सुप्रसिद्ध समालोचक, नाटककार एवं निबंधकार डॉ. प्रभाकर श्रोत्रिय ने ‘हिन्दी भाषा की सरलता के रास्ते में चुनौतियां’ विषय पर 19 जून, 2012 को आकाशवाणी के प्रसारण भवन में ‘राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन स्मृति व्याख्यान’- 2012 के अंतर्गत व्याख्यान प्रस्तुत किया। इस अवसर पर श्री राकेश टंडन और डॉ. दिनेश टंडन ने राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे सच्चाई, ईमानदारी, निर्भीकता के प्रतीक थे और त्याग के लिए आदर्श व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते थे। व्याख्यान अत्यंत प्रेरणादायक एवं मर्मस्पर्शी था। व्याख्यान में दर्शकों की उपस्थिति काफी अच्छी थी। हिन्दी के प्रति उनका अगाध अनुराग उनके व्याख्यान में स्पष्ट झलका और उन्होंने संविधान सभा द्वारा राजभाषा मनोनयन से लेकर हिंदी की शब्द सम्पदा को सरल बनाने तक, विस्तृत रूप से विश्लेषण किया और कहा कि हिंदी इस देश और इस राष्ट्र की आत्मा है। इसके अलावा, हिंदी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय भाषा भी है क्योंकि हिंदी के बोलने वाले विविध हैं। हिंदी का मूल चरित्र जनभाषा का चरित्र है इसलिए इसकी शब्दावली में निरंतर जनभाषा के शब्दों का समायोजन किया जाना आवश्यक है।
राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन स्मृति व्याख्यान में राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन जी के परिवारजन के अलावा आकाशवाणी महानिदेशालय की अपर महानिदेशक, श्रीमती अलका पाठक, आकाशवाणी, दिल्ली के केन्द्र निदेशक, डॉ. लक्ष्मी शंकर बाजपेयी तथा कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन स्मृति व्याख्यान में राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन जी के परिवारजन के अलावा आकाशवाणी महानिदेशालय की अपर महानिदेशक, श्रीमती अलका पाठक, आकाशवाणी, दिल्ली के केन्द्र निदेशक, डॉ. लक्ष्मी शंकर बाजपेयी तथा कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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