ और उनका संतानों के समान पालन करें | हमारे शास्त्र -गीता हो, शुक्राचार्य नीति हो, महाभारत का अनुशासन पर्व हो - लेकिन आज की पीढ़ी में भी कुछ लोग होते हैं, जो इन आदर्शों को जी कर के दिखाते हैं I कुछ दिन पहले मैंने, पुणे की एक बेटी सोनल का एक उदाहरण मेरे ध्यान में आया, वो मेरे मन को छू गया |I महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा है न कि वृक्ष परलोक में भी संतान की ज़िम्मेवारी पूरी करता है | सोनल ने सिर्फ़ अपने माता-पिता की नहीं, समाज की इच्छाओं को पूर्ण करने का जैसे बीड़ा उठाया है |I महाराष्ट्र में पुणे के जुन्नर तालुका में नारायणपुर गाँव के किसान खंडू मारुती महात्रे, उन्होंने अपनी पोती सोनल की शादी एक बड़े प्रेरक ढंग से की |  महात्रे जी ने क्या किया, सोनल की शादी में जितने भी रिश्तेदार, दोस्त, मेहमान आए थे, उन सब को ‘केसर आम’ का एक पौधा भेंट किया, उपहार के रूप में दिया और जब मैंने social media में उसकी तस्वीर देखी, तो मैं हैरान था कि शादी में बराती नहीं दिख रहे थे, पौधे ही पौधे नज़र आ रहे थे I| मन को छूने वाला ऐसा दृश्य उस तस्वीर में था | सोनल जो स्वयं एक agriculture graduate है, ये idea उसी को आया और शादी में आम के पौधे भेंट देना, देखिए, प्रकृति का प्रेम कितना उत्तम तरीके से प्रकट हुआ I| एक प्रकार से सोनल की शादी प्रकृति प्रेम की अमर गाथा बन गई I| मैं सोनल को और श्रीमान महात्रे जी को इस अभिनव प्रयास के लिए बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हूँ | I और ऐसे प्रयोग बहुत लोग करते हैं | मुझे स्मरण है, मैं जब गुजरात मैं मुख्यमंत्री था, तो वहाँ अम्बा जी के मंदिर में भाद्र महीने में बहुत बड़ी मात्रा में पदयात्री आते हैं, तो एक बार एक समाजसेवी संगठन ने तय किया कि मंदिर में जो आएँगे, उनको प्रसाद में पौधा देंगे और उनको कहेंगे कि देखिए, ये माता जी का प्रसाद है, इस पौधे को अपने गाँव-घर जाकर के ये बड़ा बने, माता आपको आशीर्वाद देती रहेगी, इसकी चिंता कीजिये |I और लाखों पदयात्री आते हैं और लाखों पौधे बाँटे थे उस वर्ष | मंदिर भी इस वर्षा ऋतु में प्रसाद के बदले में पौधे देने की परंपरा प्रारम्भ कर सकते हैं I| एक सहज जन-आन्दोलन बन सकता है वृक्षारोपण का |I मैं किसान भाइयों को तो बार-बार कहता हूँ कि हमारे खेतों के किनारे पर जो हम बाड़ लगा करके हमारी जमीन बर्बाद करते हैं, क्यों न हम उस बाड़ की जगह पर टिम्बर की खेती करें|I आज भारत को घर बनाने के लिए, furniture बनाने के लिये, अरबों-खरबों का टिम्बर विदेशों से लाना पड़ता है | अगर हम हमारे खेत के किनारे पर ऐसे वृक्ष लगा दें, जो furniture और घर काम में आएँ, तो पंद्रह-बीस साल के बाद सरकार की permission से उसको काट करके बेच भी सकते हैं आप और वो आपके आय का एक नया साधन भी बन सकता है और भारत को टिम्बर import करने से बच भी सकते हैं I| पिछले दिनों कई राज्यों ने इस मौसम का उपयोग करते हुए काफ़ी अभियान चलाए हैं, भारत