आकाशवाणी की राष्ट्रीय
प्रसारण सेवा दिल्ली द्वारा हाल ही में 'रंग-ए-हिना' मुशायरे का आयोजन किया गया, जिसमें उर्दू की चर्चित शायराओं ने अपनी शायरी पेश की। कार्यक्रम में तरन्नुम रियाज, अजरा नकवी, शबाना नजीर, डॉ० इफ्फत जर्री और डॉ० सलमा शाहीन ने भाग लिया।
प्रोग्राम
का संचालन सबीहा खां ने किया | इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए
आल इंडिया रेडियो, दिल्ली के डायरेक्टर लक्ष्मी शंकर वाजपयी ने कहाकि आल इंडिया रेडियो चैनल ने उर्दू
कवयित्रियों के लिए खास तौर पर उस मुशायरे का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि आज का मुशायरा निश्चित तौर पर मील का पत्थर साबित होगा।
राष्ट्रीय प्रसारण सेवा के सहायक निदेशक श्री वी. के. साम्बयाल ने कहा कि आल
इंडिया रेडियो के नेशनल चैनल ने इन शायरात की होसला अफजाई के लिए यह आयोजन किया है | मुशायरे में पढ़े गए कलाम के कुछ अंश पेश हैं ।
1. काखाँ सुस्त
मुसाफिर को सजा देता है ।
जर्द पतो को हर एक पेड़
गिरा देता है ।
डॉ इफ्फ्त जर्री.
2. वक्त अच्छा था तो
साये की तरह साथ थे लोग ।
अबं बही लोग बताते है
फसाने तेरे ।
डॉ सलमा शाहीन
3. मेरी दुआ में नही
मोजजो की तासीरें ।
नसीब खोजने वाली में कौन
होती हूँ ।
तरन्नुम रियाज
4. वक्त तुम्हारी
खातीर अपना सीले खां क्यू रोकेगा ।
क्व तक पानी के ऊल्टे
रुख टूटी नाव चलाओगी ।
अजरा नकवी
शबाना नजीर
मुशायरा की रिकॉर्डिंग 23 जून की रात गयारह बज कर दस मिनट पर आल इंडिया रेडियो के नेशनल चैनल पर प्रसारित की गई ।
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