साधारण
परिवार में जन्मे, स्वाध्याय
से प्राप्त शिक्षा, एक चतुर
अधिवक्ता, सशक्त
व्यक्तित्व, सहिष्णुता
से भरपूर, अटूट देश
प्रेमी, सरदार
बल्लभ भाई पटेल का परिचय है। स्वाधीनता के पश्चात भारत लगभग 500 विभिन्न रियासतों
में बंटा हुआ था। कल्पना की जा सकती है इस प्रकार की स्वाधीनता कब तक फलीभूत हो
सकती थी। आज अखण्ड भारत का जो
स्वरूप है उसकी रचना लौह पुरुष की कुशल कूटनीति का परिणाम है। अपने व्यवहारिक, निर्णायक एवं कठोर व्यक्तित्व
के कारण अंग्रेज सरकार भी उनसे खौफ खाती थी। वह भारत को एक आत्म-निर्भर और आत्म
विश्वास से भरपूर देश के रूप में कायम करने के लिए दृढ़ संकल्प थे।
अग्रणी
राष्ट्रवादी नेताओं से मतभेद होने के पश्चात भी उन्होंने अपने विचारों में
सामन्जस्य स्थापित कर राष्ट्रहित को सर्वोपरि स्थान दिया। आधुनिक भारत के शिल्पी
सरदार पटेल की यह आतंरिक आसीम शक्ति ही थी जिसके बल पर उन्होंने नव निर्मित
राष्ट्र के समाने आई विभिन्न चुनौतियों का सजहता से सामना किया। यदि
दूरदर्शी सदार पटेल के सुझाव मान लिए जाते तो शायद कश्मीर और चीन से संबंधित विवाद
आज हमारे सामने उपस्थित नहीं होते।
सरदार
पटेल एक कृषक परिवार में जन्में थे। किसानों की वेदना को वे भली भांति समझते थे।
उनका कहना था कि किसान और मजदूर दुनिया का आधार हैं पर फिर भी वे
सबसे अधिक अत्याचार सहते हैं। शायद
किसानों के हित और देश प्रेम ने ही उन्हें राजनीति
में कदम रखने की प्रेरणा दी। उन्होंने किसानों के हित में खेड़ा और वारदोली जैसे
आंदोलनों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। उनकी इच्छा
किसान एवं मजदूर को आत्मनिर्भर एवं सशक्त खड़ा करने की थी।
राष्ट्रीय
एकता की मिसाल और आधुनिक भारत के शिल्पी भारत रत्न सरदार बल्लभ भाई पटेल की
राजनीतिक विरासत आज भी बहुत प्रासंगिक है। बस अनुसरण करने की आवश्यकता है।
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