सरकार ने भी एक CAMPA’ कानून अभी-अभी पारित किया, इसके कारण वृक्षारोपण के लिए करीब चालीस हजार करोड़ से भी ज्यादा राज्यों के पास जाने वाले हैं I| मुझे बताया गया है कि महाराष्ट्र सरकार ने एक जुलाई को पूरे राज्य में करीब सवा-दो करोड़ पौधे लगाये हैं और अगले साल उन्होंने तीन करोड़ पौधे लगाने का संकल्प किया है |I सरकार ने एक जन-आन्दोलन खड़ा कर दिया I| राजस्थान, मरू-भूमि - इतना बड़ा वन-महोत्सव किया और पच्चीस लाख पौधे लगाने का संकल्प किया है | राजस्थान में पच्चीस लाख पौधे छोटी बात नहीं हैं | जो राजस्थान की धरती को जानते हैं, उनको मालूम है कि कितना बड़ा बीड़ा उठाया है |I आंध्र प्रदेश ने भी Twenty Twenty-Nine (2029) तक अपना green cover fifty percent बढ़ाने का फ़ैसला किया है I |I केंद्र सरकार ने जो Green India Mission’ चल रहा है, इसके तहत रेलवे ने इस काम को उठाया है | गुजरात में भी वन महोत्सव की एक बहुत बड़ी उज्जवल परंपरा है |I इस वर्ष गुजरात ने आम्र वन, एकता वन, शहीद वन - ऐसे अनेक प्रकल्पों को वन महोत्सव के रूप में उठाया है और करोड़ों वृक्ष लगाने का अभियान चलाया है |I मैं सभी राज्यों का उल्लेख नहीं कर पा रहा हूँ, लेकिन बधाई के पात्र हैं | I
मेरे प्यारे देशवासियो, पिछले दिनों मुझे South Africa जाने का अवसर मिला | ये मेरी पहली यात्रा थी और जब विदेश यात्रा है, तो diplomacy होती है, trade की बातें होती हैं, सुरक्षा के संबंध में चर्चायें होती हैं, कई MoU होते हैं - ये तो सब होना ही है I| लेकिन मेरे लिये South Africa की यात्रा एक प्रकार से तीर्थ यात्रा थी I| जब South Africa को याद करते हैं, तो महात्मा गाँधी और Nelson Mandela की याद आना बहुत स्वाभाविक है I| दुनिया में अहिंसा, प्रेम, क्षमा - ये शब्द जब कान पर पड़ते हैं, तो गाँधी और Mandela - इनके चेहरे हमारे सामने दिखाई देते हैं |I मेरे South Africa के tour के दरमियान मैं Phoenix Settlement गया था, महात्मा गाँधी का निवास स्थान सर्वोदय के रूप में जाना जाता है I| मुझे - महात्मा गाँधी ने जिस train में सफ़र किया था और जिस train की घटना ने एक मोहनदास को महात्मा गाँधी बनाने का बीजारोपण किया था, वो Pietermaritzburg Station - उस रेल यात्रा का भी मुझे सद्भाग्य प्राप्त हुआ I| लेकिन मैं जो बात बताना चाहता हूँ, मुझे इस बार ऐसे महानुभावों से मिलने का अवसर मिला, जिन्होंने समानता के लिये, समान अवसर के लिये, अपनी जवानी समाज के लिये खपा दी थी,I Nelson Mandela के साथ कंधे से कंधा मिला करके वो लड़ाई लड़े थे, बीस-बीस, बाइस-बाइस साल तक जेलों में Nelson Mandela के साथ जिन्दगी गुज़ारी थी | एक प्रकार से पूरी जवानी उन्होंने आहुत कर दी थी और Nelson Mandela के करीब साथी श्रीमान अहमद कथाड़ा (Ahmed Kathrada), श्रीमान लालू चीबा (Laloo Chiba), श्रीमान जॉर्ज बेज़ोस (George Bizos), रोनी कासरिल्स (Ronnie Kasrils) - इन महानुभावों के दर्शन करने का मुझे सौभाग्य मिला | मूल