१८ दिसम्बर २०१५: आज आकाशवाणी के राजभाषा अनुभाग ने गिरिजा कुमार माथुर व्याख्यान की आयोजन की थी, आज के वक्ता थे माननीय सांसद श्री तरूण विजय, उन्होंने महान तमिल संत कवि तिरूवल्लुवर एवं उनकी अमर कृति तिरूक्कुरल का राष्ट्रीय एकता में योगदान विषय पर व्याख्यान दिया I
आज के इस व्याखान की सुर्खियाँ----
आज के इस व्याखान की सुर्खियाँ----
- कल संसद में तिरुवल्लुवर के समारोह में सभी पार्टियों के नेता एक ही मंच पर आये यह एक अविश्वसनीय घटना क्रम रहा
- तिरुवल्लुवर ग्रामीण अंचल सबसे गरीब वर्ग से सम्बन्ध रखते थे टॉलस्टॉय को भी उन्होंने प्रभावित किया
- गरीब की आँखों से निकले आँसू खारापन महसूस नहीं कर पाते है तो आप राजा होने के लायक नहीं आज देश के किसी भी हिस्से में गरीब के आँख में आंसू आते है तो संसद में उनकी चर्चा नहीं होती
- हम हिंदी क्षेत्र में हिंदी की रक्षा नहीं कर पा रहे है और उम्मीद करते है की दक्षिण भारत के लोग हमें पढ़ें, हमें माने, लेकिन हम उन्हें ना पढ़ें ना समझे - यह कैसे संभव है I राष्ट्रीय एकता के लिए जरुरी है की उत्तर भारत के लोग दक्षिण को जाने और दक्षिण के लोग उत्तरी भारत को I
- श्री तरुण विजय ने कहा की तुलसी और तिरुवल्लुवर में इस अर्थ में समानता है की दोनों जीवन के व्यवहारिक पक्ष को एक ही तरह से देखते है
- तरुण विजय ने कवि के जीवन का उदहारण देते हुए कहा कि व्यवहारिक जीवन में तिरुवल्लुवर और वासुकि पति-पत्नी के प्रेम के प्रतीक है
- तरुण विजय - असहिष्णुता से लड़ना है तो तिरुवल्लुवर से प्रेरणा ले सकते है
- तिरुल्लूवर के तीनों खण्डों कि चर्चा करते हुए कहा कि भारत का सम्पूर्ण चित्र तभी बनता है जब उसमे सूर , तुलसी , कवीर , मीरा के साथ तिरुवल्लुवर,आण्डाळ और तो सुब्रमणियम भारती को भी जोड़े
- उत्तर भारत के लोग जलियाँवाला बाग कि चर्चा करते है लेकिन मृदुल पाण्ड्या बंधुओं कि फांसी का जिक्र कोई नहीं करता जिनके साथ 400 तमिलों को अंग्रजों ने एक ही जगह फांसी दी थी
- अध्यात्म, रामायण और कम्ब रामायण के बिना अधूरा है
- लक्ष्य प्राप्ति के लिए सम्पूर्ण समर्पण जरुरी ..तरुण विजय
- पूरे तिरुक्कुरल में कहीं भी तमिल शब्द का प्रयोग नहीं है और तिरुल्लूवर का नाम भी नहीं है Iउन्होंने सिर्फ तमिलों के लिए नहीं लिखा बल्कि पूरे समाज के लिए क्योकि वे बात करते है न्याय की, सत्य की और परोपकार की I
श्री तरुण विजय द्वारा दिया गया 'गिरिजा कुमार माथुर स्मृति व्याख्यान' , दिनांक ११ जनवरी, २०१६ (सोमवार) रात्रि ९ बज कर ३० मिनट पर आकाशवाणी दिल्ली के इंद्रप्रस्थ चैनल और फम रेनबो नेटवर्क द्वारा प्रसारित किया जायेगा, जो लाइव-स्ट्रीमिंग के माध्यम से आकाशवाणी की वेबसाइट.www.allindiaradio.gov.in और मोबाइल app ‘Áll India Radio Live’ के ज़रिये भी सुना जा सकेगा .
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