Wednesday, 31 October 2012

'बेगम अख्‍तर स्‍मृति संगीत सभा' आकाशवाणी, लखनऊ


बेगम अख़्तर को उसी स्टूडियो में याद किया गया 

जहां वह कभी गाती थीं


मल्लिका-ए-ग़ज़ल बेगम अख़्तर ने अपनी बहुत सारी ग़ज़लों की पहली रिकार्डिंग आकाशवाणी लखनऊ में करवायी थी। उनकी यादों का गवाह वह स्टूडियों नं0-1 है, जो आज आकाशवाणी लखनऊ के सभाकक्ष में तब्दील हो गया है। आकाशवाणी लखनऊ के पुराने कर्मियों के जे़हन में आज भी बेगम अख़्तर से जुड़ी बहुत सी यादें ताजा हैं और सब ने उन्हीं यादों को सामने रखा ‘‘बेगम अख़्तर स्मृति संगीत सभा" में। इस सभा का आयोजन आकाशवाणी लखनऊ ने बेगम अख़्तर की 38वीं पुण्यतिथि के अवसर पर किया।
    बेगम अख़्तर की बहुत सारी संगीत रचनाओं के लिए धुन बनाने वाले, आकाशवाणी के भूतपूर्व संगीत संयोजक 88 वर्षीय विनोद चटर्जी ने बेगम अख़्तर की खूबियों का ज़िक्र किया तो उस दौर में ट्रांसमिशन इंचार्ज रहे आकाशवाणी के भूतपूर्व सहायक केन्द्र निदेशक के.के. श्रीवास्तव ने बेगम अख़्तर से अपने आत्मीय रिश्तों का खुलासा किया।  बेगम अख़्तर की मृत्यु के पश्चात संगीतकार मदन मोहन का आकाशवाणी लखनऊ आना और उनकी याद में फूट-फूट कर रोना भी इन्हीं संस्मरणों का हिस्सा था। इस संगीत संध्या में विनोद चटर्जी ने खुमार बाराबंकवी की ग़ज़ल सुनाई
        ‘‘क्या हुआ हुस्न है हमसफर या नहीं
            इश्क मंजिल ही मंजिल है रास्ता नहीं,’’
        ‘‘नज़र से ढल के उभरते हैं दिल के अफसाने
            ये और बात है दुनिया नज़र न पहचाने’’
    कार्यक्रम में भातखण्डे सम विश्वविद्यालय की शिक्षिका डा सीमा भारद्वाज ने बेगम अख़्तर द्वारा गायी गजलों को सुनाया।
        ‘‘कोई यह कह दे गुलशन गुलशन
            लाख बलाएं, एक नशेमन’’
        ‘‘दिल ए नादां तुझे हुआ क्या है
            आखि़र इस दर्द की दवा क्या है’’
    इस संगीत संघ्या को फैजाबाद के डा हरि प्रसाद दूबे ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में आकाशवाणी लखनऊ के अपर महानिदेशक श्री गुलाबचन्द, सहायक निदेशक पृथ्वीराज चौहान, कार्यक्रम अधिशासी डा महेन्द्र पाठक, प्रफुल्ल त्रिपाठी, रश्मि चैधरी, अर्चना प्रसाद, शर्मिला गोस्वामी के अतिरिक्त बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी उपस्थित थे।

 कार्यक्रम का संचालन आसिफा फाखरी ने किया।

बेगम अख्‍तर की गजलों की रिकार्डिंग्‍स आकाशवाणी आर्काइब में उपलब्‍ध है और आप इन्‍हें खरीद सकते हैं - 




Friday, 26 October 2012

150th Birth Year of Baba Allauddin Khan Sahib


CELEBRATION OF 150TH BIRTH YEAR OF BABA ALLAUDDIN KHAN



1.   It was an elite gathering of renowned musicians and music lovers at the NCPA Auditorium, Mumbai on 20th Oct. 2012, where in AIR had organized a musical evening to mark the 150th Birth Year of Baba Allauddin Khan Sahib, the doyen of the Maihar Gharana.  All India Radio fittingly chose the occasion to release five volumes of orchestral compositions by eminent vadyavrinda Composers like Pt. Pannalal Ghosh,  Pt. Ravi Shankar, Pt. Vijay Raghav Rao, Anil Biswas, Emani Shankar Shastri. T K Jayarama Iyar, M Y Kamashatri etc. besides that of Baba Allauddin Khan Sahib.





2.         The function was presided over by the Chairperson Prasar Bharti Board, Smt. Mrinal Pandey.  Sarangi Maestro Pt. Ramnarayan was the Special Guest of the evening. After the CD release function, the audience were treated to a delightful Sarod Recital by Pt. Basant Kabra, orchestral compositions of Baba Allauddin Khan Sahab presented by the Mehar Band, concluding with an enchanting Flute Recital by Pt. Hari Prasad Chaurasia. 
 

3.         After the program the audiences while leaving the auditorium were heard saying that it was an excellent musical evening and a fitting tribute to Baba Allauddin Khan Sahib.
 