भारतीय, लेकिन जहाँ गए, वहाँ के हो गए | जिनके बीच जीते थे, उनके लिये जान लगाने के लिये तैयार हो गए | कितनी बड़ी ताकत, और मज़ा ये था, जब मैं उनसे बातें कर रहा था, उनके जेल के अनुभव सुन रहा था, किसी के प्रति कोई कटुता नहीं थी, द्वेष नहीं था | उनके चेहरे पर, इतनी बड़ी तपस्या करने के बाद भी लेना – पाना – बनना, कहीं पर भी नज़र नहीं आता था | एक प्रकार का अपना कर्तव्य भाव - गीता में जो कर्तव्य का लक्षण बताया है न, वो बिलकुल साक्षात रूप दिखाई देता था | मेरे मन को वो मुलाकात हमेशा-हमेशा याद रहेगी - समानता और समान अवसर | किसी भी समाज और सरकार के लिए इससे बड़ा कोई मंत्र नहीं हो सकता | सम-भाव और मम-भाव, यही तो रास्ते हैं, जो हमें उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाते हैं | हम सब बेहतर ज़िन्दगी चाहते हैं | बच्चों का अच्छा भविष्य चाहते हैं | हर किसी की ज़रूरतें भिन्न-भिन्न होंगी | priority भिन्न-भिन्न होगी, लेकिन रास्ता एक ही है और वो रास्ता है विकास का, समानता का, समान अवसर का, सम-भाव का, मम-भाव का | आइए, हमारे इन भारतीयों पर गर्व करें, जिन्होंनें South Africa में भी हमारे जीवन के मूल मन्त्रों को जी करके दिखाया है |
मेरे प्यारे देशवासियो, मैं शिल्पी वर्मा का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे सन्देश दिया है और उनकी चिंता बहुत स्वाभाविक है | उन्होंने मुझे एक घटना से अवगत कराया है |
“”‘‘प्रधानमंत्री जी, मैं शिल्पी वर्मा बोल रही हूँ, बंगलौर से | और मैंने कुछ दिन पहले एक news में article पढ़ा था कि एक महिला ने fraud और cheat e-mail के धोखे में आ के ग्यारह लाख रुपये गँवाए और उन्होंने ख़ुदकुशी कर ली | एक महिला होने के नाते मुझे उसके परिवार से काफ़ी अफ़सोस है |  मैं जानना चाहूंगी कि ऐसे cheat और fraud e-mail के बारे में आपका क्या विचार है|’’       ”
और ये बातें आप सबके ध्यान में भी आती होंगी कि हमारे mobile phone पर, हमारी e-mail पर बड़ी लुभावनी बातें कभी-कभी हमें जानने को मिलती हैं, कोई message देता है कि आप को इतने रूपये का इनाम लगा है, आप इतने रूपये दे दीजिए और इतने पैसे ले लीजिए | और कुछ लोग भ्रमित हो करके रुपयों के मोह में फंस जाते हैं | ये technology के माध्यम से लूटने के एक नये तरीक़े विश्व भर में फ़ैल रहे हैं | और जैसे technology आर्थिक व्यवस्था में बहुत बड़ा role कर रही है, तो उसके दुरूपयोग करने वाले भी मैदान में आ जाते हैं | एक retired शख्स, जिन्हें अभी अपनी बेटी की शादी करनी थी और घर भी बनवाना था | एक दिन उनको एक SMS आया कि विदेश से उनके लिए एक कीमती उपहार आया है, जिसे पाने के लिए उनको custom duty के तौर पर 2 लाख़ रूपये एक bank के खाते में जमा करने हैं | और ये सज्जन बिना कुछ सोचे-समझे अपनी ज़िन्दगी भर की मेहनत की कमाई में से 2 लाख़ रूपये निकाल करके अनजान आदमी को भेज दिए और वो भी एक SMS पर | और कुछ ही पल में उनको समझ आया कि सब कुछ लुट चुका