Wednesday 6 November 2013

आकाशवाणी महानिदेशक,श्री लीलाधर मंडलोई को भाव- भीनी विदाई

श्री लीलाधर मंडलोई आकाशवाणी के प्रसारण इतिहास के उन गिने चुने ब्यक्तित्वों में से है जिन्होनें लोक प्रसारण के अन्तर्निहित आदर्शों के परिपालन में अभूतपूर्व योगदान किया. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पले बढ़ें श्री मंडलोई ने आकाशवाणी परिवार श्री लीलाधर मंडलोई के इस संस्था के सर्वोच्च पद से सेवानिवृत्ति के अवसर पर उन्हें अपनी कृतज्ञता और शुभकामनाएं प्रेषित करता है.आकाशवाणी  के अपने सेवाकाल के दौरान ही हिंदी में स्नातकोत्तर और पत्रकारिता में स्नातक की उपाधियां अर्जित की. सन ७० के दशक में आकाशवाणी रायपुर से आरंभ किए गए अपने दीर्घ सेवा काल में वे एक प्रभावी प्रसारके के रूप में ही नहीं वरन एक कर्मठ एवं सुयोग्य प्रेषक के रूप में सुपरिचित रहे . तत्कालीन मध्यप्रदेश के रायपुर, छतरपुर एवं भोपाल सिथत आकाशवाणी केन्द्रों के अलावा अंड़मान सिथत आकाशवाणी पोर्टब्लेयर में पदस्थ रहते हुए श्री मंडलोई ने जनहित- प्रसारण एवं लुप्तप्राय लोक जीवन एवं संस्कृति के ध्वनित पक्ष का श्रमसाध्य संरक्षण कार्य भी किया जिसे आकाशवाणी के संरक्षित अभिलेखागार का दुर्लभ हिस्सा माना जाता है. कालान्तर में श्री लीलाधर मंडलोई ने आकाशवाणी के अलावा दूरदर्शन के माध्यम से भी जनोन्मुखी एवं श्रोता- भागीदारी- सम्प्रक्त कार्यक्रमों की नई दिशा तय की और कार्यकर्मों में जनभागीदारी के माध्यम से उनकी पहुँच और प्रभाव का विस्तार सुनिश्चित किया.






 आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के अपने सेवाकाल से इतर श्री लीलाधर मंडलोई समकालीन हिंदी साहित्य में, विशेषकर हिंदी विधा में, एक सम्मानित, सुपरिचित हस्ताक्षर है  तथापि राष्ट्रीय दैनिक जनसत्ता के एक नियमित कॉलम में प्रकाशित इनके शोधपरक संस्मरणात्मक लेख गंभीर पाठकों एवं समाजशास्त्रियों में चर्चित रहे  ६० और बाद के दशकों के सुविख्यात व्यंग्य लेखक श्री हरिशंकर परसाईं एवं हिंदी के सुपरिचित " विद्रोही" कथाकार श्री ज्ञानरंजन के साहचर्य में, उन दोनों विध्दानों के रचना कर्म के साथी रहे श्री मंडलोई, कृतिकार के रूप में अपनी अलग छवि स्थापित करने में भी सफल रहे. भारतीय प्रसारण की समृद्द परंपरा में श्री लीलाधर मंडलोई ने दूरदर्शन की महानिदेशक एवं अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में भी अपना योगदान किया. आकाशवाणी के महानिदेशकों के ७८ वर्ष लंबे इतिहास में ३१ वें महानिदेशक के रूप में श्री लीलाधर मंडलोई ने नीति निर्धारण, कार्यक्रम नियोजन, नए आकाशवाणी केन्द्रों की स्थापना, राजस्व संग्रहण एवं भारत की कला संस्कृति व् इतिहास से जुड़े प्रसारण योग्य कार्यक्रमों के निर्माण एवं संरक्षण के क्षेत्र में जो उल्लेखनीय कार्य किया है उसका प्रभाव एवं परिणाम आकाशवाणी के भविष्य के क्रियाकलापों को भी दिशा देने में सक्षम होगा.

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