4.         Press Reports on this event have high words of appreciation for AIR efforts in propagating music and for organizing this event. 
 

 

 

 


Tuesday, 9 October 2012

'शाम की चाय' में अंतरराष्‍ट्रीय पहलवानों के संस्‍मरण



आकाशवाणी के चर्चित कार्यक्रम 'शाम की चाय' में पिछले 6 अक्‍टूबर की शाम राजधानी के छत्रसाल स्‍टेडियम में अंतरराष्‍ट्रीय पहलवानों रजत पदक विजेता सुशील कुमार, कांस्‍य पदक विजेता योगेश्‍वर दत्‍त व गुरू द्रोणाचार्य अवार्डी महाबली सतपाल ने आमंत्रित श्रोताओं के समक्ष अपने संस्‍मरण सुनाए। योगेश्‍वर दत्‍त ने बताया  कि  किस तरह पिता के देहांत के दो दिन बाद  ही उन्‍हें दोहा एशियाड में भाग लेने जाना पडा जहां से वे कांस्‍य पदक जीत कर लौटे। भारतीय पहलवान सतपाल ने मंगोलिया के पहलवान को हराकर एशियाड स्‍वर्ण पदक जीता था। तीन बार के ओलंपियन सतपाल खुद ओलंपिक पदक नहीं जीत पाए पर आगे उन्‍होंने गुरू के रूप में बडी भूमिका निभायी। उनके शिष्‍य सुशील पिछले दो ओलंपिक से पदक जीत रहे हैं और योगेश्‍वर दत्‍त ने भी ओलंपिक का तमगा देश की झोली में डाला।

पहलवानों से बातचीत वरिष्‍ठ प्रसारणकर्मी डॉ ऋतु राजपूत व भीमप्रकाश शर्मा ने की और संचालन जैनेन्‍द्र सिंह व प्रमोद कुमार ने किया।आकाशवाणी के उप महानिदेशक लक्ष्‍मी शंकर वाजपेयी ने पहलवानों को सम्‍मानित किया। कार्यक्रम के संयोजक एम एस रावत  के अनुसार खेल प्रेमियों के अनुरोध पर पहली बार यह कार्यक्रम किसी स्‍टेडियम में आयोजित हुआ।

                                                         कार्यक्रम की कुछ झलकियां







Friday, 5 October 2012

डॉ. कर्ण सिंह के साथ शाम की चाय





आकाशवाणी दिल्ली द्वारा आयोजित वरिष्ट चिन्तक और दार्शनिक डॉ कर्ण सिंह के साथ शाम की चाय का आयोजन निराला रहा | इस कार्यक्रम में डॉ  कर्ण सिंह ने अपने जीवन के कई अनूठे और रोचक संस्मरण प्रस्तुत किए | यह अनछुई बात भी  कार्यक्रम में सामने आई की स्नातकोत्‍तर की परीक्षा में अब तक के सर्वोच्च अंक उन्ही के नाम हैं | संगीत में बेहद रूचि रखने वाले डॉ. कर्ण सिंह ने कार्यक्रम में भजन सुनाकर उपस्थिति समूह का मन मोह लिया | इस कार्यक्रम का प्रसारण आगामी २२ अक्टुबर को रात ९.३० बजे आकाशवाणी दिल्ली, अतिरिक्त मीटर व उसी रात १२.०० बजे FM GOLD पर होगा |

Thursday, 4 October 2012

आकाशवाणी संगीत सम्‍मेलन- 2012



आकाशवाणी द्वारा विगत 29सितंबर 2012 को दिल्‍ली में लोदी रोड स्थित चिन्‍मय मिशन सभागार में शाम 6 बजे आकाशवाणी संगीत सम्‍मेलन का आयोजन किया गया।
सम्‍मेलन का आरंभ हिन्‍दुस्‍तानी संगीत शैली की आकाशवाणी पुणे की तथा जयपुर अग्रोली घराने की कलाकार श्रीमती मंजिरी आलेगांवकर ने अपना गायन प्रस्‍तुत किया। उन्‍होंने राग भूप से आरंभ कर राग शुद्ध निषाद का बिहागडा और राग बागेश्री सुनाया अंत में उन्‍होंने कबीर का भजन सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्‍ध कर लिया। पुणे से आये कलाकार श्री संजय करंधिकर ने तबले पर और श्रीमती शुभांगी आर भावसार ने हारमोनियम पर उनकी संगत की।

 कार्यक्रम की दूसरी प्रस्‍तुति में कर्नाटक की शैली की आकाशवाणी की कलाकार विदुषी सुकन्‍या राम गोपाल ने घटम वादिका की प्रस्‍तुति की।  श्रीमती रंजिनी सिद्धांति ने मृदंगम, श्रीमती भाग्‍यलक्ष्‍मी एम कृष्‍णा ने मोरसंग व श्रीमती जे योगवन्‍दना ने वीणा तथा श्रीमती सौम्‍या रामचन्‍दन ने वायलिन पर उनकी संगत की।