है | आप भी कभी-कभी भ्रमित हो जाते होंगे और वो इतना बढ़िया ढंग से आपको चिट्ठी लिखते हैं, जैसे लगता है, सही चिट्ठी है | कोई भी फ़र्ज़ी letter pad बना करके भेज देते हैं, आपका credit card number, debit card number पा लेते हैं और technology के माध्यम से आपका खाता ख़ाली हो जाता है | ये नये तरीक़े की धोखाधड़ी है, ये digital धोखाधड़ी है | मैं समझता हूँ कि इस मोह से बचना चाहिये, सजग रहना चाहिये और ऐसी कोई झूठी बातें आती हैं, तो अपने यार-दोस्तों को share करके उनको थोड़ा जागरूक करना चाहिए | मैं चाहूँगा कि शिल्पी वर्मा ने अच्छी बात मेरे ध्यान में लाई है | वैसे अनुभव तो आप सब करते होंगे, लेकिन शायद उतना गंभीरता से नहीं देखते होंगें | लेकिन मुझे लगता है कि देखने की आवश्यकता है |
मेरे प्यारे देशवासियो, इन दिनों Parliament का सत्र चल रहा है, तो संसद के सत्र के दरमियान मुझे देश के बहुत सारे लोगों से मिलने का अवसर भी मिलता है | हमारे सांसद महोदय भी अपने-अपने इलाक़े से लोगों को लाते हैं, मिलवाते हैं, बातें बताते हैं, अपनी कठिनाइयाँ भी बताते हैं | लेकिन इन दिनों मुझे एक सुखद अनुभव हुआ | अलीगढ़ के कुछ छात्र मेरे पास आए थे | लड़के-लड़कियों का बड़ा उत्साह देखने को था और बहुत बड़ा album ले के आए थे और उनके चेहरे पर इतनी ख़ुशी थी | और वहाँ के हमारे अलीगढ़ के सांसद उनको ले करके आए थे | उन्होंने मुझे तस्वीरें दिखाईं | उन्होंने अलीगढ़ रेलवे स्टेशन का सुंदरीकरण किया है | स्टेशन पर कलात्मक painting किये हैं | इतना ही नहीं, गाँव में जो प्लास्टिक की बोतलें या oil के can ऐसे ही कूड़े-कचरे में पड़े हुए, उसको उन्होंने खोज-खोज करके इकट्ठा किया और उनमें मिट्टी भर कर के, पौधे लगा कर के उन्होंने vertical garden बनाए | और रेलवे स्टेशन की तरफ़ प्लास्टिक बोतलों में ये vertical garden बना करके बिल्कुल उसको एक प्रकार से नया रूप दे दिया | आप भी कभी अलीगढ़ जाएँगे, तो ज़रूर स्टेशन को देखिए | हिन्दुस्तान के कई रेलवे स्टेशनों से आजकल मुझे ये ख़बरें आ रही हैं | स्थानीय लोग रेलवे स्टेशन की दीवारों पर अपने इलाके की पहचान अपनी कला के द्वारा प्रस्तुत कर रहे हैं | एक नयापन महसूस हो रहा है | जन-भागीदारी से कैसा बदलाव लाया जा सकता है, इसका ये उदाहरण है | देश में इस प्रकार से काम करने वाले सबको बधाई, अलीगढ़ के मेरे साथियों को विशेष बधाई |
मेरे प्यारे देशवासियो, वर्षा की ऋतु के साथ-साथ हमारे देश में त्योहारों की भी ऋतु रहती है | आने वाले दिनों में सब दूर मेले लगे होंगें | मंदिरों में, पूजाघरों में उत्सव मनाए जाते होंगे | और आप भी घर में भी, बाहर भी उत्सव में जुड़ जाते होंगे | रक्षाबंधन का त्योहार हमारे यहाँ एक विशेष महत्व का त्योहार है | पिछले साल की भाँति इस साल भी रक्षाबंधन के अवसर पर अपने देश की माताओं-बहनों को क्या आप प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना या जीवन ज्योति बीमा योजना भेंट नहीं कर सकते ? सोचिए, बहन को ऐसी भेंट दें, जो उसको जीवन में सचमुच में सुरक्षा दे | इतना ही नहीं, हमारे घर में खाना बनाने वाली महिला होगी, हमारे घर में साफ़-सफ़ाई करने वाली कोई महिला होगी, गरीब माँ की बेटी होगी | यह रक्षाबंधन के त्योहार पर उनको भी तो सुरक्षा बीमा योजना या जीवन ज्योति बीमा योजना भेंट दे सकते हैं आप | और यही तो सामाजिक सुरक्षा है, यही तो रक्षाबंधन का सही अर्थ है |
मेरे प्यारे देशवासियो, हम में से बहुत लोग हैं, जिनका जन्म आज़ादी के बाद हुआ है | और मैं देश का पहला ऐसा प्रधानमंत्री हूँ, जो आज़ाद हिंदुस्तान में पैदा हुआ हूँ | 8 August ‘Quit India Movement’ का प्रारंभ हुआ था | हिंद छोड़ो, भारत छोड़ो - इसे 75 साल हो रहे हैं | और 15 August को आज़ादी के 70 साल हो रहे हैं | हम आज़ादी का आनंद तो ले रहे हैं | स्वतंत्र नागरिक होने का गर्व भी अनुभव कर रहे हैं | लेकिन इस आज़ादी दिलाने वाले उन दीवानों को याद करने का ये अवसर है | हिंद छोड़ो के 75 साल और भारत की आज़ादी के 70 साल हमारे लिए नई प्रेरणा दे सकते हैं, नयी उमंग जगा सकते हैं, देश के लिये कुछ करने के लिये संकल्प का अवसर बन सकते हैं | पूरा देश आज़ादी के दीवानों के रंग से रंग जाए | चारों तरफ़ आज़ादी की ख़ुशबू को फिर से एक बार महसूस करें | ये माहौल हम सब बनाएँ | और आज़ादी का पर्व - ये सरकारी कार्यक्रम नहीं, ये देशवासियों का होना चाहिए | दीवाली की तरह हमारा अपना उत्सव होना चाहिए | मैं आशा करता हूँ कि आप भी देशभक्ति की प्रेरणा से जुड़ा कुछ-न-कुछ अच्छा करेंगें | उसकी तस्वीर ‘NarendraModi App’ पर ज़रूर भेजिए | देश में एक माहौल बनाइए |
प्यारे देशवासियो, 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से मुझे देश के साथ बात करने का एक सौभाग्य मिलता है, एक परंपरा है | आपके मन में भी कुछ बातें होंगी, जो आप चाहते होंगे कि आपकी बात भी लाल किले से उतनी ही प्रखरता से रखी जाए | मैं आपको निमंत्रण देता हूँ, आपके मन में जो विचार आते हों, जिसको लगता है कि आपके प्रतिनिधि के रूप में, आपके प्रधान सेवक के रूप में मुझे लाल किले से ये बात बतानी चाहिए, आप मुझे ज़रूर लिख करके भेजिए | सुझाव दीजिए, सलाह दीजिए, नया विचार दीजिए | मैं आपकी बात देशवासियों तक पहुँचाने का प्रयास करूँगा | और मैं नहीं चाहता हूँ कि लाल किले की प्राचीर से जो बोला जाए, वो प्रधान मंत्री की बात हो; लाल किले की प्राचीर से जो बोला जाए, वो सवा-सौ करोड़ देशवासियों की बात हो | आप ज़रूर मुझे कुछ-न-कुछ भेजिए | ‘NarendraModi App’ पर भेज सकते हैं, MyGov.in पर भेज सकते हैं और आजकल तो technology के platform इतने आसान हैं कि आप आराम से चीज़ें मुझ तक पहुँचा सकते हैं | मैं आपको निमंत्रण देता हूँ, आइये, आज़ादी के दीवानों का पुण्य स्मरण करें | भारत के लिए ज़िंदगी खपाने वाले महापुरुषों को याद करें और देश के लिए कुछ करने का संकल्प ले कर के आगे बढ़ें | बहुत-बहुत शुभकामनायें | बहुत-बहुत धन्यवाद |

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Wednesday 27 July 2016

6 Reasons WHY you should file your Taxes on time

“Last date for filing tax returns is 31st July” the only sentence looming large on everybody’s mind for the past few days. People all over the country are rushing to file their tax returns for the financial year 2015-16. The common perception amongst most of the people in India still set on the fact that since TDS(tax deduction at site) has been deducted filing of tax returns is not important. Some people on the other hand, ease off as an Income tax return for FY 2015-16 can be filed by March 2017. Sticking to the target date of 31st July however has its own added advantages:

1. NO Carry forward of losses:- 

Losses under the following heads of income: Income from business and profession including speculation business, capital gains, and income from other sources cannot be carried forward in case a return is filed after the last date  by the tax payer. The return filer will not be allowed to carry forward these losses even if all taxes have been paid in time if the return is belated 

2. Revision of return:-

Sometime there is a slight chance of an error while filing your income-tax return, in case the tax-payer discovers a certain discrepancy in the income the s/he wishes to declare. A tax payer who files his return on time can revise the same umpteen times. However, in case a return is filed late, revision is not possible.
3. Delay in tax refunds:-

Taxpayers who file their tax returns on time get their returns processed quickly and hence get tax refunds faster. In case of late filing of tax returns, interest by the authorities is only payable from the date of filing of return to the date of payment. No interest is payable for the delayed period
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4. Interest and penalties:-

In case of late return, the taxpayer is liable to pay an interest at the rate of 1% per month on the tax due till the date of filing of tax return. Also a penalty of Rs 5,000 may be levied by the tax department. In case of willful delays, there are provisions of higher penalties and even prosecution in some extreme cases.
5. Proof of income:-

An income tax return is also a document for proof of income. It is useful in various circumstances such as applying to banks for a loan or applying for a credit card. This helps the banks determine the financial capability of an individual.
6. Visa for foreign countries:-

Foreign countries want to make sure that an individual is financially sound before granting them a visa. Hence they rely on a person’s income tax return to vouch financial stability.
Considering the advantages of filing a tax return on time outweigh the disadvantages, it is advisable to ensure that the income tax return is filed within the due date i.e July 31, 2016. 

Saturday 16 July 2016

Yes, she can move mountains! Meet Saachi Soni

COL. RAJYAVARDHAN RATHORE PRESENTS FLAG TO IIMC STUDENT SAACHI SONI FOR LA ULTRA MARATHON






“Because mountaineering is a way of life for me”, says 22 year old Saachi Soni, the first Indian Women participant who will be representing India in the La Ultra—The High Ultra Marathon in Leh this year.  La Ultra – The High is an ultra-marathon which unlike other marathons is a more cruel and hard one to take part in. La Ultra gives you the highest temperature variation like no other. This marathon will be conducted in Ladakh.
Ladakh, a Trans Himalayan region in northern India is a cold high altitude desert. Temperatures here in August can fluctuate from 40 Degree C hot to MINUS 12 C cold in matter of 6 hours. You will touch altitudes of 17,500 feet 3 times in the 333 Km category, 2 times in 222 Km & once in the 111 Km category. Saachi is a participant in the 111km category, wherein she will be running through the limits of human endurance, both mental & physical.
Saachi, an outgoing student of Post Gradate Diploma in Advertising and Public Relations, Indian Institute of Mass Communication, New Delhi, started off with her journey at the age of 7, when she explored her interest of mountaineering and adventure sports. She is no stranger with scaling peaks.   She scaled North America’s Mt Mckinley (Denali), one of the 10 most dangerous mountains in the world in 2015.
Following are the expeditions she has participated in and won laurels for the nation:


  • Saachi is the youngest Indian person to scale Australia’s 10 highest (75km hike) peaks in just 2.5 days.
  •   Youngest Indian woman to scale Europe's highest peak Mt. Elbrus. (Caucasus Range).
  •  Have Scaled Peak in Indian Himalayas- Gharwal , Sikkim , Spiti and Himachal.
  •  Mt. Deo Tibba 6001m
  •   Mt. Everest 2013 (south col)
  •  Mt. Corner peak 6050m
  •  Mt. Renok summited twice (Winter Ascent)
  •  Mt. VC Roy 19,500ft
  •  Mt. Bandarpoonch 6316m.
  •  Mt. Mckinley , North America's Highest peak
Water sports Basic course- Kayaking, Canoeing , sailing, water surfing, water search and rescue etc.
Snow Skiing- Gulmarg and Manali.

Indian Institute of Mass Communication played an important role in preparing Saachi for the La Ultra Marathon. “DG IIMC K.G Suresh and the institute has been of great help, they have supported me throughout the preparation for this marathon, which is an ultra-marathon.”, says Saachi, when asked about her alma mater, IIMC.
When asked about her inspiration in life she said, “I love getting on mountains, and now it is a way of life for me, that has inspired me throughout”. Saachi has taken training sessions for this marathon, with her regular sessions of 6 hours of running, and workout at Khajan Singh Stadium.
In her message to the nation as a closing remark, Saachi said, “we young people should always follow our inner call, as we are capable of marvellous works to do in life”, “don’t follow others but always follow yourself”.  All India Radio wishes this strong youth icon of India, all the very best for this marathon and life ahead.